Tuesday, 9 June 2020
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स्कूल ऑन मोबाईल-विजय सिंह "नीलकण्ठ"
स्कूल ऑन मोबाइल
कोरोना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए गत मार्च माह में ही पूरे देश में मानव लॉकडाउन की घोषणा की गई जिससे जो जहाँ व जिस अवस्था में थे वहीं रुक गए और स्वयं को सुरक्षित रखकर देश की सुरक्षा में सहयोग करने लगे। बच्चे, जवान, बूढ़े सभी लॉकडाउन का पालन करने लगे। बहुत सारी समस्याएँ आकर सामने खड़ी हो गई जिसमें सबसे बड़ी समस्या बच्चों की पढ़ाई के रूप में आई जो सभी को स्व चिंतन को मजबूर कर दिया। सारे विद्यालय बंद होने के कारण पठन-पाठन का कार्य पूरी तरह से ठप हो गया लेकिन किसी भी समस्या का समाधान तो होता हीं है। फिर क्या था बिहार के सरकारी विद्यालय के सरकारी शिक्षकों द्वारा स्वयं के लिए एक प्रोफेशनल लर्निंग मंच बनाया गया है जो "टीचर्स ऑफ बिहार" के नाम से विख्यात है। इसी मंच के द्वारा ऑनलाइन कक्षा शुरू की गई जिसका नाम रखा गया "स्कूल ऑन मोबाइल"(SOM)।
जी हाँ यही नाम है जिसके द्वारा सरकारी विद्यालय के बच्चों को शिक्षा विभाग के सिलेबस के अनुसार गत अप्रैल माह से वर्तमान समय तक अर्थात नौ जून तक कक्षा लेकर जून माह तक के सिलेबस को पूरा करवाया गया जिसमें सरकारी विद्यालयों के कक्षा छः से आठ तक के बच्चों को सभी विषयों की पढ़ाई करवाई गई और जुड़ी बातों पर गृहकार्य भी दिये गए। इसमें बच्चों अभिभावकों और शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। दस बजते हीं सभी अपने-अपने घरों में मोबाइल के सामने बैठकर पठन-पाठन का कार्य पूरा करने लगे। तेरह अप्रैल से लगातार बिना रुके कुल पचास दिनों तक कक्षाएँ चली जिसमें कुल नौ सौ कक्षाएँ संचालित हुई। दो दर्जन से भी अधिक सरकारी शिक्षकों ने बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान किया।
सोमवार से शनिवार तक सभी छः विषयों की पढ़ाई कराई गई एवं प्रतिदिन गृहकार्य भी दिये गए। बच्चों ने बड़े उत्साह से इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्हें यह आभास नहीं हुआ कि विद्यालय बंद है। वे घर बैठे अपनी पढ़ाई पूरी करने में तत्पर रहे। भाग लेने वाले शिक्षकों का जुनून देखने लायक था। सभी बार-बार कक्षा के समय को बढ़ाना चाहते थे कि कितना अधिक से अधिक ज्ञान बच्चों को दे सकें। रविवार को भी संडे फन डे के रूप में दक्ष शिक्षक-शिक्षिकाओं के द्वारा घर में बेकार पड़ी वस्तुओं से तरह-तरह के नए वस्तुओं का निर्माण कर बच्चों का मनोरंजन किया गया। योग, संगीत, नृत्य, चित्रकला इत्यादि देखकर ऐसा लगता था कि यदि हर दिन सनडे होता तो कितना अच्छा होता।
सप्ताह के सातों दिन "स्कूल ऑन मोबाइल" के द्वारा पठन-पाठन कराकर बिहार के सरकारी विद्यालय के शिक्षकों ने अपने कर्तव्य का पालन किया। पूरे देश में इस कार्यक्रम की सराहना हो रही है। बड़े-बड़े पदाधिकारी गण, अभिनेता, उद्योगपति, खेल जगत की हस्तियाँ इत्यादि ने भी इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और बिहार के सरकारी शिक्षकों की पीठ थप-थपाई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सरकारी शिक्षकों के अनेकों समूह बनाए गए जिन्होंने बिना थके, बिना रुके अपने-अपने कार्य को अंजाम तक पहुँचाया। बिना किसी स्वार्थ के अपने कीमती समय को देश के भविष्य निर्माण के लिए समर्पित किये। चुँकी ग्रीष्मावकाश शुरू हो चुका है और जून माह तक का सिलेबस भी पूरा हो चुका है इसलिए बच्चों के मनोरंजन खातिर अल्प समय के लिए "स्कूल ऑन मोबाइल" कार्यक्रम को न चाहकर भी स्थगित करना पड़ा लेकिन पुनः बहुत जल्द इसकी शुरुआत होगी।
अंत में सभी बच्चों अभिभावकों और "टीचर्स ऑफ बिहार" के सभी सदस्यों को बहुत-बहुत धन्यवाद और ढेर सारी बधाइयाँ।
विजय सिंह "नीलकण्ठ"
म. वि. मोतीटोला
इस्माईलपुर भागलपुर
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Nice
ReplyDeleteVery nice. 👌
DeleteThank you so much!
DeleteVery nice 👌
ReplyDeleteThank you so much!
Delete✍️✍️👌👌🙏🙏👏👏🤝🤝😍
ReplyDeleteThank you so much!
Deleteबहुत सुन्दर आलेख सर। वाकई आपने शिक्षकों के अप्रतिम योगदान की सराहना कर उनके मनोबल को और ज्यादा संबल प्रदान किया है। इनके योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
ReplyDeleteबहुत-बहुतधन्यवाद!
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