कल्पना करो-अरविंद कुमार "गौतम" - Teachers of Bihar

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Wednesday, 27 May 2020

कल्पना करो-अरविंद कुमार "गौतम"

कल्पना करो
        
          कवि ने कहा है "कल्पना करो, नवीन कल्पना करो"। कल्पना ही वास्तविकता में बदलता है। कल्पना ही आविष्कार को जन्म देता है। हमारी आवश्यकता, हमारी जरूरत, हमारे सुख सुविधा की आवश्यकता हमें कल्पना की ओर उन्मुख करती है और फिर यही कल्पना लंबी सोच, प्रयोग अंततः आधुनिक वस्तुओं से हमें लैस कर सका है। अतः वास्तविकता के धरातल पर उतरने के लिए कल्पना नितांत आवश्यक है। कल्पना क्रिएटिवीटी, नई सोच, नई उर्जा यही तो वह गुण है जो हमें अन्य प्राणियों से अलग बनाती है। हम कल्पना करें, सृजनात्मक बनें, आगे बढ़े, अपने सफलता के नए-नए मुकाम हासिल करें, जो बिना कल्पना के संभव कतई नहीं है। कल्पना और सपना विकास का यही रास्ता है।
          कल्पना, नवीन कल्पना, नवीन सोच प्रायः बढ़ते उम्र के साथ कम होती जाती है। हम समझौतावादी होने लगते हैं। हमें जो कुछ दिखता है, जो कुछ आसान होता है, उसे ही स्वीकार करने लग जाते हैं। यही  हमारे विकास के राह में रोड़ा होता है। इन कल्पनाओं  के साथ जीने, इन्हें आगे बढ़ाने, इस संबंध में सोचने की जो क्षमता बचपन में होती है वह धीरे-धीरे लुप्त होती चली जाती है। इसके कारण भी कई सारे होते हैं। अधिकांश बार तो कल्पना से हमारी वास्तविकता कई प्रकार से बार-बार टकराती है। हम यह महसूस करने लग जाते हैं किए कल्पनाएँ बेवजह की चीजें हैं। अतः बच्चे काल्पनिक हों, उनमें सृजनात्मक सोच हो, नई-नई खोज कर सकें। इसके लिए बच्चों के कल्पनाओं को साकार होने, उनके जिज्ञासा को शांत करने के प्रयास भी जरूर होने चाहिए।
          कल्पना व नई सोच से कोविड-19 और एच. आई. वी. के वैक्सीन और दवाईयाँ भी शीघ्र तैयार कर वास्तविकता के मुकाम पर पहुँचा जाएँगे। वैज्ञानिक की कल्पना ने हीं हमें आकाश में उड़ने के काबिल बनाया, चाँद पर पहुँचाया, दूर देश की यात्रा मिनटों में संभव बना दिया। बिजली, कपड़ा, गाड़ियाँ, एसी, कूलर, फ्रिज सब कुछ कल्पना का हीं तो कमाल है। बड़े-बड़े उद्योग धंधों के जाल, पटरियों पर सरपट दौड़ती रेलगाड़ियाँ, कल्पना के सागर में गोते लगाकर ही वास्तविकता के धरातल पर उतर सके हैं। बच्चों को कल्पना की ऊँचाई पर सोच के पंख लगाकर उड़ने दें और उनके कल्पना के साकार होने के लिए प्रोत्साहन भरी थपकी जरूर लगाएँ। हमारा देश हमारी भारत माता लाखों आइंस्टीन और जगदीश चंद्र बोस की प्रतीक्षा कर रही है।


अरविंद कुमार "गौतम" 
मध्य विद्यालय न्यू डिलियाँ 
डेहरी रोहतास

5 comments:

  1. कल्पना आविष्कारों को ,नए विचारों को ,नई संभावनाओं को जन्म देती है
    बहुत खूब बहुत सुंदर लिखा है आपने🙏

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  2. अतिसुंदर अतिसुंदर!

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  3. कल्पनाओं की उड़ान ही सृजनात्मकता को भी जन्म देती है।😊
    बहुत खूब 💐

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  4. बहुत अच्छी रचना है सर

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