ज्योति-रोमा कुमारी - Teachers of Bihar

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Friday, 12 June 2020

ज्योति-रोमा कुमारी

ज्योति

स्कूल जाने के रास्ते में
छुटकी- अरे जरा तेजी से चलाओ न साइकिल दीदी, विद्यालय में चेतना सत्र छूट जाएगा।
बड़ी बहन- तुम ही खुद काहे  नहीं चला लेती हो, हमसे अब एतना तेजी से इ साइकिल नहीं चलता, तुमको टानते-टानते हम थक गए। लो अब तुम ही चलाओ। हम देखते हैं तुम केतना सीखी हो।
छुटकी- अरे चलाते-चलाते सीखिए जाएगें। तुम एगो  छोटकी बहन को टानने में थक गई। हम अगर बढ़ियाँ से सीख गए  ना तो एक दिन बड़को आदमी को बैठाके इ साइकिल चलाके तुमको दिखा देंगे।
चेतना सत्र के समय
शिक्षक महोदय- तब बच्चों चेतना सत्र के "प्रेरक प्रसंग" श्रवण कुमार से हमने क्या सीखा? हमने सीखा कि हमें भी श्रवण कुमार की तरह अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए।
26 जनवरी का दिन
छुटकी- 26 जनवरी और 15 अगस्त दोनों दिन पूरा स्कूल कितना सुंदर हो जाता है! सभी के साफ-सुथरे कपड़े और हाथ में छोटा-छोटा झंडा बड़ा बढ़ियाँ लगता है और दीदी झंडा फहराने के बाद सब एक साथ जलेबी खाते हैं, उ तो और अच्छा लगता है।
घर पहुँचने पर
छुटकी- क्या हुआ माँ तुम काहे रो रही हो?
माँ- अरे रोए नहीं तो क्या करें तुम्हारा पप्पा दो पैसा  कमाने को बाहर गए कि नजरे लग गई। वहाँ उनका एक्सीडेंट हो गया है। हाली- हाली बुला रहे हैं का जाने कैसे हैं? हे भगवान! अब हम का करें? कैसे जाएँ ? घरवो में का कम मुसीबत है? किसको बोलें, के जाएगा?
छुटकी- मम्मी तुम काहे चिंता करती हो। तुम घर देखो और पप्पा की सेवा करने हमको भेजवा दो। अगर जादा दिक्कत होगा तो फिर तुम हो आ जाना।
गुरुग्राम में
छुटकी- पप्पा आप जल्दी- जल्दी ठीक हो जाओ तब आप अच्छे से काम करना और हमरा फिर से नाम स्कूल में लिखवा देना! हमारा सब सहेली हमसे आगे के क्लास में चली गई होगी।
न्यूज़ - कोरोना कोविड-19 के द्वारा संपूर्ण भारत में लॉक डाउन के वजह से सभी प्रवासी मजदूर परेशान। सभी अपने गाँव, अपने घर जाने की  जद्दोजहद में।
छुटकी- पप्पा अब का होगा? देखो ना खाने-पीने का सामान खत्म हो गया है और इ लॉकडाउन खतमो नहीं हो रहा है, सब पैसो खतम हो गया। सब पैदले गाँव निकल गए पर हम कैसे जायएँगे? आप तो ठीक से चलियो नहीं सकते हैं।
पिता (बड़े दुःखी मन से)-  ए बेटा अब भगवाने मालिक है। लगता नहीं कि हम दुनों बच पाएँगे। मर जाएँगे तो कोइयो न देखने वाला होगा यहाँ।
छुटकी-  पप्पा सरकार सब के खाते में एक हजार रूपया दिया है देखिए तो आया है। हाँ पप्पा एक काम करिए भूखे मरने से अच्छा घरे चलिए।
छुटकी (एक पड़ोसी से) - ए भैया हम मजबूर आदमी हैं जरा इ साइकिल हमको दे दो हम तुमको इसका पाँच सौ रूपये दे देते हैं। हमको गाँव जाना है। हम तो पैदल ही निकल जाते पर हमरा पप्पा बीमार है। इ पैदल नहीं चल सकेंगे। बाकी का पैसा जब हम आएँगे तो चुका देंगे। पप्पा जो पाँच सौ रूपया उधारी है वह बाद में दे देना।
छुटकी- लो पप्पा इ साइकिल पर आप बैठो पीछे और हम चलाते हैं। अब इ पैसा बचा-बचा के खर्चा करना है पप्पा! काहे की पाँचे सौ अब बचल है।
न्यूज़ -बिहार के दरभंगा जिले के  छोटे से गाँव  सिरहुल्ली की बेटी ने कमाल कर दिया। हाँ, हाँ आपने ठीक सुना है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने 'ज्योति कुमारी' की तारीफ ट्विटर पर की है।
हांँ, हाँ, जी हाँ!  'ज्योति कुमारी' सचमुच अपने पिता की आँखों की ज्योति है जिसने दिल्ली के गुरूग्राम से बारह सौ किलोमीटर की दूरी को अपनी इस छोटी सी उम्र मात्र 15 वर्ष की आयु में अपने पिता को साइकिल पर बिठाकर लगातार 7 दिनों तक साइकिल चलाकर अपने घर पहुँच गई। सचमुच उसने यह साबित कर दिया कि भारत की बेटियाँ बेटों से कहीं बेहतर है। जहाँ कोरोना जैसे संकट काल में लोग अपनों का साथ छोड़ देते हैं वहीं 15 वर्षीया 'ज्योति' 'श्रवण कुमार' से कम नहीं जिसने अपने बीमार पिता को साइकिल पर बिठाकर घर तक पहुँचाया। इनके जज्बे को पूरा विश्व सलाम करता है।
पिता (छुटकी से)-  तुम सचमुच सारी दुनियाँ की ज्योति हो
    
रोमा कुमारी अररिया

8 comments:

  1. ज्योति ने निस्संदेह एक साहसिक कार्य किया है। उसका यह कार्य न केवल प्रशंसनीय है बल्कि यह उन लोगों के मुंह पर तमाचा भी है जो लड़कियों को लड़कों से कमतर आंकते हैं। दुनिया भर से मिलने वाली प्रशंसा की हकदार हैं ज्योति। पर उनकी सच्ची प्रशंसा तो तब होगी जब उससे प्रेरणा ग्रहण कर हम अपने सोच में बदलाव लाने की कोशिश करेंगे। समसामयिक परंतु अत्यंत महत्वपूर्ण घटना को चलचित्र के दृश्य की भांति सजीव प्रस्तुति आपकी प्रतिभा को रेखांकित करती है। इस मर्मस्पर्षी एवं प्रेरणादायक आलेख हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.......

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  2. मार्मिक चित्रण👌👌👌👌👌

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  3. ज्योति के जीवनगाथा को ज्योतिर्मय कर दिया आपने मैम। अतिसुन्दर ।। धन्यवाद आपको।।👌👌💐💐

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  4. जीवनज्योति

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. आपने ज्योति की गाथा को शानदार तरीके से रखा है। भगवान से प्रार्थना करता हूं कि इसी प्रकार आपकी लेखनी में ताकत बना रहे।

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  7. बहुत-बहुत सुन्दर कहानी!

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