मेरा एक सपना है--सहदेव कुमार - Teachers of Bihar

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Friday 24 April 2020

मेरा एक सपना है--सहदेव कुमार

मेरा एक सपना है
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          मैं एक ऐसे समाज में जीना चाहता हूँ जहाँ समाज के सभी लोगों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम हो, मिठास हो, भाईचारा हो, हीन भाव न हो, चाहे वे किसी भी जाति-धर्म के हों। जाति-धर्म या रंग-रूप के आधार पर समाज में विभेद न हो। परिवार में मिठास हो, कटुता नहीं। परिवार संयुक्त हो, एकल नहीं। धन-दौलत, जमीन-जायदाद के लिये अमानवीय घटनाएँ न हों"।
          मैं क्या बनना चाहता हूँ? -- बात उस समय की है जब मैं "ठाकुर प्रसाद उच्च माध्यमिक विद्यालय, बिहटा (पटना)" में वर्ग lX (C) - वर्ग X (C) में पढ़ता था। हमारे वर्ग-शिक्षक 'श्री रामाशंकर सर' थे जो कि संस्कृत और हिन्दी साहित्य के एक प्रसिद्ध विद्वेता हैं। मैं उनको अपना आदर्श शिक्षक मानता हूँ। वे हमेशा महापुरुषों के जीवन-परिचय देकर, कविताओं के भावार्थ बतलाकर हमेशा समझाते रहते थे कि - "कैसे हमारे अंदर नैतिक विकास हो, कैसे हमारे अंदर चरित्र-निर्माण हो, कैसे हम विषम परिस्थितियों में भी विचलित न हों, कैसे हम अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हों"। उनका कथन है कि - "पाठ्यक्रम में दिए हुए पाठ्य-पुस्तकों को पढ़कर उत्तीर्ण हो जाना ही शिक्षा नहीं है बल्कि उसे अपने जीवन में उतारना शिक्षा है। शिक्षा का अर्थ बहुत ही व्यापक है। शिक्षा हमें जीना सिखाती है। शिक्षा हमें मानवता सिखाती है"। मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत ज्यादा प्रभावित हूँ। मुझे उन्हीं से एक शिक्षक बनने की प्रेरणा मिली।
          मैं एक शिक्षक क्यों बनना चाहता हूँ? -- शिक्षण एक महान पेशा है। मेरा मानना है कि "कोई भी व्यक्ति अपने छात्र-जीवन में जिनसे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ होगा वह शिक्षक ही हैं। शिक्षक का कर्त्तव्य  केवल पाठ्य-पुस्तकों को पढ़ाना ही नहीं बल्कि बच्चों में अनुशासन लाना, नैतिक विकास करना, चरित्र-निर्माण करना, सही-गलत की समझ पैदा करना, आत्मनिर्भर बनाना, छुपी हुई प्रतिभा को पहचानना और उसे निखारना आदि भी है"।
          हमारा समाज इस समय दो प्रमुख समस्याओं का सामना कर रहा है -- अंधविश्वास और अशिक्षा। समाज अगर शिक्षित होगा तो बहुत सारे सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों का अंत हो सकेगा। जीवन में धन कमाना ही हमारा एकमात्र लक्ष्य नहीं होना चाहिए। किसी भी राष्ट्र और समाज का भविष्य शिक्षक के ही हाथों में है। मैं उस हाथ को मजबूत बनाना चाहता हूँ। विद्यार्थी देश की नींव है। मैं उस नींव को मजबूत बनाना चाहता हूँ। मैं एक शिक्षक बनकर देश के बच्चों को शिक्षित करना चाहूँगा। मैं अपने छात्रों को संस्कारी, अनुशासित, सदाचारी, देशभक्त एवं चरित्रवान बनाना चाहूँगा। मैं अपने छात्रों के एक सच्चे मित्र एवं मार्गदर्शक बनना चाहूँगा। 

     [  मैं एक अच्छा इंसान बनना चाहता हूँ  ]
     [ मैं एक अच्छा शिक्षक बनना चाहता हूँ ]




सहदेव कुमार 
(एक छात्र)
समस्थु स्थान बिहटा, पटना
मोबाईल न०- 7991171553
ईमेल:- kumarsahdev9911@gmail.com

6 comments:

  1. अगली पीढ़ी के लेखक! लगे रहो बेटा।
    विजय सिंह

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद @विजय सर

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  2. बहुत सुंदर आलेख

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  4. अच्छा लगा । शुभकामनाएं ।

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