योग संवारे बचपन-मृत्युंजयम - Teachers of Bihar

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Saturday 20 June 2020

योग संवारे बचपन-मृत्युंजयम

योग संवारे बचपन

          हमारे आसपास के पेड़ पौधे व पशु पक्षी आदि हमें बहुत प्यारे लगते हैं। योग के साथ हम इनसे प्यार करना भी सीखते हैं। 
          सतत अभ्यास से योग का आसन बहुत सहज एवं सरल हो जाता है  बस हमें पेड़, पशु, पक्षी, पहाड़ आदि की आकृति की नकल ही तो करनी है। इसको करने से हम बीमार नहीं पड़ेंगे तथा सुंदर एवं स्वस्थ बनेंगे। योग अपने व्यापक एवं विशेष स्वरुप के साथ भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। योग का प्रभाव आज विश्व के मानव मस्तिष्क पर गहराई से पड़ चुका है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास अथवा परिवार, समाज, राष्ट्र के सुधार में योग इसमें सदा आगे है। बच्चे और उनका निराला बचपन प्रकृति की अनुपम देन है। बचपन एक स्वस्थ, सुखी, सरल, सहज एवं संस्कारवान जीवन के शुरुआत की आधारशिला है। जिसे संवारने सजाने का काम हम शिक्षकों के ही हाथ में है। योग के अभ्यास एवं प्रशिक्षण से बच्चों को प्रारंभ से ही योगमय परिवेश में पाला पोसा जाए तो वे भविष्य में स्वस्थ सुंदर तन मन के साथ राष्ट्र निर्माण में सक्षम हो सकेगा
          बच्चे हमारे घरों तथा विद्यालयों में है। उनके अंदर योग के संस्कार हम स्वयं एक जागरूक अभिभावक और नागरिक होने के नाते अभी से डाल सकते हैं। यदि हमने योग को अपने बच्चों के दैनिक व्यवहार में उतार दिया तो यही हमारे जीवन का सबसे महान कार्य होगा।हमारा प्रयास हमारे बच्चों, परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व के लिए मंगलमय होगा।
मृत्युंजयम
सा. शि. म. वि. नवाबगंज
समेली, कटिहार

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया👌👌

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  2. बहुत सुंदर आलेख
    योग युक्त बचपन
    रोग मुक्त जीवन🙏

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  3. योग जीवन जीने की कला है। यह हमारे शरीर के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक है। तन को स्वस्थ एवं मन को शांत रखने के लिए एक जरूरी अनुशासन, एक महत्वपूर्ण संस्कार है योग। हमें बच्चों को बचपन में ही इसकी आदत डालनी चाहिए ताकि वो देश के लिए एक स्वस्थ एवं उपयोगी नागरिक बन सकें। आप योग विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं, टीचर्स आफ बिहार के मंच से आपके योग संबंधी कार्यक्रमों को हजारों लोगों ने देखा, जाना और अपनाया है। इसी कड़ी में योगदिवस की पूर्वसंध्या पर आपका यह उपयोगी आलेख सबमें नवीन ऊर्जा का संचार करेगा। एक समसामयिक एवं उपयोगी आलेख हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं........

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  4. सुन्दर आलेख,
    निश्चित रूप से यदि बच्चों में प्रारम्भ से ही योग की आदत डाला जाय तो भविष्य का एक बेहतर नागरिक समाज को मिलेगा l

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  5. निःसंदेह स्वस्थ तन और प्रसन्न मन के लिए नियमित योग रामबाण है। सुंदर आलेख।

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