स्वतंत्रता दिवस-हर्ष नारायण दास - Teachers of Bihar

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Saturday 15 August 2020

स्वतंत्रता दिवस-हर्ष नारायण दास

स्वतंत्रता दिवस

          स्वतन्त्रता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।इसके बिना जीवन व्यर्थ है। पराधीन मनुष्य न तो सुखी रह पाता है और न ही अपनी इच्छाओं के अनुकूल जीवन व्यतीत कर पाता है। कहा भी गया है- पराधीन सपनेहुँ सुख  नाहिं। इस तरह प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वतन्त्रता का विशेष महत्व होता है और यदि सदियों की परतन्त्रता के बाद स्वतन्त्रता हासिल हुई तो ऐसी स्वतन्त्रता का महत्व और बढ़ जाता है। स्वतन्त्रता दिवस का दिन भारतीय जीवन का एक मंगलमय दिन है। 
          भारत का इतिहास लगभग हजारों वर्ष पुराना है।अपने हजारों साल के इतिहास में इसे कई विदेशी आक्रमणों का सामना करना पड़ा। अधिकतर विदेशी आक्रमणकारी भारतीय सभ्यता-संस्कृति में इस तरह घुल मिल गए, मानो वे यहीं के मूल निवासी हों। शक, हूण इत्यादि ऐसे ही विदेशी आक्रमणकारी थे। विदेशी आक्रमणकारियों के आगमन एवं यहाँ की सभ्यता संस्कृति में घुल-मिल जाने का सिलसिला मध्यकालीन मुगलों के शासन तक चलता रहा। अठारहवीं सदी में जब अंग्रेजों ने भारत के कुछ हिस्सों पर अधिकार जमाया तो यहाँ के लोगों को गुलामी का अहसास पहली बार हुआ।अब तक सभी विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत को अपना देश स्वीकार कर यहाँ शासन किया था किन्तु अंग्रेजों ने भारत पर अधिकार करने के बाद अपने देश इंग्लैंड की भलाई के लिए इसका पूरा पूरा शोषण करना शुरू किया। जब अंग्रेजों ने मुगलों का शासन समाप्त कर पूरे भारत पर अपना अधिकार कर लिया तो उनके शोषण एवं अत्याचारों में भी वृद्धि होने लगी फलस्वरूप भारतीय जन मानस दासता की बेड़ियों में जकड़ता गया।भारत माता गुलामी की जंजीरों में कराहने लगी।तब "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि'' में विश्वास करने वाले स्वतन्त्रता के दीवानों ने अंग्रेजो के खिलाफ आजादी के संघर्ष का बिगुल फूँक दिया। आजादी का यह संघर्ष उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से प्रारम्भ हुआ था।इस संघर्ष में कई लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दी, कई लोग अंग्रेजों के जुल्म के शिकार हुए। कइयों को जेल की सलाखों के पीछे नारकीय जीवन व्यतीत करना पड़ा। कइयों को काला पानी की सजा दी गई। आजादी का यह संघर्ष 1947 ई० तक चला। आजादी के इस संघर्ष के नायकों की संख्या अनगिनत है। उन सबके नामों का यहाँ उल्लेख करना सम्भव नहीं किन्तु सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगतसिंह, खुदीराम बोस, महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ०राजेन्द्र प्रसाद, सरदारवल्लभ भाई पटेल, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, अबुल कलाम आजाद इत्यादि कुछ ऐसे स्वतन्त्रता सेनानी थे जिनका भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में विशेष योगदान था।
          धर्मनिरपेक्षता भारतीय गणतन्त्र की एक प्रमुख विशेषता है। पिछले कुछ वर्षों में साम्प्रदायिकता की स्वार्थपूर्ण एवं कुटिल राजनीति के कारण भारत की धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं को काफी ठेस पहुँची है।इसके अतिरिक्त कुछ विघटनकारी शक्तियों ने भी देश के  भीतर अपनी जड़ें स्थापित कर ली हैं। हमें साम्प्रदायिक ताकतों एवं देश की विघटनकारी शक्तियों का विरोध कर अपनी राष्ट्रीय एकता की रक्षा किसी भी कीमत पर करनी चाहिये। स्वतन्त्रता दिवस हमें देश के लिए शहीद हुए लोगों की याद दिलाता है। यह हमें किसी भी कीमत पर स्वतन्त्रता की रक्षा करने की प्रेरणा देता है। जो राष्ट्र संगठित होता है उसे न कोई तोड़ सकता है और न ही कोई उसका कुछ बिगाड़ सकता है। वह अपनी एकता एवं सामूहिक प्रयास के कारण सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है। कई बार हमारे दुश्मन देश या पैसे के लिए सब कुछ बेच देने वाले कुछ स्वार्थी लोग अराजकता एवं आतंकी कार्यों द्वारा हमारी एकता को भंग करने का असफल प्रयास करते हैं।
          अतः भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि इसकी एकता और अखंडता बनाये रखने के लिए हर बलिदान और त्याग करने को प्रस्तुत रहे। देश के बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध नागरिकों का कर्त्तव्य है कि वे देश की जनता को इस दिशा में जागरूक कर समूचे राष्ट्र की एकता कायम रखने में अपना आवश्यक योगदान दें।भारत के नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम इस भावना को नष्ट न होने दें वरन इसको और अधिक पुष्ट बनाये। खेद की बात है कि इतने वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी भारत अपने सपने को साकार नहीं कर पाया। इसका कारण वैयक्तिक स्वार्थों की प्रबलता है। दलबंदी के कारण भी काम में विशेष गति नहीं आती। अतएव हमारा कर्त्तव्य है कि देश के उत्थान के लिए इसकी ईमानदारी  का परिचय दें। प्रत्येक नागरिक कर्मठता का पाठ सीखें और अपने चरित्र बल को ऊँचा बनाएँ। जनता और सरकार दोनों को मिलकर देश के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करना है।
          युवक देश की रीढ़ की हड्डी के समान हैं। उन्हें देश का गौरव बनाए रखने के लिए तथा इसे सम्पन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। राष्ट्र के उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि हम साम्प्रदायिकता के विष से सर्वथा दूर रहें। 

हर स्वतन्त्रता दिवस पर हम सब व्रत धारें। 
जननी जनभूमि की खातिर अपना सब कुछ वारें।।


हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा
फारबिसगंज(अररिया)

3 comments:

  1. बहुत खूबसूरत अंदाज ए बयां है सर आपका

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  2. बहुत-बहुत सुन्दर!

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  3. बहुत ही उम्दा 🙏

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