समृद्ध शब्दकोष-प्रियंका प्रिया - Teachers of Bihar

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Monday 24 August 2020

समृद्ध शब्दकोष-प्रियंका प्रिया

समृद्ध शब्दकोष

          सबसे पहले हम समझेंगे शब्दकोष किसे कहते हैं। शब्दकोष एक बड़ी सूची या ऐसा ग्रंथ है जिसमें शब्दों की वर्तनी, उनकी व्युत्पत्ति, व्याकरणनिर्देश, अर्थ, परिभाषा, प्रयोग और पर्यायवाची शब्दों का सन्निवेश हो। अधिकतर शब्दकोषों में शब्दों के उच्चारण के लिए भी व्यवस्था होती है, जैसे- अंतरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि में, देवनागरी में या ऑडियो संचिका के रूप में। 
          शब्दकोषों में शब्दों को अर्थसहित क्रम विशेष में सुनियोजित तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। वैदिक काल में शब्दकोष के स्थान पर निघण्टु नाम चलता था। निघण्टु को वैदिक शब्दकोष कहते हैं। अंग्रेजी में कोष निर्माण का प्रारंभ १६वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ। अब तो कोषविज्ञान नाम से भाषाविज्ञान की स्वतंत्र शाखा का भी विकास हो चुका है। 
१)व्यक्ति कोश
२) पुस्तक कोश
३) विषय कोश
४) विश्व कोश
५) भाषाकोश
          अमूमन बोलचाल की भाषा में तो हम जैसे-तैसे कुछ भी बोल लेते हैं पर किसी मुद्दे पर जब कोई बात लिखनी हो या कहनी हो तो लगता है शब्दों का अकाल पड़ गया हो। एक शिक्षिका, एक माँ और एक लेखिका होने के नाते परिवार के साथ ही भावी भविष्य के बच्चों की डोर भी हम पर निर्भर करती है। हमारे व्यक्तित्व को निखारने में शब्दों का महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि हमारी वाणी से ही हमारे व्यक्तित्व की झलक मिलती है। घर के वातावरण में आंचलिक भाषा का रसास्वादन शब्दों के सही प्रयोग पर ही निर्भर करता है।  हमारे शब्दकोष जितने गहन होंगे हमारी भाषा, हमारी वाणी उतनी ही समृद्ध होगी। हिंदी, अंग्रेजी या कोई भी स्थानीय भाषा हो, बच्चों या बड़ों सभी को अपने शब्दकोष में नित नए शब्द जोड़कर, यादकर, समझकर, उसका सही उच्चारण कर उन्हें अपने ज्ञान में अभिवृद्धि करने की आदत बनाने पर बल देना चाहिए। जितना समृद्ध हमारा शब्दकोष होगा उतने ही समृद्ध हम होंगे। 
          परंतु आज की दुर्दशा ये है कि हम स्वयं को समृद्ध बनाने की बजाए बात-बात पर गूगल से खोज करना सीख गए हैं। मनुष्य का मशीन पर इतनी निर्भरता ने मनुष्य को अंदर से खोखला कर दिया है। अगर हमारा शब्दकोष समृद्ध रहेगा तो हम किसी से भी बिना किंतु-परंतु किए अच्छी वार्ता कर सकते हैं। समृद्ध शब्दकोष हमें एक अच्छा वक्ता, एक अच्छा विचारक और अच्छा कवि या लेखक बनने में काफी सहायक होता है। इसके अभाव में हमारी वाणी में विराम और लेखनी मद्धम हो सकती है। अपने भावाविचारों को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त करने में हम सहज महसूस करेंगे। इसलिए शब्दकोषों को समृद्ध करने के लिए हर दिन नए शब्द सीखे, सिखाएँ, प्रयोग में लाएँ और अपने शब्दकोष को समृद्ध बनाएँ।


प्रियंका प्रिया
स्नातकोत्तर शिक्षिका
पटना

2 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

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