Friday, 1 May 2020
New
अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर (श्रमिक) दिवस-पूजा कुमारी
अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर (श्रमिक) दिवस
=======================
"दुनियाँ के मज़दूरों एक हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ नहीं है सिवाय तुम्हारी बेड़ियों के, और पाने को पूरा संसार है"!
मज़दूरों के गॉडफादर (मसीहा) कहे जाने वाले कार्ल मार्क्स की इस गर्जना ने मज़दूरों की बद्तर ज़िंदगी का कायाकल्प कर दिया। मज़दूर और मार्क्स एक-दूसरे के पूरक हैं। एक की बात हो और दूसरे का ज़िक्र न हो तो वो अधूरा-अधूरा सा लगता है। हालाँकि मार्क्स के पहले भी मज़दूर हित की बात होती थी लेकिन मार्क्स ने विचारों की ऐसी क्रांति पैदा की जिसने मज़दूरों को जानवरों से भी बद्तर हालात से निकलकर खुद के लिए सम्मानजनक जीवन के लिए लड़ने का साहस दिया।
1 मई 1886 को शिकागो (अमेरिका) के हेमार्केट में काम के घण्टे सीमित करने (आठ घण्टे) और सप्ताह में एक दिन के अवकाश के लिए संघर्षरत मज़दूरों ने थक-हारकर हिंसात्मक उपाय अपनाया। उनमें से एक मज़दूर ने बम फोड़ दिया और अफरा-तफरी मच गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने गोलियाँ चलाई जिसमे कुछ पुलिस अफसर सहित कई मज़दूर मारे गए। इसके कुछ वर्षों बाद जुलाई 1889 में पेरिस में यूरोपियन समाजवादी दलों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हेमार्केट के मज़दूरों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए 1 मई 1890 से प्रत्येक वर्ष "अंतरराष्ट्रीय श्रमिक व एकता दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया, तब से प्रत्येक वर्ष इसे मनाया जाता है। भारत में 1 मई 1923 से इसे कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाने लगा। विश्व के लगभग 80 देशों में इस दिन राजकीय अवकाश होता है। समय के साथ मज़दूरों के हितों की रक्षा हेतु 'अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन' , 'अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग' जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी अस्तित्व में आए और आज एक स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था के निर्माण में इनका अहम योगदान है। स्वतंत्रता के पश्चात हमारे 'संविधान' में भी मज़दूर हित के संवर्धन और मानव गरिमा की रक्षा हेतु अनेक प्रावधान किए गए।
जैसे समाज में हम रहते आए हैं और जिस प्रकार का हमारा सामाजिक परिदृश्य है, उसमें 'मज़दूर' शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसे इंसान की छवि घूमने लगती है, जो गरीबी और बदहाली की ज़िंदगी जी रहा हो, जो जून-जुलाई की लू चलती दोपहरी में ईंट-भट्ठे पर काम कर रहा हो, जो तपती दोपहरी में खेतों में काम कर रहा हो, जो सर पर बोझा उठाए ज़िन्दगी को ढो रहा हो, जो पटरी पर बैठकर सामान नहीं मानो अपना भूख बेच रहा हो, जो कमज़ोर कंधों पर ज़बरदस्ती बल डालकर गली-गली सब्ज़ी बेच रहा हो, जो ऑटो स्टैंड में रिक्शा लिए मायूसी से आपकी तरफ देख रहा हो ताकि आप उनकी सवारी बन जाएँ, जो ढाबे पर आपके नास्ते की प्लेट साफ कर रहा हो, जो नवजात को गोद में लिए आपसे भुट्टे लेने की गुहार लगा रही हो, जो हाथ में गुब्बारा थामे आपसे गुब्बारा खरीदने की विनती कर रहा हो, जो रेलवे स्टेशन के बाहर जूते पॉलिश कर रहा हो, आदि-आदि..। लेकिन वास्तव में हममें से हर इंसान एक मज़दूर है। किसी की मजदूरी दैनिक आधार पर तय होती है तो किसी की मासिक आधार पर और किसी की उसके कार्य के घण्टों के आधार पर तय होती है लेकिन अन्ततः हर व्यक्ति जो अपनी जीविका चलाने के लिए आर्थिक गतिविधियों में व्यस्त है, वो मज़दूर हैं। कोई भी निम्न या श्रेष्ठ नहीं ! कोई वर्गीकरण नहीं, कोई भेद नहीं!
मज़दूर कहें या श्रमिक, वो उस धागे की तरह हैं जिनके बिना मोतियाँ चाहे हीरे की ही क्यों न हो, वो कभी माला नहीं बन सकती। 'मज़दूर' का शाब्दिक अर्थ है- "श्रम से अपनी जीविका चलाने वाला व्यक्ति" और हम सब प्रतिदिन श्रम कर रहे हैं। चाहे वो शारीरिक हो, मानसिक हो या उसका कोई और प्रकार ही क्यों न हो। अंततः हम सब श्रम के द्वारा ही अपना पेट पालते हैं।
अंत में हर एक नागरिक को, जो अपनी ज़िम्मेदारी समझता है, 'अंतरराष्ट्रीय मज़दूर (श्रमिक) दिवस' की ढेर सारी शुभकामनाएँ! अपने आस-पास की हर उस दीवार को तोड़िए जो आपमें और दूसरों में भेद पैदा करता हो! ऊँच-नीच, गरीब-अमीर, छोटे-बड़े जैसी मानसिकता को बल देने वाले हर विचार का प्रतिरोध कीजिए, हर असम्मानजनक बात का तिरस्कार कीजिए! बनाने वाले (कुदरत) ने कोई भेद नहीं किया तो फिर हमारी औकात ही क्या है ? इस त्रासदी (कोरोना महामारी) में हर इंसान को सम्मान दीजिए क्योंकि वो डिज़र्व करते हैं, तभी "मज़दूर दिवस" के कुछ अर्थ बनते हैं अन्यथा कैलेंडर की अन्य तारीखों की तरह 'एक मई' भी महज़ एक तारीख़ ही है!
पूजा कुमारी
मध्य विद्यालय जितवारपुर
अररिया
About ToB Team(Vijay)
Teachers of Bihar is a vibrant platform for all who has real concern for quality education. It intends to provide ample scope and opportunity to each and every concern, not only to explore the educational initiative, interventions and innovations but also to contribute with confidence and compliment. It is an initiative to bring together the students, teachers, teacher educators, educational administrators and planners, educationist under one domain for wide range of interactive discourse, discussion, idea generation, easy sharing and effective implementation of good practices and policies with smooth access.
ToBBlog
Labels:
Blogs,
Teachers of Bihar,
Teachers of Bihar Blogs,
ToBBlog
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Well wrote puja mam
ReplyDeleteThank you Sir!
Deleteबहुत ही सार्थक एवं सटीक लेख। धन्यवाद।।
ReplyDeleteधन्यवाद सर!
Deleteबहुत-बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteधन्यवाद सर!
Deleteमुझे पहली बार आज ब्लॉग पढ़ने की इच्छा हुई। इसके पहले मैं ब्लॉग का लिंक देखता था पर पढ़ता नहीं था। समय अभाव कहिये या अपने धुन में रमा हुआ कहिये। पर आज दूसरा ब्लॉग आपका पढ़ा। आपकी लेखनी बहुत शानदार है। मस्त...बोले तो ऐसा अनुभव हुआ जैसे आपके शब्दों के साथ साथ मैं भी वहीं पहुंच गया। शानदार... आप चाहें तो किसी टॉपिक पर ज्ञान दृष्टि या ई संग्रह में भी योगदान करें ताकि बच्चे सदैव आपके लेखनी का लाभ लें सकें।
ReplyDeleteधन्यवाद सर! मैं ज़रूर प्रयास करुँगी.
Deleteसच में, अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के बारे में आपने सटीक, सारगर्भित व सुन्दर आलेख लिखा है। जो भी आर्थिक गतिविधियों में अपनी जीविका चलाने हेतु लिप्त हैं वो मज़दूर ही हैं। हमें उनके साथ भेदभाव की नीति नहीं अपनानी चाहिए।
ReplyDeleteधन्यवाद सर!
Deleteआपका लेखन कौशल,जानकारी और अनुभव मुझे काफी प्रेरित करता है।सैल्युट।
ReplyDeleteधन्यवाद सर!
Deleteवास्तव मे आपने श्रमिकों को आपने परिभाषित किया ।
ReplyDeleteशानदार,जबरदस्त,जिन्दाबाद।
ReplyDelete