किशोरावस्था में मार्गदर्शन और मेरा अनुभव-ज्योति - Teachers of Bihar

Recent

Thursday 18 June 2020

किशोरावस्था में मार्गदर्शन और मेरा अनुभव-ज्योति

किशोरावस्था में मार्गदर्शन और अनुभव

          आज मैं आप सबों से अपने कुछ अनुभव को शेयर करना चाहती हूँ जो कक्षा लेने के दरम्यान मैंने महसूस किया है। 11वीं 12वीं में बच्चे कक्षा में पढ़ने से ज्यादा अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। वह बात करना चाहते हैं कि उन्हें भविष्य में क्या करना है। सचमुच यह वक्त ऐसा होता है जब बच्चे ऐसे मोड़ पर खड़े होते हैं जहाँ से कई रास्ते उनके लिए निकल रहे होते हैं। अगर सही रास्ते पकड़ लिए तो वह अपने भविष्य को उज्ज्वल कर सकते हैं, मंजिल पर पहुंच सकते हैं और यदि गलत रास्ता अख्तियार कर लिये तो जीवन भर पछताने के अलावा उन्हें कुछ हासिल नहीं होता है। यहाँ पर शिक्षकों को, अभिभावकों को गाइड की तरह पेश आना है। आपको उन्हें जागरूक करना है। उन्हें सही- गलत में फर्क बताना है। उन्हें अपने आप को पहचानने के लिए जागरूक करना है। अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए जागरूक करना है। यहाँ पर पढ़ाई से ज्यादा आप को बच्चों से बात करने की जरूरत होती है ताकि वे अपनी परेशानियों को बता सके कि आखिरकार किस परेशानी से अभी जूझ रहे हैं? बोर्ड के बाद ही बच्चों की एक दो बार काउंसलिंग जरूर करवानी चाहिए ताकि बच्चों के दिमाग में क्या चल रहा है वह पता चल सके। कुछ सवालों को मैं यहाँ पर रख रही हूँ ताकि उस सवालों के द्वारा हम बच्चों से यह जान पाएँगे कि आखिर वे क्या सोच रहे हैं-

1. आप अपने बारे में क्या सोचते हैं ?
2. अपने भविष्य के बारे में क्या सोचा है ?
3. क्या आप अपनी क्षमता को पहचानते हैं?
4. आप कितना मेहनत कर सकते हैं ?
5. आप अपने माता-पिता के लिए कुछ करना चाहते हैं या स्वयं के लिए ?
6. आने वाले 10 साल में आप स्वयं को कहाँ देखते हैं?
7. आपके आदर्श कौन हैं?
8. आप किसके जैसा बनना चाहते हैं?
9. आप समाज और देश के बारे में क्या सोचते हैं?
10. कौन सी समस्या है जो आप सुधारना चाहते हैं?
11. किस समस्या को देखकर आप सबसे ज्यादा परेशान होते हैं?
12. मौका मिले तो आप अपने जीवन में क्या सुधारना चाहेंगे? इत्यादि इत्यादि।
          
          यह वह सवाल है जिसके द्वारा आप बच्चों के तह तक पहुँच सकते हैं कि वे क्या करना चाहते हैं? उनका गोल क्या है? उनकी क्षमताएँ क्या हैं? वह कहाँ तक पहुँच सकते हैं? अमूमन आप कुछ तो मददगार साबित हो सकते हैं बच्चों के लिए।
■ दूसरी बात अभिभावकों से करना चाहूँगी-
11वीं 12वीं में बच्चे किशोरावस्था को पार कर रहे होते हैं। वह एक ऐसा दहलीज होता है जहाँ पर बच्चे सही और गलत में फर्क जल्दी नहीं कर पाते हैं। वह गलत की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं क्योंकि उन्हें गलत और सही में फर्क कोई नहीं बता पाता है कि अगर आप गलत रास्ते पकड़ लेते हो तो भविष्य में क्या-क्या गलतियाँ कर सकते हो? आप किन-किन चीजों से दूर हो सकते हो? यहाँ पर एक और चीज है कि बच्चे प्रेम के प्रति, अदर सेक्स के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं। जिनके साथ वे पढ़ते हैं उनके प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं इसलिए  प्रेम के बारे में भी आपको उनसे बातें करनी है। उनको बताना है कि प्रेम बुरा नहीं है बिल्कुल करना चाहिए परंतु उसमें कितना समय देना है। यह वक्त कितना महत्वपूर्ण है आपके लिए। यह वक्त अगर आप सही से गुजार लेते हो तो आपका भविष्य  सही रास्ते पर जा सकता है। आप बहुत कुछ हासिल कर सकते हो। बहुत सारी ऐसी चीजें हैं कि आप उनके दिमाग में डाल दीजिए और फिर उन्हें सोचने के लिए छोड़ दीजिए। उन्हें दबाव नहीं डालना है कि आपको यह करना ही है क्योंकि आप जितना उसको उन चीजों से दूर करोगे वह उन चीजों के और करीब आता जाएगा। आपको प्रेम पूर्वक उन्हें समझाना है क्योंकि वह आपके विरोधी भी हो सकते हैं। विद्रोह भी कर सकते हैं। यहाँ पर आपको मित्रवत रवैया अपनाना होगा, संयम रखना होगा। संतुलित ढंग से आपको उनसे बातें करनी होंगी। अपनी वाणी को मीठा बनाना होगा ताकि बच्चे आपसे बात करने के लिए उत्सुक हों। आपसे बात कर सके। अपनी चीजों को आपके सामने रख सके। तो आप इस उम्र में बच्चों के मित्र बनिए न कि माता-पिता।

ज्योति
एम ए, एम एड
+2 हिन्दी शिक्षिक
+2 लालजी उच्च विद्यालय रानीगंज 
अररिया

19 comments:

  1. बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  2. बहुत-बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete
  3. सारगर्भित शिक्षाप्रद लेख👌👌

    ReplyDelete
  4. आलेख अच्छा है मैम। इससे युवाओं को प्रेरणा मिलेगी तथा अभिभावक भी सक्रिय रूप से चिंतन करेंगे। मेहनत स्त्रीलिंग है। इस पर मेरा ध्यान अकस्मात् चला गया।

    ReplyDelete
  5. आलेख अच्छा है मैम। इससे युवाओं को प्रेरणा मिलेगी तथा अभिभावक भी सक्रिय रूप से चिंतन करेंगे। मेहनत स्त्रीलिंग है। इस पर मेरा ध्यान अकस्मात् चला गया।

    ReplyDelete
  6. किशोरावस्था में सँभल गये मतलब जीवन सफल...सुंदर आलेख !👍

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
    1. ज्योति जी आपका स्वागत है

      Delete
  8. बहुत ही सुंदर आलेख विभिन्न महत्वपूर्ण तथ्यों से भरपूर

    ReplyDelete
  9. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  10. किशोरवस्था में बच्चों का अपने जीवन के प्रति,माता-पिता के प्रति, समाज के प्रति और स्वयं के प्रति के साथ साथ माता-पिता द्वारा अपनाये जाने वाले मनोवैज्ञानिक व्यवहार के प्रति सचेतता और सलग्नता को बड़े ही प्रायोगिक और प्रासंगिक तरीके से सुदृढ़ ,मार्गदर्शी और शिक्षण रूपी व्याख्यान हेतु आदरणीया शिक्षिका महोदया को असीम धन्यवाद , और बधाई ।

    उम्मीद करता हूँ सकारात्मकता और आशापूर्ण रूप में प्रस्तुत व्याख्यान अवश्य ही मार्गदर्शक सिद्ध होगी

    ReplyDelete
  11. आपने अपने आलेख में बहुत ही महत्वपूर्ण एवं स्वाभाविक चीजों का वर्णन किया है जिस पर हम एक अभिभावक एवं शिक्षक के तौर पर ध्यान देकर बच्चों के भविष्य को निश्चित तौर सुन्दर और सफल बना सकते हैं।

    Thank you very much jyoti jee.

    ReplyDelete
  12. किशोरावस्था के बच्चों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उम्र के इस पड़ाव पर वे सही गलत का फैसला बहुधा नहीं कर पाते हैं और अवसाद के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में अभिभावकों की भूमिका तो महत्वपूर्ण है ही, शिक्षक की भूमिका भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। ऐसे बच्चों को माता पिता के सहयोग और शिक्षकों के परामर्श की सख्त आवश्यकता होती है। एक शिक्षक के रूप में हमें बच्चों की समस्याओं को गंभीरता पूर्वक सुनने तथा उचित काउंसलिंग की सहायता से उनके समस्याओं के निराकरण हेतु प्रयास करना चाहिए ताकि उम्र के इस सर्वाधिक संवेदनशील पड़ाव को सहजता पूर्वक पार कर वो अपना भविष्य निर्माण कर सकें। एक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषय पर तथ्यपरक आलेख हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं............

    ReplyDelete
  13. संतोष कुमार, मुज़फ़्फ़रपुर19 June 2020 at 21:27

    बहुत कम शब्दों में बेहतरीन सलाह बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete
  14. आज के समय में यह बेहद महत्वपूर्ण लेख है । किशोरावस्था में ही यह निर्भर करता है कि उस इंसान का पूरी जिंदगी कैसा होगा। आपने बिल्कुल सूक्ष्म और सत्य बात बताया है कि किशोरावस्था जिंदगी का वो मोड़ होता है जहाँ से अनेक रास्ते खुलते हैं और सही रास्ता का निर्णय करना बहुत महत्वपूर्ण होता है । इस उम्र में हार्मोनल चेंज से लेकर बहुत कुछ बदलता है जिससे वो शख्स अंजान होता है। उसे हर चीज़, जो उसे पसंद हो, सही लगता है और यहाँ तक कि गार्जियन की बात भी गलत लगता है। ऐसे समय में गार्जियन का दायित्व बनता है कि अपने बच्चों के अंतर्मन को पढे - समझे, और फिर सही दिशानिर्देश दें।

    यह लेख लिखने के लिए आपको धन्यवाद् एवं ब्लॉग में प्रसारित होने के बधाई
    ��❤

    ReplyDelete
  15. सामयिक समस्या का समाधान।
    👌🏼👌🏼👌🏼🤝🤝

    ReplyDelete
  16. Very nice.
    Pramod Ranjan
    SUPAUL

    ReplyDelete
  17. बहुत बढ़िया👌👌👌

    ReplyDelete