Friday, 3 April 2020
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आओ पर्यावरण सुरक्षित कर जीवन सुरक्षित करें-गुंजन कुमारी
आओ पर्यावरण सुरक्षित कर जीवन सुरक्षित करें
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जल, वायु, पर्यावरण, वृक्ष, जीव, इंसान ।
पर्यावरण बचाइए, तभी बचेगी जान।।
हम जानते हैं कि मानव शरीर प्रकृति पर आश्रित है। प्रकृति एक विराट शरीर की तरह है। जीव-जंतु, वृक्ष, वनस्पति, नदी, पहाड़ आदि इसके अंग-प्रत्यंग हैं। इनके परस्पर सहयोग से ही शरीर स्वस्थ्य और सुरक्षित है। जिस प्रकार मानव शरीर के किसी एक अंग में खराबी आ जाने से उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है ठीक उसी प्रकार प्रकृति के घटकों से छेड़-छाड़ करने पर प्रकृति की व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है।
भारती दर्शन हमें बताती है कि इस शरीर की रचना पर्यावरण के मत्वपूर्ण घटकों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से हुई है जिसका हमें संरक्षण करना चाहिए। श्रीकृष्ण की गोवर्धन पूजा की शुरुआत का लौकिक पक्ष यही है कि जन सामान्य मिट्टी, पर्वत, वृक्ष एवं वनस्पति का आदर करना सीखें। समुद्र मंथन से प्राप्त कल्पवृक्ष का देवताओं द्वारा संरक्षण देना हमें प्राकृतिक पेड़-पौधों से प्रेम करने की सीख प्रदान करते हैं तथा इंद्र का ऐरावत से प्रेम जंतु प्रेम को दर्शाता है परंतु आज हम ईश्वर की बनाई हुई अद्भुत पर्यावरण की सुंदरता को अपनी जिज्ञासा और नई-नई खोज की अभिलाषा में पर्यावरण के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिये हैं जिसके कारण हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
सच कहें तो आज हम गाँधी जयंति, स्वच्छ भारत अभियान के समय तक ही पर्यावरण के प्रति जागरूक होते हैं उसके बाद नहीं। विश्व में बढ़ते बंजर इलाके, फैलते रेगिस्तान, कटते जंगल, लुप्त होते जीव-जंतु और पेड़-पौधे, प्रदूषित जल, प्रदूषित नदियाँ, तूफान, बाढ़, सुखाड़ इस बात क़े साक्षी हैं कि हमने अपने धरती और पर्यावरण को अपने हाथों से बिगाड़ा है। काश इसकी परवरीश अपनी संतान की तरह की होती तो आज इतनी भयानक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता। पल-पल आनेवाले खतरनाक समस्याओं से हमारे देश, समाज, परिवार को जूझना नहीं पड़ता। हम देख रहे हैं कि दिन-प्रतिदिन हमारे जीवन के बुनियादी आधार वायु, जल एवं मृदा पर संकट बढ़ता जा रहा है। महानगरों की बात तो दूर गाँवों-कस्बों में भी शुद्ध प्राणवायु की शुध्दता और गुणवत्ता दोनों घटती जा रही है।
पृथ्वी, जल, औषधि एवं वनस्पति हमारे लिए तभी शान्तिप्रद हो सकते हैं जब हम इनका सभी स्तरों से संरक्षण करें। पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ संबंध है। प्रदूषण के कारण आज सारी पृथ्वी दूषित हो रही है और निकट भविष्य में मानव सभ्यता का अंत दिखाई दे रहा है।
तो आइए हम सब मिलकर संकल्प लें कि हम अपने बच्चों को पर्यावरण के प्रति छोटे-छोटे कार्यों द्वारा जागरूक करें। जैसे-
* अपने घर, फ़्लैट या सोसायटी के हर आयोजन में एक पेड़ लगाएँगे।
* अपने आस-पास का वातावरण स्वच्छ रखेंगे तथा कूड़ेदान का उपयोग करेंगे।
* नदी, तालाब जैसे जलस्रोतों को साफ सुथरा रखेंगे।
* हमेशा कपड़े के थैले का प्रयोग करेंगे, प्लाष्टिक पॉलीथिन को न कहेंगे।
* अपने उत्तर-पुस्तिका, कॉपी, रजिस्टर के पन्नों को बर्बाद नहीं करेंगे।
* भोजन को बर्बाद नहीं करेंगे।
* जैविक खाद्य को अपनाएँगे।
* वृक्षारोपण करेंगे।
* डब्बा बंद चीजों का प्रयोग कम से कम करेंगे।
* दिन में सूर्य की रौशनी का उपयोग करेंगे।
* फोन, मोबाइल, लैपटॉप आदि का इस्तेमाल पॉवर शेविंग मोड पर करेंगे।
* पैदल चलने की कोशिश करेंगे।
* वायुमंडल में कार्बन की मात्रा कम करने के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग करेंगे।
* घर में व्यक्तिगत या सरकारी कार्यालय हो, वर्षा जल- संचयन प्रणाली को प्रयोग में लाएँगे।
गुंजन कुमारी
म. वि. मिर्जाचक
बरियारपुर, मुंगेर
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अनुकरणीय!
ReplyDeleteविजय सिंह
धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर एवं उपयोगी आलेख.... अनुकरणीय सुझाव
ReplyDeleteसच में, पर्यावरण की सुरक्षा में ही जीवन की सुरक्षा है।
ReplyDeleteप्रेरक रचना
पर्यायवरण की सुरक्षा पर सारगर्वित लेख। बधाई
ReplyDeleteपर्यायवरण की सुरक्षा पर सारगर्वित लेख। बधाई
ReplyDeleteपर्यावरण के महत्व को दर्शाती यह आलेख पर्यावरण संरक्षण संकल्प के लिए प्रेरित करती🙂👌👌👌👌
ReplyDeleteपर्यावरण की शत्रु अनेक, लेकिन बृक्ष मित्र है एक।
ReplyDeleteआओ हम एक बृक्ष लगायें, पर्यावरण को स्वच्छ बनायें।
हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत अच्छा
ReplyDeleteबहुत बेहतर सुझाव।। आपका यह विचार सदैव अनुकरणीय रहेगा।।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteअति प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय आलेख
ReplyDeleteBahut sarahniye aalekh
ReplyDeleteआप सबों का बहुत-बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteअद्वितीय....गुंजन जी बधाई हो ।
ReplyDeleteअच्छा सुझाव एवं अमूल्य विचार आपके द्वारा दिया गया है जो अनुकरणीय है।
ReplyDeleteबहुत अच्छा संकल्प हमें अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए।
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