वीर कुँवर सिंह-रंजेश कुमार - Teachers of Bihar

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Thursday, 23 April 2020

वीर कुँवर सिंह-रंजेश कुमार

वीर कुँवर सिंह 
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          इतिहास में तथ्यों को आधार मानकर बीते कल को बयाँ किया जाता है। घटना के साक्षी कई पात्र होते हैं और घटनाओं के साथ-साथ कई घटनाएँँ चलती रहती हैं। सन् 1857 का विद्रोह भारत के इतिहास में हमेशा अपनी अमिट छाप बनाए रखेगा। इस लड़ाई ने आजादी के लिए अनवरत लड़ने की प्रेरणा दी और संघर्ष का नया रास्ता दिखाया। विद्रोह में ऐसे महानायक की श्रेणी में महत्वपूर्ण रूप से जगदीशपुर रियासत के राजा वीर कुँवर सिंह का नाम शामिल है। बाबू कुँवर सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक नेतृत्ववकर्ताओं में से एक थे। इनके चरित्र की सबसे बड़ी ख़ासियत यही थी कि इन्हें वीरता से परिपूर्ण कार्यों को करना ही रास आता था। इतिहास प्रसिद्ध 1857 की क्रांति में भी इन्होंने सम्मिलित होकर अपनी शौर्यता का प्रदर्शन किया।उन्होंंने रीवा के ज़मींदारों को एकत्र किया और अंग्रेज़ों से युद्ध के लिए तैयार किया। तांत्या टोपे से भी इनका सम्पर्क था।
          कुँवर सिंह बिहार राज्य में स्थित जगदीशपुर के जमींदार थे। उनका जन्म सन 1777 ई. में बिहार के भोजपुर जिले के  जगदीशपुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबू साहबजादा सिंह था। इनके पूर्वज मालवा के प्रसिद्ध शासक महाराजा भोज के वंशज थे।
          इन्होंने 23 अप्रैल 1857में जगदीशपुर के पास अंतिम लड़ाई लड़ी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भाड़े के सैनिकों को इन्होंने पूरी तरह खदेड़ दिया। उस दिन बुरी तरह घायल होने पर भी इस बहादुर ने जगदीशपुर किले से अंग्रेजी सासन का "यूनियन जैक" नाम का झंडा उतार कर ही दम लिया। वे भारत के एक महान योद्धा और सच्चे वीर सपूत थे जिन्होंने 80 साल की उम्र में अंग्रेजों को अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर यह एहसास दिलवा दिया था कि वे भारत में ज्यादा दिन तक राज नहीं कर पाएँगे।
          गुलाम भारत को आजाद करवाने की पहली लड़ाई के दौरान बाबू वीर कुँवर सिंह  ने 23 अप्रैल, 1857 को अपने अदम्य साहस और बहादुरी से भोजपुर (आरा) जिले के जगदीशपुर में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे और जगदीशपुर में ब्रिटिश झंडे "यूनियन जैक" को हटाकर अपना झंडा फहराया था l इसलिए 23 अप्रैल को उनकी जयंती को "शौर्यदिवस" के रुप में मनाया जाता है।



रंजेश कुमार
प्राथमिक विद्यालय छुरछुरिया 
फॉरबिसगंज, अररिया

3 comments:

  1. बिहार गौरव बाबू कुंवर सिंह की वीरता आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। उनके अदम्य साहस और बलिदान से पूरा देश उनका ऋणी है। तथ्यपरक एवं उपयोगी आलेख हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.....

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  2. बहुत-बहुत सुन्दर आलेख!
    विजय सिंह

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  3. वाह बहुत ही शानदार आलेख ....हार्दिक बधाई

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