Tuesday, 28 April 2020
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शिक्षक समाज का अभिन्न अंग--विमल कुमार(विनोद)
शिक्षक समाज का अभिन्न अंग
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शिक्षक जो कि समाज का एक अभिन्न अंग होता है जिनके कंधों पर संपूर्ण विश्व की शिक्षा व्यवस्था के विकास का पूर्ण दारोमदार होता है। शिक्षाविद होने क साथ-साथ वह एक कुशल चिंतक भी होता है, जो हर समय बालक-बालिका, परिवार, समाज, प्रांत, देश के संबंध में चिंतन करता रहता है। शिक्षा लोगों के विकास के लिए आवश्यक माना जाता है क्योंकि विश्व की संपूर्ण समस्याओं की जननी अशिक्षा ही होती है। समाज से इस अशिक्षा को दूर करने में माता-पिता, अविभावक, परिवार के साथ-साथ शिक्षक की प्रमुख भूमिका होती है। बच्चा जब धीरे-धीरे बड़ा होकर छः वर्ष की उम्र में विद्यालय जाता है तो वहाँ उसकी भेंट शिक्षक नामक विश्व निर्माता से होती है जो विद्यार्थी की अँगुली पकड़ कर सिखाने का प्रयास करते हैं। कठिन मेहनत करने के बाद बालक-बालिकाएँ सीखने का प्रयास करने लगते हैं। समय से विद्यालय जाकर घंटों वर्ग कक्ष के अंदर खड़े होकर बच्चे-बच्चियों में ज्ञान का बाँटने का काम करना सिर्फ शिक्षक के द्वारा ही संभव है।
संपूर्ण विश्व में माता-पिता के अलावा यदि कोई विद्यार्थियों का शुभचिंतक है तो वह सिर्फ़ शिक्षक ही है जो प्रतिदिन बिना गर्मी, जाड़ा, बरसात की परवाह किये समय से विद्यालय आकर बच्चों को ज्ञान बाँटने का काम करते हैं।
प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय एवं भविष्य तक शिक्षक समाज का एक अभिन्न अंग रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का प्रयास कर रहे हैं। मुझे लगता है कि माता-पिता के बाद शिक्षक का कार्य ही एक ऐसा कार्य है जो समाज के बच्चों को नैतिकवान, अनुशासन प्रिय, कुशल व्यक्तित्व के निर्माता, भविष्य का निर्माता तथा जीवन के सफल मार्गदर्शन कर्ता के रूप में कार्य करते हैं। वर्तमान समय में जब विश्व के साथ-साथ संपूर्ण भारत वर्ष में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है वैसी परिस्थिति में शिक्षक समुदाय के द्वारा अपने वेतन का कुछ भाग, पारिवारिक खर्च से बचाकर भारत के प्रधानमंत्री के आपदा प्रबंधन कोष तथा बिहार के मुख्यमंत्री के आपदा प्रबंधन राहत कोष में भेंट(दान) स्वरूप प्रदान करके विश्व के मानचित्र में एक मिसाल प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह शिक्षक समुदाय के लिये सुनहरे पल के रूप में याद किया जाएगा। इन सभी बातों के अलावे शिक्षक समुदाय सरकार के प्रत्येक कार्य में आगे बढ़कर सहयोग करते हुए सरकार का हौसला बुलंद करने का प्रयास करते हैं।चाहे समाज में फैली समस्याओं के समाधान की बात हो, चाहे विपदा की घड़ी हो। शारीरिक, मानसिक, आर्थिक दान देकर असहाय, गरीब-दुःखी लोगों के कल्याण की बात हो शिक्षक समुदाय ने आगे बढ़-चढ़कर जो आर्थिक, शारीरिक और मानसिक रूप से सहयोग किया है, वह अविस्मरणीय है।
चुँकि शिक्षक समाज ही एक ऐसा समाज है जो अपने जीवन के सुनहरे पल का प्रयोग समाज, राष्ट्र तथा विद्यार्थी के हित में कार्य करते हुए अपनी जिन्दगी के संपूर्ण पल को न्योछावर करने का प्रयास करते हैं इसलिए मैं उनके उल्लेखनीय कार्यों को कोटि-कोटि बार नमन करते हुए अपनी इस लेखनी को विराम प्रदान करता हूँ।
विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक
राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा, बांका
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शिक्षक के समाज में जो नजरिया पिछले कुछ दशकों में बदला है उसमें परिवर्तन लाने के लिए शिक्षकों को बहुत प्रयास करने होंगे।
ReplyDelete_ravi raushan
शिक्षक के प्रति
Deleteबहुत हीं सराहनीय आलेख!
ReplyDeleteसच में एक शिक्षक समाज, प्रांत तथा राष्ट्र की दिशा को बदल सकते हैं। शिक्षा में नई बहार ला सकते हैं। लेकिन इस हेतु वर्तमान में बहुत कोशिश करने की जरूरत है। सकारात्मक प्रयास नया रंग ला सकता है। हमें भी स्वयं में अपेक्षित सुधार लाना होगा।
ReplyDeleteसराहनीय लेख। धन्यवाद
ReplyDeleteशानदार जबरदस्त जिन्दाबाद
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