प्रकृति के सान्निध्य में-स्वाति सौरभ - Teachers of Bihar

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Monday, 6 July 2020

प्रकृति के सान्निध्य में-स्वाति सौरभ

प्रकृति के सान्निध्य में

          आधुनिक युग में हम जितने टेक्नोलोजी के करीब जा रहे हैं उतना ही प्रकृति के सान्निध्य से दूर होते जा रहे हैं। तेज़ी से बढ़ती हुई जनसंख्या और लोगों का गाँव से शहर की ओर पलायन होने के कारण जंगल को काटने की प्रक्रिया निरंतर बढ़ती जा रही है। मानव की आवश्यकताओं और विकाश की अंधी होड़ व औद्योगिक नीति के कारण हम वनों को काटते जा रहे हैं। वन एक अमूल्य निधि है जिन पर हमारा जीवन आश्रित है फिर भी हम वनों की कटाई को अनदेखा कर रहे हैं। हम कुछ समय पहले अगर देखें तो आम, अमरूद, जामुन जैसे पेड़ों के बगीचे नजर आ जाते थे जहाँ बच्चे खेलते-कूदते रहते, झूला झूलते हुए अक्सर नजर आ जाते थे। अब शहरीकरण होने के कारण हम टाइम निकाल कर रविवार या किसी खास दिन घूमने के लिए जाते हैं। 
          पेड़-पौधे पृथ्वी की सुरक्षा कवच के समान हैं जो तापमान को भी नियंत्रित करते हैं। आज गर्मियों में तापमान इतना बढ़ जाता है कि मानव की सहन क्षमता कम हो जाती है। आज-कल अधिकतर घरों में ए. सी. और कूलर की डिमांड बढ़ती जा रही है लेकिन ये कभी प्रकृति की जगह नहीं ले सकते। लगातार प्रदूषण का बढ़ना, सांस लेने में तकलीफ होना आदि पेड़-पौधे की कमी के कारण ही हैं।
          पेड़-पौधों की कटाई के कारण भूमि बंजर होती जा रही है और रेगिस्तान बनती जा रही है। पेड़-पौधे मिट्टी को जकड़े रहते हैं, बाढ़ को रोकते हैं और मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखते हैं। पेड़ हम से लेते क्या हैं वो तो केवल देते हैं। शुद्ध हवा पूर्ण वातावरण, फल, फूल, छाया और इनकी लकड़ियाँ भी कितने सामान बनाने के काम आती हैं। प्रकृति की जगह कभी भी कृत्रिम चीजें नहीं ले सकती चाहे विज्ञान कितना भी प्रगति कर ले। इसलिए कृपया प्रकृति के सान्निध्य से दूर ना हों और इनकी रक्षा करें जिसके लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ
          वैज्ञानिकों का ये मानना है कि देश के एक तिहाई हिस्सों पर वन होना चाहिए लेकिन ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 23 फीसदी हिस्सा ही वनों से आच्छादित है। जितना अधिक विज्ञान उन्नति कर रहा है उतना ही हम प्रकृति के सानिध्य से दूर हो रहे हैं। बच्चे जो पहले खेतों में, बगीचों में खेलते हुए नजर आते थे, अब वो मोबाइल और टीवी की दुनियाँ में सिमटते जा रहे हैं। शुद्ध हवा के लिए तो जैसे अब कोई तरस रहा है। ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच अब घुटन महसूस होने लगी है। 
          वनों की कटाई काफी गंभीर और चिंतनीय विषय है जिसपर हम सब को ध्यान देना होगा। सरकार वनों को रखने के लिए कई कदम भी उठा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नागरिक नहीं बनेंगे, पेड़ों की कीमत नहीं समझेंगे, लोगों को जागरूक नहीं करेंगे तब तक सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी सार्थक नहीं होंगे। वक्त रहते ही हमें संभलना होगा वरना पृथ्वी पर पर्यावरणीय संकट गहराता जाएगा। अवैध कटाई को रोकना होगा और इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। पेड़ों से ही हमारा वजूद है। अत: हमें प्रकृति से प्रेम करना होगा और इनके रक्षा की जिम्मेदारी हम सब को लेनी होगी।

स्वाति सौरभ 
आदर्श म. वि. मीरगंज
आरा नगर, भोजपुर

8 comments:

  1. Bahut bahut badhiya maim
    Aapki lekhni hi kamaal ki hai

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  2. Very enlightening and useful article. Really, plants are the ornaments of the Earth. Green plants are the base healthy, wealthy and happy life. Congratulations for this nice article.👌👌👌💐💐

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  3. Aapki to baat hi alag hai maim
    Aap vidha me shreshth h

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  4. विज्ञान की उन्नति प्रकृति की अवनति ना बनने देना है

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