Sunday 18 August 2019
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आज की शिक्षा- सूर्य प्रकाश (शिक्षक)
आज की शिक्षा
किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके संसाधनों पर नहीं बल्कि वहां की शिक्षा पर निर्भर करती हैं।
जो राष्ट्र जितना शिक्षित होगा वह उतना ही ज्यादा तरक्की करेगा। किसी भी राष्ट्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा शिक्षा का होना चाहिए। भारत का इतिहास शिक्षा के क्षेत्र में गौरवशाली रहा है।देश-विदेश के विद्यार्थी प्राचीन काल से भारत में शिक्षा ग्रहण करने आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय ने प्राचीन काल से ही अपनी एक अलग पहचान बनाई ।वर्तमान समय में बहुत परिवर्तन हुए ।शिक्षा प्रणाली में काफी बदलाव आया। आज अमेरिका, चीन ,जापान हमसे काफी आगे निकल गया है। वजह है -शिक्षा ।शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है ।समय- समय पर इसमे परिवर्तन होता रहा है।
बच्चों की प्रथम पाठशाला उसका घर होता है। उसके बाद बच्चे विद्यालय में आते हैं जहां वे अपने सहपाठियों शिक्षकों तथा विद्यालय के वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं ।विद्यालय का वातावरण आनंददायी एवं मनोरंजक होना सबसे पहले जरूरत है ताकि भारत के भविष्य स्कूल में जब अपना पहला कदम रखे तो उन्हें किस प्रकार का डर ना लगे। शिक्षक बच्चों के साथ इस तरह घुल-मिल कर रहे हैं उन्हें अपनेपन का एहसास हो। अभी हाल ही में दिल्ली सरकार के द्वारा हैप्पी क्लासेज की शुरुआत की गई जो कि एक सराहनीय क़दम है।
भारत में प्रायः देखा जाता है की बच्चों के स्कूल बैग इतने भारी होते हैं कि उनके स्कूल का बस्ता उनके दिमाग पर भारी पड़ने लगता है। हमने जापान की स्कूलों का अध्ययन किया तो पाया वहां के बच्चों को किताबों से दूर रखा जाता है उन्हें गतिविधियों के माध्यम से प्रभावी शिक्षा दिया जाता है। हमें भी इस तकनीक को अपनाना चाहिए।
पश्चिमी सभ्यता के आगमन से भारत की सभ्यता संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ा है ।मुझे याद है कि बचपन में मैंने नैतिक शिक्षा की किताब पढ़ी थी।बड़ो एवं छोटों से व्यवहार, समाज के प्रति भावना, देश के प्रति हमारा दायित्व इत्यादि को बताने में नैतिक शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान समय में इस तरह की किताबें बहुत कम देखने को मिलती है ।वर्तमान स्थिति को देखते हुए नैतिक शिक्षा का ज्ञान आवश्यक है।
आज टेक्नॉलॉजी के दौर से पूरा विश्व गुजर रहा है। भारत के शिक्षक बैठे बैठे दूसरे देशों को विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। पर हमारे भारत अभी भी इस मामले काफी पिछड़ा हुआ है।
सूर्य प्रकाश
शिक्षक
उत्क्रमित विद्यालय कबौलीराम
पूसा , समस्तीपुर
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Simply Great Sury Prakash Ji 👌👌👌👌
ReplyDeleteबिल्कुल, हकीकत यही है।
ReplyDeleteSuper sur ji
ReplyDeleteमैंने प्राइवेट स्कूल में ही नैतिक शिक्षा की किताब पढी थी अगर वैसे ही किताब सरकारी स्कूल में दे दी जाए तो वह जरूर ही यहां के बच्चों को भी नैतिक शिक्षा का अच्छा ज्ञान मिल सकेगा।मैंने भारत के स्कूलों की बात किए जिसमें प्राइवेट और सरकारी दोनों आते हैं।प्राइवेट स्कूल में महंगी किताबें और भारी बस्ते का तो कोई जवाब ही नहीं है। सरकारी स्कूल में भी प्रथम क्लास से ही किताब दे दी जाती है जबकि जापान की स्कूल नेट पर सर्च किया तो पाया कि वहां के बच्चों को शुरू से किताबें नहीं दी जाती बल्कि गतिविधियों के माध्यम से ही शिक्षा दी जाती है।जापान की साक्षरता दर 100% है। निश्चित ही हमारा देश शिक्षा के मामले में काफी आ गया है लेकिन अगर हम नई टेक्नालॉजी के माध्यम से शिक्षा दे तो निश्चित हमारा देश और भी आगे निकल जाएगा। हालांकि अभी हाल में ही बिहार के प्रत्येक हाई स्कूलों में डिजिटल क्लासरूम की शुरुआत की गई है जो कि इस दिशा में एक अच्छी पहल है। अगर सभी प्राथमिक कक्षाओं में भी डिजिटल क्लास रूम की व्यवस्था की जाए तो निश्चित ही हमारा बच्चों पर इसका काफी ज्यादा असर पड़ेगा ।
ReplyDeleteMasttttttttttttttttttt sir jee
ReplyDeletemission achhhha h sabko isme help karni chahiye
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