पृथ्वी दिवस-हर्ष नारायण दास - Teachers of Bihar

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Wednesday 22 April 2020

पृथ्वी दिवस-हर्ष नारायण दास

पृथ्वी दिवस
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          पृथ्वी एक जीवनदायिनी ग्रह है। भारतीय संस्कृति में धरती को माता की संज्ञा दी गयी है। पृथ्वी को धरा, वसुन्धरा, भू, भूमि, महि, मेदिनी, अवनि, अचला, धरणी, जमीन, निश्चला, रत्नगर्भा, रत्नावती, वसुधा, वसुमती, विपुला, श्यामा, सागर मेखला, क्षितिज, उर्वी कहकर भी पुकारा गया है।
          पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने नारदजी को बताया कि जब माँ दुर्गा ने मधु और कैटभ नामक असुरों का वध किया तब उनके शरीर से "मेद'' निकला जो सूर्य के तेज से सुख गया, इस कारण पृथ्वी को "मेदिनी" भी कहा जाता है।
          पृथ्वी सौरमण्डल का एक ग्रह है। सूर्य से दूरी के अनुसार यह तीसरा ग्रह है। आकार के अनुसार सौरमण्डल का पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है। यह शुक्र और मंगल ग्रह के मध्य स्थित है। यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1610 किलोमीटर प्रति घंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है।
यह सौरमण्डल का इकलौता ग्रह है जहाँ जीवन संभव है। इसे "नीला" ग्रह कहकर भी संबोधित किया जाता है।इसका औसत तापमान 15 डिग्री सेल्सियस और घनत्व 5.52 प्रति घनमीटर है। इसपर मौजूद पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं को बचाने के लिये तथा दुनियाँ भर में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अमेरिका के लाखों लोगों ने पहली बार 1970 में पृथ्वी दिवस मनाया गया था, उसी दिन से प्रति वर्ष 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।
          पृथ्वी दिवस कार्यक्रम की शुरुआत के पीछे एक  भारी तेल रिसाव की त्रासदी थी। इस त्रासदी ने स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल और संकटग्रस्त प्राणियों की रक्षा के लिए, जन चेतना बढ़ाने के लिए तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नेतृत्व करने की प्रेरणा दी। 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने का सुझाव अमेरिका के विंस्कॉन्सिन सीनेटर गेलार्ड नेलसन ने दिया था जिसके कारण उन्हें राष्ट्रपति मेडल से सम्मानित भी किया गया।
          बिहार राज्य के राजगीर के रहने वाले भारतीय राजनायिक अभय कुमार ने पृथ्वी गान को लिखा जो यूनेस्को द्वारा स्वीकृत आधिकारिक गान है जिसे वायलीन वादक डॉ० एल० सुब्रह्मण्यम ने संगीतबद्ध किया और स्वर दिया कविता कृष्णमूर्ति ने। प्रस्तुत है पृथ्वी गान--
"ब्रह्माण्ड की नीली मोती धरती।
ब्रह्माण्ड की अद्भुत ज्योति धरती।
सब महाद्वीप, महासागर संग-संग
सब वनस्पति, सब जीव संग-संग
संग-संग पृथ्वी की सब प्रजातियाँ
काले, सफेद, भूरे, पीले अलग-अलग रंग।
इन्सान हैं हम, धरती हमारा घर।
ब्रह्माण्ड की नीली मोती धरती
ब्रह्माण्ड की अद्भुत ज्योति, धरती
एक के संग सब सौर एक सबके संग।

सब लोग, सब राष्ट्र संग-संग
आओ सब मिलकर नीला झंडा फहराएँ।
आओ सब मिलकर पृथ्वी गान गाएँ।
काले सफेद भूरे पीले अलग-अलग रंग।
इन्सान हैं हम, धरती हमारा घर।''

पृथ्वी दिवस पर कुछ नारा
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पृथ्वी है हमारी माता।
जिस पर हर मनुष्य अपना जीवन बिताता।।
जब रखोगे पर्यावरण का ख्याल।
तभी धरती होगी खुशहाल।।
पृथ्वी है जीवन का सार।
इसके प्रति रखो निश्छल प्यार।
पृथ्वी पर हरियाली होगी। 
तो जीवन में खुशहाली होगी।।
धरती माँ करे पुकार।
हरा भरा कर दो संसार।।
पृथ्वी को तुम बंजर न बनाओ।
हर जगह कूड़ा कचरा न फैलाओ।।
पृथ्वी है जीवन का सार।
जिसमें बसता सारा संसार।।
धरा नहीं होगी तो सब 
धरा का धरा रह जायेगा।।
पृथ्वी हमारी माता है।
ये इतिहास बताता है।।
पृथ्वी हमारी जननी है।
अब हमें इसकी रक्षा करनी है।।
दिल लगाने से अच्छा है कि पौधे लगाएँ।
वो घाव नहीं देंगे, कम से कम छाँव तो देंगे।
सभी का यही कहना है, पेड़ धरती का गहना है।।
जब हरियाली छाती है, जीवन में खुशियाँ आती है।
          विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण  से आज नए-नए खतरे पैदा हो रहे हैं। रोजाना घटती हरियाली और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से प्रकृति का मौसम चक्र भी अनियमित होता जा रहा है।अगर समय रहते कोई उपाय नहीं किये गए तो समस्याएँ विकराल रूप धारण कर लेगी। इसलिए हम सबों को पृथ्वी बचाने में भागीदारी निभानी होगी।
          ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण धरती का मौसम बदल रहा है। जंगलों के नष्ट होने, प्लास्टिक का उपयोग करने से एवं देश में बढ़ता प्रदूषण धरती के लिए घातक होता जा रहा है। समय रहते पृथ्वी पर बढ़ रहे प्रदूषण पर अंकुश नहीं लगाया गया तो विनाश से कोई नहीं रोक सकता। असमय जलवायु परिवर्तन होना बढ़ते प्रदूषण की वजह से ही है। वो समय दूर नहीं जब हवा जहरीली हो जाएगी और इन्सान को सांस लेने और पानी पीने की भी कीमत चुकानी पड़ेगी। पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन का उपयोग बन्द कर दें।कागज का इस्तेमाल कम करें। रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें। घर में पानी का संरक्षण जरूर करें। बिजली बनाने में कोयला और प्राकृतिक गैसों का  सर्वाधिक इस्तेमाल  होता है जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है इसलिए जितना हो सके कम से कम बिजली का इस्तेमाल करें।बचे हुए खाने जूठन खाद्य सामग्रियों को कूड़े में  फेंकने की जगह कहीं इकट्ठा कर के वानस्पतिक खाद बनाने की आदत डालें। इसे आप अपनी बागवानी में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएँ। जीव-जंतुओं के प्राकृतिक निवास स्थल जैसे- जंगल, सागर तट इत्यादि को अशान्त या अस्त-व्यस्त न करें।
अंत में पृथ्वी दिवस की शुभकामनाओं के साथ..


हर्ष नारायण दास
फारबिसगंज
अररिया (बिहार)
मो०- 8084260685

1 comment:

  1. बहुत-बहुत सुन्दर !
    विजय सिंह

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