अश्क-अरविंद कुमार - Teachers of Bihar

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Friday, 10 April 2020

अश्क-अरविंद कुमार

अश्क
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          "ऐ..दे..ना..मुझे..50 रूपया, ऐ सुनती..नही..है क्या ? ऐ..दे..न मुझे..पचास..रूपैया" मुंह को सिकोड़ते , होठ बिदकाते, नशे से सराबोर, हिलते-डुलते रामधन, अपनी पत्नी  रेवती से बोला ।
कहाँ से लाऊँ पचास रूपैया, लोगों का चुल्हा चौका, जन-मजदूरी कर कुछ पैसै जमा करती हूँ, उससे घर चलाएँ या तेरे दारू का खर्च उठाऊँ? तंग आ गई हूँ मैं तुम्हारे  करतूत से, रेवती आँखों में आंसू भरते हुए पति रामधन से बोली।
"नही..देगी..करम जली..  कब..से..गिडगिड़ा...रहा ..हूँ, आज मैं तुम्हें जान से मार डालूँगा"! इतना बोलते-बोलते रामधन किसी हिंसक जानवर की तरह..रेवती..पर टूट..पड़ा।
बच्चों के बीच चीख पुकार मच गई। रामधन लगातार पत्नी को बेल्ट से पीट रहा था, रेवती किसी असहाय जीव की तरह तड़प रही थी।
मार-पिटाई के बाद रामधन  लड़खराते हुए घर से बाहर निकल गया।
मम्मी..मम्मी..अरशद सर ने नवोदय के लिए मेरा फार्म..भर ..दिये। राजू खुशी का इजहार करते अपनी किताब बेंच पर रखते हुए माँ रेवती से बोला! 
रेवती देवी आँखों से बहते आँसू पोछते हुए दर्द को छिपाकर फीकी मुस्कान बिखेरते हुए बोली- तब तो बहुत अच्छा हुआ।
माँ तुम रो रही हो! नही बेटे बस यूं ही सर में थोड़ा दर्द था, रेवती बोली।
मम्मी! अरशद सर आपको कल स्कूल बुलाए हैं, राजू ने कहा।
(अगले रोज तय समय पर रेवती देवी अरशद मास्टर साहब के पास म.वि.आदिरामपूर, भरगामा पहुँची)।

"देखिये..रेवती जी आपका बच्चा होनहार है, मेहनती है, इसे नवोदय की तैयारी के लिए कुछ दिन रघुवीर बाबू के यहाँ रानीगंज हॉस्टल में भर्ती करवा दीजिये तो ज्यादा बेहतर है। इसके नवोदय की तैयारी वहाँ ठीक तरह से हो जाएगी। जहाँ तक हॉस्टल चार्ज का सवाल है, मैं आपकी माली हालत के बारे में उन्हें समझा दूँगा। वो मेरे अच्छे दोस्त हैं, मेरी बात नही काटेंगे। वैसै रघुवीर बाबू भी गरीबों के प्रति लचीला स्वभाव का इंसान है। बहुत कम पैसे में आपके बच्चे की नवोदय प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरी हो जाएगी। बाकी स्कूल की कागजी प्रकिया मैं देख लूँगा", अरशद सर आत्मविश्वास से बोले।

दूसरे के घर चुल्हा-चौका तथा मेहनत मजदूरी से जो पैसै आते थे उससे पेट काटकर रेवती देवी बेटे की पढ़ाई पर खर्च कर दिया करती थी।

इस बीच अपने शराबी दोस्तों के संसर्ग में आकर रामधन अपनी अय्याशी को मूर्त रूप देने की लालसा से मजदूरी करने के लिए पंजाब चला गया।
बरसों बीत गए अब बच्चों की परवरीश रेवती देवी के ही जिम्मे थी।

इधर दूसरी तरफ राजू की जिद्द व माता रेवती देवी के परिश्रम नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे थे। रेवती जीविका समूह से जुड़कर 1500 रूपये महीने पर अतिरिक्त काम भी शुरू कर दी थी। ये काम उनके आर्थिक सहयोग में संजीवनी साबित हो रही थी। माँ की ममतामयी संघर्ष व राजू की जिद्द के आगे परिस्थितियों को नतमस्तक होना पड़ा। राजू ने नवोदय की प्रवेश परीक्षा पास कर ली।

रेवती देवी अपनी शादी की धुंधली खट्टी-मीठी  यादों के सहारे समय काट रही थी ।
रामधन पारिवारिक झमेले से आजाद होकर एक नई दुनियाँ में अपना बसेरा डाल चुका था।
अब रेवती हीं बच्चों के लिए माँ और बाप दोनों की भूमिका निभा रही थी।

धीरे-धीरे समय बीतता गया, राजू नवोदय विद्यालय अररिया से मैट्रिक की परीक्षा अव्वल दर्जे से पास हो गया। फिर इन्टरमीडीएट तथा स्नातक की परीक्षा पास कर बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की तैयारी में जुट चुका गया।

माता रेवती देवी के पहाड़ की तरह अटल विश्वास के आगे समय को झुकना ही पड़ा। बेटे ने बरसों पहले ही माँ की आँखों में दर्द व जिल्लत की पीड़ा को पढ़ लिया था। राजू के ऊपर माँ को इस तकलीफ से आजादी दिलाने का जूनून सवार हो चुका था, और फिर इस जुनून के रास्ते तो किताबों से होकर ही गुजरते थे। राजू हर हाल में माँ को खुशी प्रदान करना चाहता था। राजू की बरसों की लगन व माता रेवती की तपस्या के फलस्वरूप राजू सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफल हो चुका था।
घर में खुशी का आलम था उसी वक्त एम्बुलेंस की आवाज दरवाजे पर दस्तक दी। परिवार के सभी सदस्य दरवाजे पर आ चुके थे। सामने पंजाब स्वास्थ्य विभाग की मदद से पहुँची रामधन की लाश एम्बुलेंस से निकाली जा रही थी। नशे की हालत में बिजली के शार्ट सर्किट से पंजाब में ही उसकी मौत हो चुकी थी।

आज रेवती एक ऑफिसर की माँ है, मगर खुद की जिन्दगी में बेबा है। सिसकती अंधेरी रात के साथ-साथ रेवती भी रामधन की यादों में छिपकर आँसू बहा लेती है मगर बच्चों की खुशी के लिए ये आँसू अपने तक ही सीमित रखती है।


अरविंद कुमार 
म.वि. रघुनाथपुर गोठ 
भरगामा अररिया
नोट :- घर में रहें, सुरक्षित रहे, लाॅकडाउन के मद्देनजर  सरकारी निर्देशों का पालन करें, आस-पास के जरूरतमंदों की मदद करें।
जय हिंद 👏👏👏👏👏

10 comments:

  1. बहुत सुंदर कहानी!
    विजय सिंह

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  2. बहुत ही मर्मस्पर्शी कथा

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. बहुत ही मर्मस्पर्शी कथा

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  5. Heart teaching and appreciable story.For this story I am very pleased.

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  6. सभी विद्वान भाइयों को अरविंद भरगामा की ओर से शुक्रिया

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  7. Wow.. Words of the story expressing the reality's of our surrounding. Its a very awesome story.
    Thanks

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