Saturday, 5 September 2020
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भारत के महान शिक्षक-राजेश कुमार सिंह
भारत के महान शिक्षक
सर्वपल्ली राधाकृष्णन- आप 40 साल तक शिक्षक रहे। छात्रों में बेहद लोकप्रिय रहे। 1939 में प्रसिद्ध काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने। आप दर्शनशास्त्र के प्रकांड विद्वान थे। भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति के पद को भी आपने सुशोभित किया।
डॉ. जाकिर हुसैन- सिर्फ 23 वर्ष की अवस्था में जाकिर हुसैन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की स्थापना दल के सदस्य बने। आप देश के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति भी रहे।
रवीन्द्र नाथ टैगोर- आपने शांति निकेतन की स्थापना की। यहाँ पढ़ने के लिए एंट्रेंस टेस्ट नहीं होता था बल्कि गुरुदेव बातचीत में ही छात्रों को तौल लेते थे। इसी आधार पर दाखिला मिलता था। शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाले टैगोर प्रथम भारतीय थे।
मुंशी प्रेमचंद- जब तक शिक्षक रहे, तीन तरीकों से छात्रों को शिक्षा दी। पहली- छात्रों का मन जान लेते थे। दूसरी- हर शिक्षा में गाँव होता था। तीसरी- जो भी पढ़ाते उस विषय को कहानी में बदल देते थे।
डॉ. भगवान दास- डॉ. भगवान दास सेंट्रल हिन्दू कॉलेज के संस्थापक रहे। 1914 में यही कॉलेज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ।
दादाभाई नौरोजी- भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ़ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध दादाभाई गणित के प्राध्यापक थे। उनका तर्क अकाट्य होता था। इंग्लैंड के संसद के सदस्य बनने वाले वह प्रथम भारतीय थे। इंग्लैंड डेब्ट्स टू इंडिया नामक लेख में दादाभाई ने पहली बार धन निष्क्रमण का सिद्धांत दिया था।
चंद्रशेखर वेंकट रमण- 1907 में कोलकाता में सहायक अकाउण्टेंट जनरल की नौकरी पा ली थी लेकिन विज्ञान के प्रति अपने अगाध लगाव के चलते नौकरी छोड़ दी। 1930 में विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय बने।
बाल गंगाधर तिलक- आप न सिर्फ शिक्षक बल्कि तेज तर्रार वकील भी थे। लाल, बाल एवं पाल की मशहूर तिकड़ी में से एक थे। होमरूल आंदोलन के समय आपने प्रसिद्ध नारा 'स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे' दिया था। मांडले जेल में 'गीता रहस्य' नामक पुस्तक लिखी। लोकमान्य के रूप में आप प्रसिद्ध थे।
अन्ना साहब कर्वे- जो छात्र पढ़ाई में कमजोर होता था, उसे वे अपने घर में ही रख लेते थे। पढ़ाई-लिखाई का ख़र्च खुद ही उठाते थे। पैसे बचाने के लिए आप 20 किलोमीटर दूर पैदल हीं स्कूल जाते थे।
विधान चंद्र राय- पटना में जन्मे डॉ विधान चंद्र राय कोलकाता मेडिकल कॉलेज में बतौर प्राध्यापक छात्रों को पढ़ाया करते थे। इनके जन्मदिन 1 जुलाई को देश में चिकित्सक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपने बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में भी समाज की सेवा की।
शिक्षक दिवस के अवसर पर उपरोक्त विभूतियों के पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लेते हुए यह कहना चाहता हूँ कि हम सभी शिक्षक साथियों को भी अपने शिक्षक धर्म का शत प्रतिशत पालन करना है तभी इस दिवस की सार्थकता सिद्ध हो सकती है।
राजेश कुमार सिंह
वरिष्ठ शिक्षक
अलख नारायण सिंह उच्च विद्यालय एकमा, सारण, बिहार
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