पेड़ की आँखों से भी निकलता है आँसू-संदीप कुमार - Teachers of Bihar

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Thursday, 2 July 2020

पेड़ की आँखों से भी निकलता है आँसू-संदीप कुमार

पेड़ की आँखों से भी निकलता है आँसू

          हम सभी जानते हैं कि पेड़-पौधे हमारा साथ सदा निभाते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक का साथ होता है हमारा पेड़-पौधों के साथ। हमारी अधिकांश ज़रूरतों को पूरा करते हैं पेड़-पौधे। हमारी सांसें भी पेड़-पौधों की वजह से ही चल रही हैं। पेड़-पौधों के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं बचेगा यह अकाट्य सत्य है। ऐसा इसलिए कि पेड़-पौधों का अस्तित्व ही नहीं बचेगा तो हम सांस कैसे ले पाएँगे। सांस नहीं लेंगे तो भला हम जीवित कैसे रह सकते हैं। अर्थात पेड़-पौधा है तभी हम सब हैं फिर भी इस बात से आज के इंसान अनजान हैं। पेड़-पौधों को बेवक्त ही काटकर आशियाना बना रहे हैं, उद्योगधंधे स्थापित कर रहे हैं। जब समय से पूर्व ही पेड़-पौधों को काट दिया जाता है:- ऐसी बात नहीं है कि केवल मुनष्य की आँखों से ही आंसू निकलते हैं। पेड़-पौधों को भी जब कष्ट पहुँचाया जाता है, बेवक्त ही काटा जाता है तो पेड़-पौधे भी रोते हुए दिखाई देते हैं यदि हम महसूस करें तो। जब पेड़-पौधों को चंद पैसों के लोभ में या अपना आशियाना बनाने हेतु काटा जाता है और पेड़-पौधे जमीन पर गिरते हैं तो धम की आवाज़ निकलती है यह आवाज़ पेड़ के रोने की होती है।
           पेड़-पौधों के दर्द का भान होना ही चाहिए हम इंसानों को। जरा-सी चोट लग जाने पर जिस तरह हमें दर्द का एहसास होता है ठीक उसी तरह पेड़-पौधों को भी होता होगा। इंसान के लिए कितना कुछ करते हैं पेड़-पौधे तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम उनका दुःख और दर्द महसूस करें। उन्हें बेवक्त ही मृत्युदंड नहीं दे। निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु किसी को दर्द पहुँचाना उचित नहीं है। हमें परोपकारी पेड़ के प्रति कृतघ्न नहीं बनना चाहिए। उनकी उदारता को, दयालुता को सर्वदा स्मरण रखना चाहिए
          मीठे-मीठे स्वादिष्ट फल सहित जीने के लिए ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं पेड़-पौधे। बुढ़ापे में सहारे की लाठी सहित बचपन में चलने के लिए खेलने के लिए अनगिनत खिलौने भी प्रदान करते हैं पेड़-पौधे। शब्दों में व्यक्त कर पाना बेहद कठिन है, परोपकारी पेड़-पौधों की उदारता। हमारा इतना ख़्याल रखते हैं पेड़-पौधे तो हमें भी उनकी देखरेख हमेशा करनी चाहिए और नया पौधा भी लगाना चाहिए । 
          इस "वन महोत्सव" के सातों दिन कम से कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए जिससे इनकी पूर्ति हो जाए।


कुमार संदीप
मौलिक स्वरचित
मुजफ्फरपुर, बिहार
worldsandeepmishra002@gmail.com

13 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना 👌👌👌

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  2. हार्दिक आभार टीचर्स ऑफ बिहार परिवार। इस बेहतरीन प्लेटफार्म पर मेरी रचना को स्थान मिला यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

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  3. बहुत-बहुत सुन्दर!

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने। पेड़ की आँखों से निकलते हैं आँसू वाकई मर्मस्पर्शी व प्रेरणादायक है। आप इसी तरह लिखिए और आगे बढ़िए।

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  5. Kamlesh vajpeyi2 July 2020 at 20:02

    प्रक्रति का मानव जीवन से सम्बन्ध चिरन्तन है. मानव ने निर्दयतापूर्वक उसका गहन दोहन किया है जिसके परिणाम अनेक रूपों में सामने आ रहे हैं..!

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  6. सौ प्रतिशत सत्य और विचारणीय आलेख। वास्तव में हरे पेड़-पौधे हमारे जीवन के आभिन्न अंग हैं। उनका संरक्षण हमारा पुनीत कर्त्तव्य है। सुंदर आलेख के लिए बधाई ।

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