जिज्ञासा-नीभा सिंह - Teachers of Bihar

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Sunday 26 July 2020

जिज्ञासा-नीभा सिंह

जिज्ञासा

          जिज्ञासा यानी किसी चीज को गहराई से जानने की इच्छा या ज्ञान प्राप्त करने की उत्सुकता है। मनुष्य में जिज्ञासा आदिकाल से विद्यमान रही है। किसी में कम तो किसी में ज्यादा। हमसबों का जीवन  बचपन से ही क्यों, कैसे, कहाँ, कब, क्या जैसे सवालों से घिरा होता है। अक्सर बच्चे तरह-तरह के प्रश्न पूछते हैं। ऐसा देखा गया है कि जो बच्चे शांत प्रकृति के होते हैं और ज्यादा सवाल जबाव नहीं करते उन्हें हम अच्छे बच्चे की श्रेणी में रखते हैं तथा जो बच्चे बहुत ज्यादा सवाल जबाव करते हैं उसे  नटखट बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। कक्षा कौन सी अच्छी? जहाँ शोरगुल न हो। कक्षा मैं बच्चे बिल्कुल शांत रहें। अक्सर ऐसी धारणा हम सबों की है। किंतु क्या ऐसी धारणा सही है? 
          बच्चे सवाल तभी करते हैं जब उसमें कोई जिज्ञासा हो। सभी बच्चों में जिज्ञासा होती है। किसी में कम तो किसी में ज्यादा। ज्यादा जिज्ञासु बच्चे हीं तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। और अधिकतर ऐसे ही बच्चे आगे चलकर कुछ अच्छा कर गुजरते हैं। लेकिन उनके अत्यधिक प्रश्न पूछने से कभी-कभी हम उब जाते हैं और फटकार लगा देते हैं। इस प्रकार उनकी जानने की इच्छा दबी रह जाती है और वह दब्बू किस्म के हो जाते हैं। आगे प्रश्न करने से घबराते हैं परंतु यह कहाँ तक उचित है? अगर बच्चे प्रश्न नहीं पूछेंगे तो सीखेंगे कैसे?  सेब  तो सदियों से नीचे गिर रहा था। परंतु आइज़क न्यूटन के ऊपर जब सेब गिरा तो वह बेचैन हो गए यह जानने के लिए कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा? इधर-उधर या ऊपर क्यों नहीं गया? यह भी उनकी जिज्ञासा ही थी। बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में हमें पता नहीं था। जिज्ञासा के कारण ही लोगों ने इसे खोजा एवं जाना। जो कुछ भी अविष्कार हुआ वह भी जिज्ञासा का ही परिणाम है। यही नहीं वास्तव में संसार में जितना भी ज्ञान और विज्ञान दिखाई देता है उसके पीछे मनुष्य की जिज्ञासा की प्रमुख भूमिका रही है। किसी भी चीज का अनुसंधान हम तभी कर सकते हैं जब हमें उसके प्रति जिज्ञासा होगी। 
          बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ-साथ अपने परिवेश की हर गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करना बाल्यावस्था की मूल प्रवृत्ति है। हमारे अंदर कई तरह की शक्तियाँ छुपी हुई हैं। इन शक्तियों को जगाने के लिए हमें अपनी जिज्ञासा रूपी शस्त्र को जागृत करके रखने की आवश्यकता है। सफलता हासिल करने के लिए जिज्ञासा रूपी बीज बोना बहुत आवश्यक है। मनुष्य का सारा ज्ञान एवं सारी योग्यताएँ जिज्ञासा के बिना व्यर्थ है। यदि बच्चे जिज्ञासु होंगे तभी वह किसी काम को भली भांति सीख सकते हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए जिज्ञासा संजीवनी का काम करती है। दूसरे शब्दों में अगर हम यह कहे कि सफलता का सबसे पहला सूत्र है, जिज्ञासा तो यह गलत नहीं होगा।
          अतः हमें बच्चों की जिज्ञासा का आदर करना चाहिए। बच्चों की जिज्ञासा गहरी होती है उसे संतुष्ट करना आवश्यक है। प्रश्न मन में उपजना और उसका सही समाधान मिलना ज्ञान वृद्धि का सबसे अच्छा तरीका है। उनकी हर एक प्रश्नों का जवाब देकर हम उन्हें संतुष्ट करें। एक शिक्षक के रूप में बच्चों के प्रति स्नेह एवं शिक्षण कार्य के प्रति समर्पण प्रत्यक्ष रूप से बच्चे एवं जन समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। बच्चों में जिज्ञासा पैदा कर हम उनका सीखना आसान कर सकते हैं। बच्चे जबरन थोपी गई चीजों को नहीं सीख सकते। हम उनमें जिज्ञासा पैदा कर अभिव्यक्ति का पर्याप्त अवसर देकर उनकी कल्पनाशीलता एवं सृजनशीलता को सकारात्मक दिशा प्रदान कर सकते हैं।बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न करना एवं उनके जिज्ञासा को संतुष्ट करना हम शिक्षकों एवं अभिभावकों का कर्तव्य है। उनके अंतर्मन में जिज्ञासा रूपी ज्योति को जलाए रखना है क्योंकि वही ज्योति ज्ञान-विज्ञान की आधार बनती है। जिज्ञासा की शक्ति अनंत है। यह किसी को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। तो आइए हम बच्चों के जिज्ञासा को पंख लगाने का कार्य कर उसके उड़ने में सहायक बने।


नीभा सिंह
मध्य विद्यालय जोगबनी
फारबिसगंज अररिया

7 comments:

  1. बहुत-बहुत सुन्दर!

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  2. बहुत ही अच्छी रचना

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  3. उत्कृष्ट आलेख

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  4. बहुत अच्छा

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  5. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति💐💐✍️✍️

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