नई राह का सृजक हमारा SoM-राकेश कुमार - Teachers of Bihar

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Tuesday, 9 June 2020

नई राह का सृजक हमारा SoM-राकेश कुमार

नई राह का सृजक हमारा SoM

          हम सभी जानते हैं कि विद्यालय एवं शिक्षा  की सफलता, उसपर पड़नेवाले शिक्षक के अदृश्य प्रभाव एवं कक्षा में हर पल बदलने वाली गतिविधियों पर निर्भर करती  है। एक शिक्षक की सारी दुनियाँ बच्चे एवं  विद्यालय के इर्द गिर्द हीं रहती है लेकिन कहते हैं न  कि परिस्थितियों के समक्ष  हम सभी कभी-कभी कशमकश की स्थिति में आ जाते है। कोरोना ने हम सभी  के समक्ष ऐसी स्थिति हीं उत्पन्न कर दी जहाँ से हमारा मन अजीब, एक अजीब कशमकश, एक अजीब खालीपन और कार्य करने के उपरांत भी आत्मसंतुष्टि की प्राप्ति न होना, लगभग इसी तरह के हालात से हम सभी शिक्षक कोरोना के कारण लॉकडाउन  होने के वजह से विद्यालय बंद होने के कारण अपने शिक्षण कार्य से दूर, अपने विद्यालय के बच्चों से दूर होने के कारण गुजार रहे थे।
          लॉकडाउन होने के कारण तमाम शैक्षणिक गतिविधियाँ ठप थी और एक शिक्षक के नजरिए से हम सभी "टीचर्स ऑफ बिहार" महसूस कर रहे थे कि इन सब में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को हो रही है। उनकी पढ़ाई बिल्कुल बंद है। खासकर सरकारी विद्यालय के बच्चे तो अपने पढ़ाई  से बिल्कुल हीं दूर है जो हम "टीचर्स ऑफ बिहार" को मंजूर नहीं था। हमलोगों ने इस बात को ध्यान में रखकर कि "आपको कोई प्रेरणा नहीं दे सकता, जब तक आप के अंदर से आप का दिल आपको कुछ करने की प्रेरणा नहीं देता" कार्य करना शुरू कर दिया क्योंकि "टीचर्स ऑफ बिहार" का गठन का एकमात्र उद्देश्य हीं है विपरीत परिस्थितियों को दरकिनार कर अपने कार्य को करना ।
          हम सभी बिहार के शिक्षा व्यवस्था को  ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए दृढसंकल्पित है। इन सब तथ्यों को ध्यान (लॉकडाउन) में रखकर "टीचर्स ऑफ बिहार" ने एक ऐसी संकल्पना कर डाली जो आज तक सरकारी विद्यालय के इतिहास मे नहीं हुआ था। वो दिन था 13.04.2020। संकल्पना थी मोबाइल पर स्कूल। सभी अचंभित हो गए और बोल पड़े मोबाइल पर स्कूल जी हाँ मोबाइल पर स्कूल आज ही के दिन जन्म हुआ SoM का  अर्थात School on Mobile का जिसने हिंदी, गणित, अंग्रेजी, संस्कृत, विज्ञान, समाज विज्ञान विषयों को बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया और इसके साथ- साथ  बच्चों के लिए  "टीचर्स ऑफ बिहार" के शिक्षक ने  संडे को भी फन डे बनाकर बच्चों को शिक्षण गतिविधि से इतर  सह - शैक्षिक गतिविधि से रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारी दी।  इससे प्रेरित होकर बहुत सारे बच्चों ने भी अपने कार्यक्रम को   SoM के माध्यम से  प्रस्तुत किया जो इस कार्यक्रम की सार्थकता को  प्रदान कर रहे हैं । अपने सार्थक गतिविधि के कारण बहुत जल्द हीं SoM अखबार की सुर्खियों में छा गया। इसकी चर्चा  पूरे देश में होने लगी। अभी कुछ दिन पूर्व हीं "टीचर्स ऑफ बिहार" के फाउंडर महोदय को इस पर चर्चा हेतु अन्य राज्य से भी आमंत्रित किया गया और उन्होंने बिहार की बदलती शैक्षिक तस्वीर को सार्थक रूप से सामने रखा ।
          "टीचर्स ऑफ बिहार" SoM  के 50 दिन पूरा होने के दौरान इसमें शिक्षक कर्तव्य से जुड़े सभी शिक्षकों ने लगभग 900 क्लासेज ली जो अपने आप में जबरदस्त समर्पण भावना को प्रदर्शित करता है। ऐसे तो "टीचर्स ऑफ बिहार" के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं लेकिन हम अपने उन सभी कर्मवीर शिक्षकों  को विशेष रूप से धन्यवाद देते हैं कि आपके मेहनत और सार्थक प्रयास ने "टीचर्स ऑफ बिहार" को एक नया मुकाम प्रदान किया।हम सभी "टीचर्स ऑफ बिहार" को गर्व है कि हम सभी इस सिद्धांत में विश्वास करते हैं कि प्रतिकूल परिस्थितियों को भी हम एक मौका के रूप में लेते हैं और उसे अनुकूल परिस्थितियों में बदलकर मनवांछित परिणाम में परिवर्तित कर देते हैं। 



राकेश कुमार
मध्य विद्यालय बलुआ
मनेर (पटना)

2 comments:

  1. नई राह का सृजक हमारा SOM वाकई में आपने अच्छा लिखा है ।सच में,TOB के द्वारा संचालित इस कार्यक्रम को कदापि भुलाया नहीं जा सकता है। इसमें संस्थापक के साथ साथ शिक्षकों का अप्रतिम योगदान है।

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