बच्चा और सुंदर लिखावट-अरविंद कुमार "गौतम" - Teachers of Bihar

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Friday, 8 May 2020

बच्चा और सुंदर लिखावट-अरविंद कुमार "गौतम"

बच्चा और सुंदर लिखावट
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          बच्चा जब विद्यालय जाता है या यूं कहें कि अपना पुस्तक ज्ञान प्रारंभ करता है तो शिक्षा शास्त्रियों के मतानुसार हम सुबोपलि का रास्ता पकड़कर उसे शिक्षा प्रदान करने का कार्य प्रारंभ करते हैं। अंतिम 'लि' यानी लिखने की प्रक्रिया जब बच्चा प्रारंभ करता है तो वह जैसे-तैसे लिखना शुरू करता है। अगर हम शिक्षक उस पर ध्यान नहीं देते हैं तो यह आदत आजीवन उसमें घर कर जाती है और बच्चे  की लिखावट पूरे जीवन पर्यंत खराब ही रह जाती है। दरअसल मैंने भी बचपन में अपने अभिभावक से खराब लिखावट के लिए ही मार खाया था जो आज तक नहीं सुधरा परंतु लिखावट को सुंदर बनाने के लिए हम निम्नांकित प्रक्रिया अपना सकते हैं जिससे 90% बच्चा सुंदर लिखने सीख सकता है।
१) बच्चे को लिखने में परेशानी इस कारण होती है यानि उसका सुंदर लिखावट इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि बच्चा अपने हाथ को ठीक से सभी दिशाओं में घुमाना नहीं जानता है। बच्चे का हाथ ऊपर-नीचे आड़े-तिरछे घुमाने की प्रक्रिया का आदत नहीं बना पाता है। आदत बनाने के लिए सबसे पहले बच्चे को किसी भाषा का अक्षर लिखना बताने से पहले उसकी हाथ के घुमावट को उसका आदि बनाना होता है। इसके लिए बच्चे के हाथ को सबसे पहले सीधी-सीधी रेखा खड़ा खींचना सिखाया जाए। फिर उसे उत्तर-दक्षिण सीधे रेखा खींचना बताया जाए तत्पश्चात विकणत दोनों तरफ से रेखा खींचना सिखाया जाय और अंत में क्लॉक वाइज तथा एंटी क्लॉक वाइज कई वृत्त बनाने की प्रैक्टिस कराई जाए।इस प्रकार बच्चे का हाथ सभी दिशाओं में घूमने का आदि बन जाता है।
२) अब लाइन वाले कॉपी में बच्चे को जिस भाषा में लिखना सिखाना हो उसमें इस प्रकार लिखने को कहा जाए कि उसका अक्षर खींची गई लाइनों के बीच रहे यानी वह ऊपर नीचे न जाए।
          अगर बच्चे को लिखना सिखाने से पहले इन दो बातों पर ध्यान दिया जाए तो 90% बच्चों का लिखावट जरूर अच्छा हो जाएगा।



अरविंद कुमार "गौतम" 
मध्य विद्यालय न्यू डिलीयाँ डेहरी  
डिस्ट्रिक्ट मेंटर रोहतास

6 comments:

  1. अनुकरणीय आलेख!

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  3. बहुत ही सुन्दर, इस तरह लिखना सीखाने का प्रयोग यदि हमलोग वर्ग कक्षा में करें तो निश्चित तौर पर बच्चों के लिखावट सुंदर, सुडौल और आकर्षक हो सकते हैं।

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  4. अच्छी पहल बधाई हो।

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  5. वाह बहुत ही अच्छा आलेख....

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