Friday, 10 April 2020
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हिन्दी भाषा की उत्पत्ति-अमित कुमार
हिन्दी भाषा की उत्पत्ति
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भारत में बोली जाने वाली समस्त भाषाएँ मुख्यत: दो भाषा-परिवारों आर्य एवं द्रविड़ के अंतर्गत आती हैं। उत्तर भारत की भाषाएँ आर्य तथा दक्षिण भारत की भाषाएँ द्रविड़ मानी जाती है। उत्तर भारत की आर्य भाषा का सबसे प्राचीन स्वरुप संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। ऋग्वेद सहित चारों वेद अर्थात यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद भी संस्कृत भाषा में हैं। वेद और उपनिषदों को प्राचीन भारतीय आर्य भाषा काल (1500 ई. पूर्व से 500 ई. पूर्व) का ग्रंथ माना जाता है। प्राचीन भारतीय आर्य भाषा काल के बाद 500 ई. पूर्व से 1000 ई. तक के काल को मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा काल तथा 1000 ई. से अबतक के समय को आधुनिक भारतीय आर्य भाषा काल कहा जाता है। मध्यकालीन आर्य भाषा काल में क्रमशः तीन भाषाओं का विकास हुआ- पालि भाषा, प्राकृत भाषा तथा अपभ्रंश भाषा। पालि भाषा बौद्ध धर्म की भाषा है जिसे मागधी भी कहा जाता है। सुत्त पिटक, विनय पिटक तथा अभिधम्म पिटक नामक बौद्ध धर्म के त्रिपिटक की रचना इसी भाषा में हुई है। पालि भाषा का प्रचलन 500 ई. पूर्व से लेकर 1 ई. तक माना जाता है। 1 ई. से 500 ई. तक प्राकृत भाषा का प्रचलन रहा। जैन साहित्य की रचना इसी भाषा में हुई थी। इसके बाद 500 ई. से 1000 ई. के कालखण्ड को अपभ्रंश भाषा का काल कहा जाता है। अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ है बिगड़ा हुआ। अपभ्रंश के महान कवियों में स्वयंभू, पुष्पदन्त, धनपाल आदि का नाम आता है। महाकवि विद्यापति की प्रसिद्ध रचना कीर्तिलता एवं कीर्तिपताका भी अपभ्रंश काल की ही हैं। वैसे तो इस अपभ्रंश का साहित्य में प्रयोग 12वीं शताब्दी तक होता रहा किंतु 1000 ई. तक आते-आते यह बोली हिन्दी के रुप में प्रतिष्ठित हो गई। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिन्दी भाषा विभिन्न चरणों में विकसित होती हुई मूलतः संस्कृत से हीं उत्पन्न हुई है। अत: हम हिन्दी को संस्कृत की उत्तराधिकारिणी भाषा कह सकते हैं।
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बहुत सुंदर मित्र!
ReplyDeleteविजय सिंह
हिंदी भाषा की उत्पत्ति की बहुत अच्छी जानकारी दी आपने
ReplyDeleteआर्य और द्रविड़ भाषा की जानकारी, बहुत अच्छी है।
ReplyDeleteउपयोगी एवं तथ्यपरक आलेख.....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहिन्दी भाषा की उत्पत्ति के बारे में उपयोगी व ज्ञानवर्धक जानकारी।इस हेतु बहुत बहुत धन्यवाद सर।
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