Wednesday, 29 April 2020
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धरती के भगवान-कमलेश कुमार
धरती के भगवान
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मेरे कष्ट तू मिटा दे, दुनियाँ बनाने वाले,
यह डोर जिंदगी की, मेरे श्याम के हवाले॥
उपर्युक्त पंक्तियाँ निश्चय ही भगवान के संबंध में हमारे हृदय उद्गार हैं। जब भी हममें से किसी पर कष्ट या दुःख आता है तो हम अपने धर्म के अनुसार भगवान को याद करते हैं। जरा सोचिए भगवान का और पूजा स्थल का कि हम कितना ध्यान रखते हैं, कितना सम्मान करते हैं। ऐसा इसलिए कि भगवान हमारे कष्टों को मिटाते हैं, हमारा दुःख दूर करते हैं, ऐसा हमें विश्वास है।
साथियों धरती पर एक और ऐसा प्राणी है जो हमारा कष्ट और दुख दूर करता है जिसे हम डॉक्टर के नाम से जानते हैं। रोग दुःख के चलते लगभग सारी मानवता कष्ट झेलती है और इस कष्ट का निराकरण या निवारण जो करता है, वह है डॉक्टर।
मित्रों गब्बर सिनेमा का वह दृश्य जिसमें मृत व्यक्ति को भी भर्ती कर कुछ लोगों द्वारा धन उगाही का प्रयास किया जाता है को देखकर डॉक्टरों के प्रति मन मैला अवश्य हो जाता है लेकिन आज इस वैश्विक महामारी कोरोना में डॉक्टरों के समर्पण भाव से रोगियों की सेवा से वह दृश्य स्वतः ही धूमिल हो जाता है। आज मेरे मन में उनकी छवि एक कष्ट मिटाने वाला, दुख हरण करने वाला, रोग नाशक इत्यादि भगवान के पर्यायवाची रूप में उभरता है। कुछ लोगों का मानना है कि धरती पर भगवान नहीं है। लॉकडाउन के कारण मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों और गुरुद्वारों में ताला बंद होते देखकर कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि मानव मात्र पर संकट आता देख भगवान ने अपने दरवाजे बंद कर लिए। मित्रों जो ऐसा मानते हैं उनके लिए एक कवि की चंद पंक्तियां मैं उन्हें समर्पित कर रहा हूँ--
मैं ढूंढता तुझे था, जब कुंज और वन में, तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में।
तू आह बन किसी की मुझको पुकारता था, मैं था तुझे बुलाता संगीत में भजन में।
भले ही हम भगवान को कहीं किसी पूजा स्थल पर खोजते लेकिन उपर्युक्त पंक्तियों पर विचार करने से मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान हमेशा ही गरीबों, दुःखी लोगों और असहाय लोगों की जहाँ सहायता होती है, जो सहायता करता है, जो देख-रेख करता है और जो उनकी सेवा करता है, भगवान उसमें होते हैं और आज मुझे लगता है कि भगवान इन सफेद कोट वाले डॉक्टरों के रूप में हमारे बीच उपस्थित होकर इस महान संकट की घड़ी में हमारी सहायता कर रहे हैं।
अतः मैं आप सभी बच्चों, अभिभावकों और शिक्षक बंधुओं से विनम्र अनुरोध करता हूँ कि इस धरती के भगवान को हम सादर नमन करें। उन्हें यथोचित सम्मान दें और उनके कार्यों में सहयोग करें।
सादर अभिवादन के साथ!
कमलेश कुमार
सहायक शिक्षक
मध्य विद्यालय केवढ़ी
प्रखंड कुदरा, जिला कैमूर
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बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबिल्कुल देश के चिकित्सकों को नमन 🙏
ReplyDeleteबहुत बढ़िया👌👌
ReplyDeleteसही में डाॅक्टर हीं तो देवदूत बनकर हमारी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery congratulation Kamlesh Bhai about knowledge of 'Lord of land'.
ReplyDeleteबेहतरीन..
ReplyDeleteडॉक्टर भगवान का ही दूसरा रूप है , जो इस इस धरती पर रोग पीड़ित लोगों के कष्टो को दूर कर उन्हें जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
ReplyDeleteधरती के भगवान चिकित्सक समुदाय के प्रति हमें हृदय से आभार व्यक्त करने तथा उनके प्रति आस्था रखने रखने हेतु प्रेरित करने में यह रचना पूर्णतः सफल। कमलेश जी को हार्दिक शुभकामनाएं एवम् बधाई । परमानन्द कुदरा ।
ReplyDeleteआपके आलेख से आमजनो के नजरिए मे डाक्टर के प्रति बदलाव आएगा ।
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