ऑनलाइन शिक्षा-मनोज कश्यप - Teachers of Bihar

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Thursday 25 June 2020

ऑनलाइन शिक्षा-मनोज कश्यप

ऑनलाइन शिक्षा 
         
          पूरा विश्व आज कोरोना से ग्रसित है। इसने पूरे विश्व में एक साथ लगभग लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न कर दी है जिससे आम जन-जीवन ठहर सा गया है। भारत भी  इससे अछूता नहीं है। समस्त उद्योग-धंधे, आवागमन, व्यापार, शैक्षणिक गतिविधियाँ ठप है। इसने समस्त देश के विकास के पहिए को रोक दिया है जिसके दूरगामी प्रभाव आने वाले दिनों में दिखेंगे।
          इन सब में देश को सबसे ज्यादा किसी ने प्रभावित किया है तो वह शैक्षणिक ठहराव है। कोरोना वायरस के कारण देश में समस्त शैक्षणिक गतिविधियाँ, वर्ग संचालन, परीक्षा संचालन, नामांकन, परीक्षा परिणाम इत्यादि स्थगित है । बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए प्राथमिक शिक्षा को भी इसी कारण सत्र के प्रारंभ से पूर्व ही स्थगित कर दिया गया है। इसके कारण वर्ग I से VIII तक लगभग पचहत्तर हजार प्राथमिक विद्यालयों के एक करोड़ तीस लाख बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं तथा उनका नियमित सत्र भी पिछड़ रहा हैं।
          ऑनलाइन शिक्षा आज बदलते हुए माहौल में एक आवश्यकता बन गई है। इसका बेहतर इस्तेमाल प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में किया जा सकता है। उच्चतर शिक्षा में यह पूर्व से प्रचलित है परंतु सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षा में इसका अभाव रहा है। प्राथमिक विद्यालय में ऑनलाइन शिक्षा लागू करने में कुछ कठिनाइयाँ सामने आती है।
          सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे गरीब, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से आते हैं। अभिभावक या तो सीमांत किसान या फिर मजदूर होते हैं। इनके लिए एंड्राइड मोबाइल तथा स्मार्टफोन का नियमित इस्तेमाल करना एक चुनौती बन जाता है। विस्थापन इन लोगों के बीच गंभीर समस्या है।अक्सर ये लोग समय-समय पर परिवार सहित दूसरे राज्यों में मजदूरी के लिए चले जाते हैं जिससे नियमितता टूट जाती है। नियमित उपस्थिति प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए एक गंभीर समस्या है। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में मौसम के अनुसार बच्चों की उपस्थिति प्रभावित होती है। खेती या शादी विवाह या पर्व त्यौहार के मौसम में उपस्थिति में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। इन सबके बावजूद प्राथमिक विद्यालयों में पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा में ऑनलाइन कार्य की तरफ व्यापक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
          लॉकडाउन की अवधि में शिक्षा विभाग के द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई का एक प्रयास किया जा रहा है जो काफी सफल रहा है। इसके अंतर्गत दीक्षा एप, उन्नयन ऐप, जूम क्लाउड मीटिंग, व्हाट्सएप लाइव के द्वारा पढाई किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर मेरा दूरदर्शन मेरा विद्यालय कार्यक्रम चलाया जा रहा है जो बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा है। "टीचर्स ऑफ बिहार" भी अपने अनेकों साथियों के साथ मिलकर बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। सनडे फनडे के माध्यम से रविवार को अनेकों प्रकार की चित्रकला, संगीत इत्यादि भी सिखाएँ जाते हैं। 
          ऑनलाइन शिक्षा के लिए और अधिक सार्थक पहल करने की आवश्यकता है। शिक्षकों, बच्चों एवं अभिभावकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ऑनलाइन शिक्षा एक ऐसा महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसके द्वारा न सिर्फ संकटकालीन स्थिति में पठन-पाठन की गतिविधियाँ जारी रखी जा सकती है बल्कि इसके द्वारा छुट्टी के समय भी विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियाँ बच्चों के बीच किया जा सकता है। ग्रीष्मावकाश के समय समर कैंप एवं अन्य गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है ।  
          सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित कार्यक्रमों सीधे बच्चों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया जा सकता है।स्वच्छता, शौचालय निर्माण, दहेज प्रथा उन्मूलन, शराबबंदी, मानव शृंखला का निर्माण इत्यादि जैसे कार्यक्रम करवाकर बच्चों के माध्यम से आम जनता के बीच पहुँचाया जा सकता है जो अधिक सार्थक एवं प्रभावी हो सकता हैं। 
          बदलते हुए वैश्विक परिवेश तथा आपातकालीन परिस्थितियों को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा आज की जरूरत है। आवश्यकता है तो इसके समुचित प्रशिक्षण एवं प्रबंधन की तथा शिक्षकों के बीच प्रोफेसनल दृष्टिकोण अपनाने की। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए प्राथमिक शिक्षा में इसके आधुनिकीकरण की आवश्यकता है। यह कठिन प्रतीत अवश्य होता है परंतु असंभव नहीं।

मनोज कस्यप 
संकुल समन्वयक
सिमरा फुलवारीशरीफ, पटना

3 comments:

  1. बहुत-बहुत सुन्दर!

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  2. आपने अच्छा लिखा है सर।आज जैसा संकट चल रहा है इस परिस्थिति में, ऑनलाइन शिक्षा की ही जरूरत है।

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