Saturday, 15 August 2020
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स्वतंत्रता दिवस-प्रीति कुमारी
स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त 1947 का वह अविस्मरणीय दिन जब हमें आजादी मिली थी। इतिहास के पन्नों में जगमगाता वह स्वर्णिम पल जब सारा देश स्वतंत्रता का उत्सव मना रहा था क्योंकि इसी दिन हमारा देश पूर्णत: आजाद हुआ था। उसी दिन से हम 15 अगस्त को राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाते हैं। इस दिन पूरे देश में झाँकियाँ निकाली जाती हैं, तिरंगा फहराया जाता है, मिठाईयाँ बाँटी जातीं हैं, राष्ट्रीय गीत गाये जाते हैं और साँस्कृतिक कार्य-क्रमों का आयोजन जाता है। इस दिन हम सभी आजादी का जश्न मनाते हैं। यह आजादी हमें यूँ ही नहीं मिली है। गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजाद कराने हेतु हमारे देश के कितने ही वीर सपूत
हँसते-हँसते फाँसी पर झूल गये। कितनों की माँग उजड़ गयी, कितनी माताओं की गोद सुनी हो गई, कितने वीर जवानों ने अपने आपको मातृभूमि के लिए न्योछावर कर दिया। आज इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम उन सभी अमर शहीदों को शत शत नमन करते हैं जिनकी शहादत की वजह से हमें आजादी मिली है।
हमारी भारत माता जो कभी सोने की चिड़िया कहलातीं थीं, जिनकी सम्पन्नता के किस्से जगजाहिर थे, जहाँ के कोहिनूर का कोई विकल्प नहीं था, जिनकी कोख से चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, गौतम बुद्ध, महात्मा गाँधी जैसे अनगिनत सपूतोँ ने जन्म लिया था, जिसकी धरती धन-धान्य से भरपूर थी ऐसी स्वर्ण नगरी हमारी धरती पर अंग्रजों की नजर पड़ गई और वे इसे हड़पने हेतु चालें चलने लगे। वह भेष बदल कर व्यापार करने के लिए भारत में घुसा और फिर धीरे-धीरे हमारे देश की जड़ें खोदने लगा। धीरे-धीरे उसने अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया और अन्ततोगत्वा पूरे भारत पर अधिकार कर लिया। हमारे ही घर में घुसकर हमें ही सताने लगा। लगभग दो सौ वर्षों तक हम अंग्रेजों के अधीन रहे। उसके अत्याचारों को सहते रहे परन्तु कब तक? हर चीज की एक हद होती है और हमारी हदें पार हो चुकी थी। परिणाम स्वरूप हमारे देश के बड़े-बूढे बच्चे, जवान, युवक-युवतियाँ सबों ने अंग्रेजों का विरोध करना शुरू कर दिया। इसी के साथ अंग्रजों के अत्याचार भी बढ़ते गए। जलियाँ वाला बाग हत्याकांड, नील की खेती, भगत सिंह, राम प्रसाद विस्मिल आदि को एक साथ फाँसी आदि अनगिनत उदाहरण हैं जो अंग्रजों की हैवानीयत बयाँ करते हैं। इसके साथ ही गाँधी जी के द्वारा चलाये गए विभिन्न आन्दोलनों जैसे नमक सत्याग्रह, असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलनआदि के द्वारा अंग्रजों को भारत छोड़ने पर विवश किया गया और फिर 8 अगस्त 1942 को आया भारत छोड़ो आन्दोलन। इस दिन हमें आधी आजादी मिल गई थी। अब तक अंग्रजों के समझ में आ चुका था कि अब उन्हें भारत छोड़ना ही पड़ेगा और उन्होंने भारत छोड़ने का निर्णय कर लिया था ।
फिर आया वह स्वर्णिम दिन 15अगस्त 1947 जब हमारा देश पूरी तरह आजाद हो गया। इस आजादी के लिए कितने ही वीरों ने अपने जान की कुर्बानी दी तब जाकर हम स्वतंत्र भारत में खुशी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और तब से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाते हैं परन्तु इस वर्ष हर साल की तरह हम इसे नहीं मना सकते। इसका कारण है कोरोना जैसी महामारी। हमारे बच्चे जो प्रत्येक वर्ष बेसब्री से इस त्योहार का इन्तजार करते हैं, अपने विद्यालय को सजाते संवारते हैं, सास्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, झाँकियाँ निकालते हैं, प्रभात फेरी करते हैं। इस वर्ष उनके उत्साह पर पानी फिर गया है क्योंकि विद्यालय पूर्णत: बन्द है।हम विद्यालय अथवा किसी भी जगह पर झण्डा तो फहराएँगे परन्तु बिल्कुल सादगी से। इस बार न तो भीड़ जुटानी है और न ही कोई कार्य-क्रम आयोजित करना है। झण्डा फहराते समय सामाजिक दूरी का पालन करना है। मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना है। हमें हर हाल में कोरोना से जंग जीतना है। हम आशा करते हैं कि कोरोना को मात देकर अगले वर्ष फिर हम धूम-धाम से स्वतंत्रता दिवस मनाएँगे।
जय हिंद जय भारत
प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ
विद्यापतिनगर, समस्तीपुर
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बहुत सुंदर आलेख
ReplyDeleteसराहनीय आलेख
ReplyDeleteसराहनीय आलेख
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteVery very congratulation Pritijee for increasing knoeledge about infependence day. Bharat kr. Singh,HM UMS Dstiyaon Bhabua Kaimur.
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