स्कूल और अपनापन-मनीता मिश्रा - Teachers of Bihar

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Sunday, 14 June 2020

स्कूल और अपनापन-मनीता मिश्रा

स्कूल और अपनापन

          स्कूल; कितना प्यारा नाम और कितनी खूबसूरत जगह है ना! यह नाम सुनते ही हमें अपना बचपन याद आ जाता है। हमें अपने बचपन की स्कूल से जुड़ी हुई खट्टी-मीठी बातें याद आ जाती हैं तथा मन प्रफुल्लित हो जाता है और हो भी क्यों न यह जगह ही ऐसा है। 
          यूं तो स्कूल सीखने-सिखाने का भौतिक स्थल है। यह सीखने-सिखाने का काम शिक्षक-छात्र के बीच परस्पर होता है। इस सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को और आनंदित बना देता है, शिक्षकों का बच्चों के प्रति अपनापन और बच्चों का शिक्षकों से लगाव। बच्चों को शिक्षकों से लगाव तभी होगा जब शिक्षक बच्चों को न केवल सैद्धांतिक रूप से अपितु व्यावहारिक तौर पर अपनत्व का एहसास कराएँगे। उनसे दिल से जुड़ेंगे। विद्यालय के 6 से 7 घंटे तथा उसके बाद भी कभी उन्हें उन बच्चों की माँ, कभी पिता, कभी भाई, कभी बहन तो कभी दोस्त बनना होगा। उन्हें यह लगना चाहिए कि मेरी खुशी से मेरे सर / मैडम खुश हैं, मेरे दुःखी होने से वे दुःखी हैं। 
          प्रत्येक बच्चे की कुछ व्यक्तिगत समस्याएँ होती हैं- कुछ पारिवारिक तथा कुछ सामाजिक। इन समस्याओं को जानने के लिए तथा उन्हें इसका समाधान बताने हेतु उन्हें जानना/ समझना आवश्यक है। जब हम उनकी परेशानी या समस्या को अपनी समस्या समझेंगे तभी हम उनसे जुड़ पाएँगे। हमें बच्चों को स्नेह के साथ -साथ सम्मान भी देना होगा। उन्हें यह एहसास दिलाना होगा कि वे हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है या उनका होना हमारे लिए बहुत मायने रखता है। इसके लिए उनके द्वारा अभिवादन करने के पहले ही कभी-कभी हमें ही उन्हें गुड मॉर्निंग बोलना होगा। इससे वे शिष्टाचार तो सीखेंगे ही साथ ही अपने महत्व को भी समझेंगे। लंच होने पर भले ही हम घर से बना टिफिन लाये हों और उन्हें स्कूल में बना भोजन करना हो फिर भी  उनके खाने का इंतजार करना या उनसे यह कहना कि पहले आप लोग खा लें फिर हम खाएँगे । ये हमारे लिए उनके मन में अपनत्व का एहसास कराएगा। 
          अक्सर देखा जाता है कि बच्चे स्कूल में हमारे पास कुछ कहने आते हैं और हम उनकी बातों को सुने बिना ही उन्हें जाने कह देते हैं या डाँटकर भगा देते हैं। हाँ, यह संभव है कि उनकी बातों में अक्सर आपस के झगड़े होते हैं फिर भी हमें उसे सुनना चाहिए। हमें उनकी हर एक बात को ध्यान से सुनना चाहिए। यह न केवल इसलिए कि जो दोषी है उसे दंडित किया जाए अपितु इसलिए कि हम उनकी सुनेंगे तो वे हमारी सुनेंगे और हमें सुनना उन्हें एक शिक्षित एवं जिम्मेवार नागरिक बनाने में मददगार होगा । जहाँ उन्हें जबाव की अपेक्षा होगी वहाँ उचित जबाव देकर उनकी जिज्ञासा को शांत करना होगा। 
          इस तरह की छोटी-छोटी बातें हमें उनसे निश्चित तौर पर जोडेंगी। जब बच्चे शिक्षक से आत्मीय तौर पर जुड़ जाएँगे तथा हमारे लिए उनका लगाव जागृत हो जाएगा फिर शिक्षक और छात्र का ये अनूठा रिश्ता सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को और आनंदित बना देगा।जैसे मधुमक्खी छत्ते से लिपटी रहती है उसी प्रकार बच्चे भी हमारे आगे पीछे लिपटे रहेंगे। यकीन मानिए इनकी लिपटन आपको इतनी खुशी देगी कि आप इससे कभी आजाद नहीं होना चाहेंगे


मनीता मिश्रा
उ.म.वि. सिंघिया सागर
प्रखण्ड-बंजरिया, पूर्वी चंपारण

65 comments:

  1. स्कूल और अपनापन अच्छा आलेख है मैम। वाकई जब आप बच्चों से अच्छा लगाव(जुड़ाव) रखेंगे तो बच्चे भी आपको तरजीह देंगे। धीरे-धीरे यह सकारात्मक व आनंदमय हो जाएगा। आप इसी तरह और अच्छा आलेख लिखें।

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    1. धन्यवाद सर��

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  2. बहुत-बहुत सुन्दर!

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    1. धन्यवाद

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  3. मनीता जी, आपने बहुत ही सटीक व व्यवहारिक शब्द चित्रण किया है। आपका आलेख शिक्षक,विद्यालय व छात्रों के आत्मीयता का बोध करा प्रेरित कर रहा है । बहुत सुंदर !

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    1. सहृदय धन्यवाद

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  4. बहुत बढ़िया। ऐसे और लेखों से लोगों को लाभान्वित करते रहिए।

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    1. धन्यवाद

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  5. मनिता जी ,वाकई आप एक बहुत अच्छी शिक्षिका हैं और एक शिक्षिका के सभी गुण आपकी लेखनी से झलक रही है ।बहुत सुंदर।

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    1. धन्यवाद

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  6. आज समाज को आप जैसे अच्छी शिक्षिका की अति आवश्यकता है आपके विचार अनुसार स्कूल में अपनापन आने की बहुत सी संभावनाएँ है।

    आशा करता हूं आगे भी अपने आप अनमोल वचना से हमें अनुग्रहित करती रहेगी
    धन्यवाद

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  7. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति है मनीता जी

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    1. शुक्रिया

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  8. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति है मनीता जी

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    1. शुक्रिया

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  9. मनीता जी जैसा की आपने लिखा है
    स्कूल बचपन की यादों को जोड़ देता है,
    वैसे ही आपके लेख ने किया ।आपके लेख ने एक ओर जंहा हमे अपने स्कूल के जीवन से जोड़ा वंही दूसरी ओर हमारे दायित्व को और बढ़ा दिया । ये लेख निश्चित ही शिक्षा एवं शिक्षक के लिए उपयोगी होगा।
    मुझे गर्व है कि मैं आपका क्लासमेट हूं।
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
    ,आशा करता हु आप ऐसे ही अपने ज्ञान के दीपक को जलाए रखेंगे जससे हम सभी को लाभ मिलता रहे।

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    1. धन्यवाद

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  10. एक उम्दा शिक्षिका की सराहनीय लेखनी 🙏
    जब तक हम बच्चों के मन से नहीं जुड़ते उन्हें समझना मुश्किल प्रतीत होता है।

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    1. धन्यवाद

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  11. सर्वेश कुमार शर्मा14 June 2020 at 23:05

    मनीता जी जैसा की आपने लिखा है
    स्कूल बचपन की यादों को जोड़ देता है,
    वैसे ही आपके लेख ने किया ।आपके लेख ने एक ओर जंहा हमे अपने स्कूल के जीवन से जोड़ा वंही दूसरी ओर हमारे दायित्व को और बढ़ा दिया । ये लेख निश्चित ही शिक्षा एवं शिक्षक के लिए उपयोगी होगा।
    मुझे गर्व है कि मैं आपका क्लासमेट हूं।
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
    ,आशा करता हु आप ऐसे ही अपने ज्ञान के दीपक को जलाए रखेंगे जससे हम सभी को लाभ मिलता रहे।

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    1. सर्वेशजी बहुत बहुत धन्यवाद

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  12. स्कूल और अपनापन इन शब्दों को समझाने का आपने बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रयास किया है स्कूल से तो हम सभी सदा जुड़े रहते हैं किंतु वहां रह कर भी शायद अपनापन को हमने कहीं खो दिया है ।
    आपको सहृदय धन्यवाद कि आपने इस खोए हुए शब्द 'अपनापन ' पर ध्यान आकृष्ट कराया....

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    1. धन्यवाद

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  13. Bahut hin satik baton ko aapne kaha hai school me roj ye hota hai aur ham kismatwale hain ki hame bachchon ke sath samay bitane ka mauka mila hai.

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  14. बहुत ही बढ़िया लिखा है आपने

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    1. धन्यवाद

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  16. बहुत बढ़िया लिखा है, मुझे मेरे स्कूल की याद आ गयी।

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    1. शुक्रिया

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  17. बहुत बहुत शुभकामनाएं।
    स्कूल और अपनापन के उपर जिस प्रकार आपने अपना विचार प्रस्तुत किया है वो उम्दा ,सार्थक और सराहनीय है।
    आपको आपकी अद्भुत लेखनशैली के लिए 10/10.

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    1. धन्यवाद

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  18. बहुत ही सार्थक और संबद्ध👍🏻

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    1. शुक्रिया

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  19. Manita mishra really you are an ideal teacher.Motivational lines you have mentioned. I would like to appreciate you for your words. You can inspire,encourage and motivate your students at any cost.Country deserves teacher like you to develop the nation.Keep it up!

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  20. Manita mishra really you are an ideal teacher.Motivational lines you have mentioned. I would like to appreciate you for your words. You can inspire,encourage and motivate your students at any cost.Country deserves teacher like you to develop the nation.Keep it up!

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  21. बहुत सुंदर रचना। आज बाजारीकरण शिक्षा के दुष्प्रभाव को रोकने में ऐसे विचार ही सक्षम होंगे।

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    1. धन्यवाद

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  22. वाह मनीता तुम्हारा लेख बहुत ही उम्दा एवं ज्ञानवर्धक है । सभी नये शिक्षकों को ये बातें सीखनी चाहिए। बहुत बढ़िया।

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    1. धन्यवाद

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  23. Good one..keep up the good work...

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  24. बहुत ही सुन्दर रचना।शिक्षक और विद्यार्थी के आदर्श सम्बन्धों को रुपांकित करती रचना जो दोनो के बीच अपनेपन का भाव जगातीहै

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    1. धन्यवाद

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  25. जब हम किसी चीज से अपनेपन के भाव से जुड़ जाते हैं तभी हमारे अंदर समर्पण का भाव आता है। एक शिक्षक जब अपने छात्रों में अपने बच्चों की छवि को देखते हैं तो उनके भविष्य निर्माण के लिए समर्पित भाव से काम करने के लिए उन्हें कुछ अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता।उसी प्रकार विद्यालय से लगाव होने पर ही उसे सुंदर एवं आकर्षक बनाने की हमारी इच्छा जाग्रत होती है। एक अच्छे विषय पर अच्छा आलेख लिखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद एवं शुभकामनाएं.......

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    1. सर प्रोत्साहन हेतु धन्यवाद

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  26. आपकी लेखनी तो विद्यालय से साक्षात कर गई । बहुत बेहतरीन लेखन ।

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  27. माधव महर्षि15 June 2020 at 22:15

    खूबसूरत लेखन शैली !��

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    1. धन्यवाद ��

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  28. Bhut hi vyavharik chitran, vidyalayi bhawna ko shbdon m piro diya gya h, wah

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  29. Sachin Kumar Chandravanshi15 June 2020 at 23:52

    बच्चों को क्या पढ़ाए, कैसे पढ़ाए....जितना ही जरूरी है कि उनके साथ व्यवहार कैसा हो। सरल एवं स्पष्ट शब्दों में चित्रित "स्कूल और अपनापन"

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    1. शुक्रिया

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  30. मनीता जी आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है।
    प्रमोद रंजन
    मध्य विद्यालय जीवछपुर बालक सुपौल।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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  31. स्कूल के सम्बंध में अत्यंत उत्तम विचार हैं आपके मनीता जी।आपने हमें हमारे वर्तमान क्रिया कलापों को तो बताया ही हमारे, बचपन के मधुर स्मृतियों को भी जीवंत कर दिया ।धन्यवाद। ऐसे ही लिखते रहिये। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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    1. हार्दिक आभार

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  32. बहुत ही सुंदर अनुभवयुक्त लेखन👌👌

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    1. धन्यवाद

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