प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का आगमन-सैयद जाबिर हुसैन - Teachers of Bihar

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Saturday, 18 July 2020

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का आगमन-सैयद जाबिर हुसैन

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का आगमन 

          विद्यालय में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के आगमन के बाद सभी शिक्षक चौकन्ना हो गए। हड़बड़ का माहौल हो गया। BEO  साहब आ गए, BEO साहब आ गए। शिक्षकों के बीच में सुगबुगाहट मानों हलचल में बदल गई  हो। मुझे अपने गुरु की एक बात, जो उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान कही थी सदैव याद रहता है कि "विद्यालय जांच के क्रम में अगर कोई पदाधिकारी आता है तो वह हमारे बेहतरी की ही बात करता है इसलिए हमें उनके आगमन पर हतोत्साहित न होकर उत्साहित होना चाहिए एवं मार्गदर्शन कि उम्मीद रखनी चाहिए"।
          मुझे प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के स्वभाव के बारे में पता था। वह  प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। मैंने सभी शिक्षकों को शांत रहने के लिए कहा। मैं जानता था कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी  शांत स्वभाव के व्यक्तित्व हैं और अनुशासन को ज्यादा से ज्यादा पसंद करते हैं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए अपने शिक्षक साथियों को अपना कार्य यथावत करने को कहा। उस समय मध्याह्न का समय था तथा बीईओ साहब सीधे विद्यालय के कार्यालय में आए। आगमन के उपरांत ही अभिवादन के साथ वह कार्यालय में अपना स्थान ग्रहण किए। उनको विद्यालय की विधि व्यवस्था अच्छी लगी जो उनके चेहरे से पता चल रही थी। उनके पास समय बहुत कम था उन्हें नजदीक के कई विद्यालय भी जाना था इसलिए  हमारे कहने पर भी मध्याह्न भोजन नहीं चख पाए। नए सत्र का प्रारंभ था इसलिए वे ज्यादा कुछ बच्चों की उपस्थिति पर भी नहीं बोले। उन्होंने हम सभी शिक्षकों से एक प्रश्न पूछा- नए बच्चों को नामांकित होने के उपरांत वर्ग कक्ष में या विद्यालय में नया-नया आने में अच्छा नहीं लगता होगा इसके लिए आप लोग क्या करते हैं? हमारे सामने यह प्रश्न कौतूहल भरा अवश्य था परंतु कठिन कदापि नहीं था क्योंकि हमारा विद्यालय नवाचार के लिए अपने संकुल में प्रसिद्ध था। झट से विद्यालय के कई शिक्षकों की तरफ से मैंने प्रश्न का जबाव देना शुरू किया। मैंने कहा कि विद्यालय के नए नामांकित बच्चों के लिए हम मुख्य रूप से तीन बातों का ख्याल रखते हैं जिसमें पहली बात नए बच्चों का स्वागत किया जाता है। वह स्वागत वर्ग कक्ष में ताली बजाकर या फूलों की माला अगर हो तो ठीक है अन्यथा कागज की भी माला पहनाकर किया जाता है। यह कार्य हम चेतना सत्र में भी करते हैं। सभी नए नामांकित बच्चों को आगे करके सभी बच्चों द्वारा उनसे कतार बद्ध बच्चों के सामने उनके स्वयं द्वारा परिचय दिलवाकर और विद्यालय के  समस्त बच्चों द्वारा ताली बजाकर आकर्षित कर स्वागत का भाव दर्शाया जाता है । 
          दूसरी चीज कि नए नामांकित बच्चों के सिर पर हाथ फेर कर उनके साथ अपनापन होने का एहसास कराया जाता है ताकि उन्हें विद्यालय में भी एक अभिभावक की अनुभूति हो और वह विद्यालय के साथ-साथ वर्ग कक्ष एवं अध्ययन से जुड़ सकें।
          तीसरी, हम सभी शिक्षक ध्यान रखते हैं कि वैसे विद्यार्थियों को वर्ग कक्ष में एक खास किस्म की स्वतंत्रता दी जाय जिससे छात्र-छात्राओं को घुलने मिलने का भरपूर मौका मिल सके। यह जवाब सुनते हीं वो साहब मन ही मन प्रफुल्लित हुए एवं हम लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए नजदीक के  विद्यालय की तरफ प्रस्थान कर गए।

सैयद जाबिर हुसैन
प्राथमिक विद्यालय बहुआरा
कुदरा, कैमूर

11 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखा है आपने सर। वाकई शिक्षा अधिकारी के आने के बाद चाहे वे प्रखंड स्तर का हों या जिला स्तर का घबराना नहीं चाहिए बल्कि उत्साहित होना चाहिए। विद्यालय में आए नये बच्चों का उत्साहवर्धन होना ही चाहिए। अच्छी रचना हेतु धन्यवाद!

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  2. Bahut hi sundar sabdo se sajaya gaya hai. Sir ka bachho ke aur school ke mukhya binduo ko isme samahit kiya gaya hai.

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  3. आपका यह लेख शिक्षकों में एक नई ऊर्जा के साथ साथ अधिकारी के जांच समय आने पर मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करेगा ,,,,,।

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  4. बहुत बढ़िया, जाबिर भाई।आपने तो अपने अनुभव को सब्द रूपी सागर में गोते लगाकर लेखनी की ऐसी ताकत दी कि पढके जीवन मे उत्साह, आशा और ऊर्जा के पुष्प प्रफुल्लित हो गए।
    धन्यवाद।
    आपका संजीत
    कुदरा, कैमूर

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  5. बहुत सुंदर रचना है। ये सभी शिक्षकों को एक संदेश देती है की किसी भी पदाधिकारी के विद्यालय में आने पर सहज भाव से उनका स्वागत करना चाहिए तथा विद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के साथ अपनी उच्च व्यवस्था और कार्य क्षमता के साथ उनके समक्ष उपस्थित होकर उनके प्रश्नों का उत्तर नीडर होकर सहजता और सरलता से देना चाहिए।

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  6. अच्छा तो कहना ही पड़ेगा किन्तु यथार्थ से बिल्कुल अलग पुरी तरह कल्पनाओं से भरा हुआ।

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  7. आपका आलेख पढ़ने का अवसर मिला ।आपके आलेख ने मेरे जेहन मे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की वह नसीहत flash होने लगी, जो उन्होंने इंदिरा गांधी से किया था ।उन्होंने कहा था -बेटी, लोगो से किसी चीज को छुपाने की कोशिश कभी मत करना ।हम छुपाने की कोशिश तभी करते हैं जब हम कहीं न कहीं गलत कर रहे होते हैं।
    जब आप इमानदारी, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने फर्ज को अंजाम देते है तो फिर BEO साहब के School मे आने से आपके मनोदशा पर उसका कोई असर नही दिखता है ।
    बहुत -बहुत मुबारकबाद सर ।

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