ज़िन्दगी में कभी निराश न हो
ज़िन्दगी में कभी निराश न हो।
थक-हारकर यूँ उदास न हो।
ज़िन्दगी में कभी निराश न हो।
ये ग़म के बादल इक रोज़ छटेंगे।
तेरी आँखों से आँसू ज़रूर हटेंगे।
तेरे सारे दुःख-दर्द कभी तो मिटेंगे।
ईश्वर पर तुम्हें अविश्वास न हो।
ज़िन्दगी में कभी निराश न हो।
थक-हारकर यूँ उदास न हो।
प्रकाश द्वारा अंधेरा भगाना ही है।
बुरे वक़्त को एकदिन जाना ही है।
रात के बाद दिन को आना ही है।
क़ुदरत से सीख;हताश न हो।
ज़िन्दगी में कभी निराश न हो।
थक-हारकर यूँ उदास न हो।
सोना तपकर कुन्दन होता है।
साँप से लिपटा पेड़ चंदन होता है।
हँसी से भी क़ीमती क्रंदन होता है।
मन में मैल का निवास न हो।
ज़िंदगी में कभी निराश न हो।
थक-हारकर यूँ उदास न हो।
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राजेश कुमार सिंह
उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलथारा
मोहिउद्दीननगर
समस्तीपुर
बहुत ही कीमती कविता।
ReplyDeleteबहुत ही शानदार एवं अभिप्रेरित करने वाली कविता।👌👍
ReplyDeleteबहुत ही शानदार एवं अभिप्रेरित करने वाली कविता।👌👍
ReplyDeleteसादर आभार
ReplyDeleteभाव बढिया है
ReplyDeleteबहुत-बहुत बहुत ही आकर्षक!
ReplyDeleteविजय सिंह