Friday, 7 August 2020
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शिक्षक होना आसान नहीं-स्वाति सौरभ
शिक्षक होना आसान नहीं
शिक्षा जीवन का मूल आधार है। किसी को शिक्षित करना सबसे बड़ी सेवा है। शिक्षक कोई व्यवसाय नहीं है, शिक्षक एक जिम्मेदारी है राष्ट्र निर्माण की, किसी के भविष्य को सही दिशा देने की, समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने की और भी कई सारी जिम्मेदारियाँ आ जाती हैं एक शिक्षक के कंधे पर।शिक्षक की नौकरी करने और शिक्षक होने में बहुत ही अन्तर है। शिक्षक की नौकरी करना शायद बहुत आसान है लेकिन एक शिक्षक के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करना आसान नहीं है।
मैं समझती हूँ कि शिक्षा का मतलब केवल किताबी ज्ञान से नहीं है और न ही शिक्षक होने का मतलब केवल बच्चों को किताब का ही ज्ञान देना है। एक शिक्षक के रूप में हमारे सामने कई सारी चुनौतियाँ खड़ी हो जाती हैं। एक बच्चा को शिक्षित करने का मतलब उसे सही और ग़लत का ज्ञान देना, उसे सही मार्गद्शन देना, उसके अंदर छिपी हुई प्रतिभा की पहचान करना है। हर बच्चा खास होता है। सब में कोई ना कोई खास बात जरूर होती है। अगर बच्चा पीछे के बैंच पर बैठना पसंद करता है तो इसका मतलब ये कदाचित नहीं है कि उसमें कोई टैलेंट ही नहीं है। उसमें टैलेंट तो है लेकिन बच्चे को अपनी खुद की पहचान नहीं है। शायद वो एक पेंटर हो या कोई राइटर या कोई खिलाड़ी उसके अंदर छिपा हो। कई सारे बच्चे हीन भावना से ग्रसित होते हैं जो खुल कर अपनी बात को नहीं रख पाते। एक शिक्षक की जिम्मेवारी होती है कि हम बच्चे को उनके अंदर छिपे टैलेंट से उनकी पहचान करवाएंँ। उन्हें बताएँ कि दुनियाँ में आप बहुत खास हो। मैंने ये भी महसूस किया है कि कई सारे बच्चे ऐसे भी हैं जो पढ़ना चाहते हैं या आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन परिवार का उन्हें सहयोग नहीं मिल पाता है जिसके कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ती है या अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते क्योंकि सही गाइड नहीं मिल पाती है। एक शिक्षक के रूप में केवल किताब का ज्ञान देना ही नहीं बल्कि उनकी मानसिक व शारीरिक चहुमुखी विकास करना है। उन्हें इस लायक बनाना है कि वो अपने अधिकार की लड़ाई भी खुद लड़ सके।अपने परिवार को शिक्षा का महत्व समझा सके।
शिक्षक केवल वो इंसान नहीं है जो शिक्षक की नौकरी कर रहा है बल्कि वो हर इंसान, जीव जंतु, प्रकृति सब शिक्षक हैं जिनसे हम जीवन में कुछ सीखते हैं या जो हमें जीवन का मार्ग दिखाते हैं। अगर हम देखें तो हर एक चीज जो इस दुनिया में है वो कुछ ना कुछ सिखाती है। किसी भटके राहगीर को सही रास्ता दिखाने वाला भी एक शिक्षक ही है। शिक्षक होना बहुत गर्व की बात है।मैंने भी शिक्षिका के रूप में अपनी छोटी सी यात्रा में बहुत कुछ सीखा भी और कुछ सीखने की कोशिश भी की है। सीखने और सिखाने की मेरी यह कोशिश आजीवन जारी रहेगी।
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Bilkul sahi likha hai aapne.
ReplyDeleteThank you sir 🙏
DeleteBilkul sahi
ReplyDeleteThank you 🙏
DeleteMai aapse purntah sahmat hu....bahut khoob
ReplyDeleteThank you mam 🙏
Deleteबेहतरीन,लाजवाब ,बेमिसाल। बहुत बहुत उन्नत ।
ReplyDeleteThank you sir 🙏
Deleteबहुत खूब लिखा है आपने ।
ReplyDeleteThank you sir 🙏
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteशिक्षक की इस अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को आपने बहुत ही सरल एवं सहज शब्दों में स्पष्ट किए हैं।
ReplyDeleteअति सुंदर!
Thank you sir 🙏
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