Saturday, 27 June 2020
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एक समान शिक्षा व्यवस्था-स्वाति सौरभ
एक समान शिक्षा व्यवस्था
One Nation One Education
हमारे देश में भाषा, वेश-भूषा, संस्कृति से लेकर धर्म में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। सब में अलग- अलग सोच विचार का अंतर भी मिलता है फिर भी हमारा देश अनेकों में एक है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में ऐसे अंतर हैं जिनपर शायद हमें ध्यान देने की जरूरत है, जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य।
मुझे लगता है हमारे देश में शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरत को अमीरों और गरीबों के बीच बाँट दिया गया है। जैसे गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल और अमीरों के लिए प्राइवेट वैसे ही गरीब घर के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल और अमीर घर के बच्चों के लिए प्राइवेट। सरकारी अस्पताल में सैकड़ों मरीज पर एक डॉक्टर, मरीजों की भीड़ लगी रहती है। सुविधाएँ उपलब्ध तो है लेकिन पर्याप्त मात्रा में नहीं। वहीं प्राइवेट अस्पताल जहाँ सुविधाएँ तो बहुत हैं लेकिन गरीबों के लिए जगह नहीं। वैसे ही शिक्षा की व्यवस्था, गरीब परिवार के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल और अमीर परिवार के बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल। प्राइवेट जहाँ बच्चों को कई तरह की सुविधाएँ मिलती हैं जिसके लिए मनमाफिक फीस भी ली जाती है। सरकारी स्कूल जहाँ बच्चों की संख्या के अनुसार सुविधाओं की कमी है लेकिन प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। चुँकी मैं भी एक शिक्षिका हूँ तो शिक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहूँगी।
मेरा विचार है कि बच्चे तो मासूम होते हैं। बचपन से ही उनके साथ ऐसा भेद-भाव क्यों? कुछ बच्चे सरकारी स्कूल में तो कुछ प्राइवेट में। कुछ की शिक्षा अंग्रेजी मीडियम में तो कुछ की हिंदी। क्या एक देश में एक शिक्षा व्यवस्था नहीं हो सकती। शिक्षा और स्वास्थ्य ये दोनों अनिवार्य है इनमें अमीर-गरीब का फर्क होना क्या जरूरी है? एक देश में क्या सब बच्चे एक साथ, एक जैसे स्कूल में, एक ही सिलेबस के साथ शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते जिससे बच्चों के कोमल मन में कोई भेद भाव पैदा न हो। सरकारी स्कूलों में व्यवस्था में जरूर थोड़ी कमी है लेकिन वहाँ के बच्चों और शिक्षकों में नहीं।सरकारी नौकरी के लिए सरकार एग्जाम लेती जहाँ से कोहिनूर को ही चुनने का प्रयास रहता है तो फिर ये हीरे बाद में मामूली पत्थर क्यों समझे जाने लगते हैं। शायद उनकी पहचान सही से नहीं हो पाती। हर बच्चे में टैलेंट होता है चाहे वो अमीर का हो या गरीब का, चाहे किसी भी धर्म या जाति का। क्या हम सभी बच्चों को एक समान प्लेटफॉर्म नहीं प्रदान कर सकते! क्या सभी बच्चों को एक समान शिक्षा व्यवस्था नहीं प्रदान की जा सकती? ऐसा हो तो शायद इससे सभी बच्चों को उनकी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का समान अवसर मिल सकता है। शिक्षा जो अब व्यवसाय बनता जा रहा है उसमें भी शायद कमी आ जाए।
अगर हम चाहे तो कर सकते हैं, शायद थोड़ी मुश्किलें होगी लेकिन असंभव नहीं है। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है। हो सकता है कई लोग असहमत भी हों लेकिन मैं फिर भी आग्रह करती हूँ कि एक बार एक समान शिक्षा व्यवस्था पर विचार किया जाना चाहिए जिससे सभी बच्चों को एक समान शिक्षा के अवसर मिल सके।
स्वाति सौरभ
आदर्श मध्य विद्यालय मीरगंज
आरा नगर, भोजपुर
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स्वागतयोग्य विचार । शायद प्रशासन और सरकार में ईच्छाशक्ति का घोर अभाव है। प्रतिभा किसी का मोहताज़ नहीं, यह हर परिस्थिति में निखरेगा। अतिसुंदर आलेख व विचार।
ReplyDeleteThank you so much sir
Deleteअगर आप सब का साथ हो तो ये भी एक दिन जरूर ये सफल हो सकता है।
🙏🙏🙏
👌👌बेहतरीन आलेख। धन्यवाद
ReplyDeleteThank you so much for responding me sir 🙏
Deleteबहुत-बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteThanks a lot sir 🙏
DeleteBahut hi uttam vichar
ReplyDeleteThank you so much mam
DeleteVery nice article. Many many thanks.
ReplyDeleteThanks a lot for responding on this sir 🙏
Deleteसुंदर 👌👌
ReplyDeleteThank you mam 🙏
Deleteआलेख अच्छा है लेकिन इसमें अभी बहुत समय लगेगा ,सरकारी और प्राइवेट स्कूल के बीच की खाई को कम किया जा सकता है उस पर भी बहुत मेहनत की आवश्यकता है वर्तमान समय में प्राइवेट और सरकारी को छोर ऐसा प्रतीत होता है के बहुत से बच्चे जो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं उनकी रूचि पढ़ाई के प्रति कम हो रही है इस करोना कॉल मैं हम सभी को पढ़ाई के प्रति बच्चों को जागरूक करने की आवश्यकता है समाज जागरूक होगा तो निश्चित तौर पर अपने आप सरकारी और प्राइवेट का भाव खत्म हो जाएगा। धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद् सर
Deleteअगर आप सब जैसे शिक्षित लोग मिलकर कोशिश करेंगें तो मुझे उम्मीद है नहीं यकीन है की एक दिन हम जरूर सफल होंगें।
Kya baat hai etni achchhi soch ke liye sadhuwaad
ReplyDeleteThank you so much 🙏
Deleteसुंदर आलेख आपने अपनी लेखनी के माध्यम से सच को उजागर किया है और बहुत बढ़िया विचार प्रस्तुत किया है। धन्यवाद।
ReplyDeleteप्रमोद रंजन
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय जीवछपुल बालक
अंचल सुपौल जिला सुपौल।
बहुत बहुत धन्यवाद् सर आपका 🙏🙏
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