शिक्षा पाना और शिक्षित होना-प्रियंका प्रिया - Teachers of Bihar

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Monday 27 July 2020

शिक्षा पाना और शिक्षित होना-प्रियंका प्रिया

शिक्षा पाना और शिक्षित करना

          अमूमन शिक्षक बनने के लिए अब प्रशिक्षण जरुरी हो गया है। बिना प्रशिक्षण के आप शिक्षक बनने की योग्यता नहीं रखते हैं। प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार के TLM बनाकर पाठ को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है। विभिन्न प्रकार के चार्ट पेपर और अन्य विधियों का प्रयोग कर शिक्षण के नए-नए  आयाम स्थापित किए जाते हैं। वहीं प्रशिक्षण पूर्ण कर शिक्षक बनते ही सारी विधियों और TLM को बना कर पढ़ाने की रुचि धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है। जब हम प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे होते हैं तब हमें ऐसी बहुत सी बातें सीखने को मिलती है जो हमारे व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं परंतु प्रशिक्षणोपरांत बहुत सारे ऐसे शिक्षक भी होते हैं जो शिक्षण में उसका प्रयोग नहीं करते हैं। उनमें यह भावना आ जाती है कि अब इतना मेहनत कौन करे। शिक्षण के प्रति वे स्वयं को उतना समर्पित नहीं करते जितना  प्रशिक्षण के दौरान नंबर प्राप्त करने के लिए करते हैं। इस प्रकार हम शिक्षा तो पा लेते हैं पर जब उसी शिक्षण और प्रशिक्षण को व्यवहारिक तौर से प्रयोग में लाए जाने की बात होती है तो हम उदासीन हो जाते हैं। इस तरह हम देखते हैं शिक्षा पाने और शिक्षित करने के बीच काफी गहरी खाई उत्पन्न हो जाती है। 
          शिक्षा का सही अर्थ स्वयं को प्रशिक्षित कर स्वयं तक सीमित रहने से नहीं अपितु अपने ज्ञान को व्यवहारिक रूप से जोड़ने और प्रयोग में लाने से है। हमें प्रशिक्षणोपरांत सीखी गई हर एक बात को अपने शिक्षण में प्रयोग में लाना चाहिए। पारंपरिक शिक्षण प्रक्रिया से ऊपर उठकर नवीन तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि बच्चे भी शिक्षण को भार न समझे और उनका ध्यान पढ़ाई में लगे। हमें हमेशा यह सोचना चाहिए कि किस तरह अपने प्रशिक्षण के दौरान सीखे गए हर एक पहलू में हमें सुधार कर, नवाचार कर शिक्षण को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाएँ। शिक्षण शैली का प्रभावी प्रस्तुतिकरण शिक्षण को सरलतम, सहज और आकर्षक बनाता है। कुछ महत्वपूर्ण शिक्षण विधियाँ निम्न है:-
          Role play, Team Teaching, Group discussion, Demonstration method, Brain storming, Story telling, Debate, Using Some educational videos & Animations, presentation of effective TLM, Co-curriculur activities आदि बहुत ही रोचक विधियाँ हैं जिनके द्वारा हम शिक्षण को प्रभावशाली बना सकते हैं और शिक्षा पाने तथा शिक्षित करने के अंतर को कम कर सकते हैं।
   

प्रियंका प्रिया
स्नातकोत्तर शिक्षिका (अर्थशास्त्र)
श्री महंत हरिहरदास उच्च विद्यालय, पूनाडीह, पटना

6 comments:

  1. बहुत-बहुत सुन्दर!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।।

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  2. यह गुण सभी शिक्षक के पास होना चाहिए

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