Saturday, 19 September 2020
New
इतिहास के पन्नों में दफन नालंदा विश्वविद्यालय-कुंदन कुमार
इतिहास के पन्नों में दफन नालंदा विश्वविद्यालय
नालंदा विश्वविद्यालय हमारी सभ्यता की ऐसी विरासतें है, जिन्हें इतिहास की किताबों में पहले पन्ने पर अतीत के वैभव का चेहरा होना चाहिए जबकि हमारे इतिहासकारों ने किताबों के कुछ आखिरी पन्नों पर समेट कर रख दिया है। आज भी हमारा भारत शिक्षा के मामले में 191 देशों की लिस्ट में 145वें नम्बर पर ही है लेकिन कभी यही भारत अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर जाने वाली सभ्यताओं का का प्रतिनिधित्व करता था।
आज बढ़ती जनसंख्या और शिक्षा को व्यवसाय बनाने की दौड़ में जहाँ सैकड़ो छात्रों पर केवल एक अध्यापक उपलब्ध होते हैं वहीं सदियों पहले इस विश्वविद्यालय के वैभव के दिनों में इसमें 10000 से अधिक छात्र और 2000 शिक्षक शामिल थे यानी केवल 5 छात्रों पर एक अध्यापक। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें आठ अलग-अलग परिसर और 10 मंदिर थे साथ ही कई अन्य मेडिटेशन हॉल और क्लासरूम थे। यहाँ पुस्तकालय एक 9 मंजिला इमारत में स्थित था जिसमें नब्बे लाख पांडुलिपियों सहित लाखों किताबें रखी हुई थीं। विश्विद्यालय अपने समकालीन सभी सभ्यताओं के शिक्षा केंद्रों से कुछ इस तरह श्रेष्ठ था कि यहाँ सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, ईरान, ग्रीस, मंगोलिया समेत कई दूसरे देशो के स्टूडेंट्स भी पढ़ाई के लिए आते थे और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उस दौर में यहां लिटरेचर, एस्ट्रोलॉजी, साइकोलॉजी, लॉ, एस्ट्रोनॉमी, साइंस, वारफेयर, इतिहास, मैथ्स, आर्किटेक्टर, भाषा विज्ञान, इकोनॉमिक सहित कई विषय पढ़ाए जाते थे। इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जो आज कमो बेस मौजूद हैं जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी। केंद्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे इनमें गुरुओं के व्याख्यान हुआ करते थे। मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे प्रत्येक मठ के आँगन में एक कुआँ बना था। आठ विशाल भवन, दस मंदिर, अनेक प्रार्थना कक्ष तथा अध्ययन कक्ष के अलावा इसके परिसर में सुंदर बगीचे तथा झीलें भी थी। इस यूनिवर्सटी में देश विदेश से पढ़ने वाले छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा भी थी ।
यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा इतनी कठिन होती थी की केवल विलक्षण प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे। छात्रों को किसी प्रकार की आर्थिक चिंता नहीं थी। उनके लिए शिक्षा, भोजन, वस्त्र औषधि और उपचार सभी निःशुल्क थे। राज्य के शासक की ओर से विश्वविद्यालय को दो सौ गाँव दान में मिले थे जिनसे प्राप्त आय और अनाज से खर्च चलता था। लगभग 800 सालों तक अस्तित्व में रहने के बाद इस विश्वविद्यालय को कुछ असभ्य, आदमखोरों की नजर लग गयी। सन 1193 में नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी के अधीन तुर्क आक्रमणकारियों द्वारा बर्बाद कर दिया गया। फारसी इतिहासकार मिन्हाज-ए-सिराज ने अपनी किताब तबक़त-ए-नासिरी में आक्रांताओं की क्रूरता को बयां करते हुए लिखा है कि यूनिवर्सिटी को बर्बाद करने के लिए अध्ययनरत हजारों छात्रों सहित 1000 भिक्षुओं को जिंदा जलाया गया और 1000 भिक्षुओं के सर कलम कर दिए गए। 9 मंजिला पुस्तकालय को जला दिया गया इसके साथ ज्ञान, विज्ञान, तकनीक और मानवता के आदर्शों को समेटने वाली लाखों पुस्तकें भी उसकी आग में झुलसकर, सैकड़ो मीटर ऊँचे उठते धुँए में हमेशा के लिए कहीं ओझल हो गईं। पुस्तकालय के विध्वंस और किताबों की संख्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुस्तकालय में रखी किताबें लगभग 6 महीने तक जलती रहीं और जलते हुए पांडुलिपियों के धुएं ने एक विशाल पर्वत का रूप ले लिया था ।
वक्त बिता, शासक बदले लेकिन अफसोस कि हमनें अपनी विरासतों के वैभव के पुनर्स्थापना की संभावनाओं को सेक्युलरिज्म की बेड़ियों से जकड़ दिया
और आज भी आधुनिक भारत की रौशनी की चमक में यह विश्वविद्यालय अपने खंडहरों मे खोए अपनी पहचान की तलाश में है।
कुन्दन कुमार
+2 हाई स्कूल लट्टागढ़ औेरंगाबाद
About ToB Team(Vijay)
Teachers of Bihar is a vibrant platform for all who has real concern for quality education. It intends to provide ample scope and opportunity to each and every concern, not only to explore the educational initiative, interventions and innovations but also to contribute with confidence and compliment. It is an initiative to bring together the students, teachers, teacher educators, educational administrators and planners, educationist under one domain for wide range of interactive discourse, discussion, idea generation, easy sharing and effective implementation of good practices and policies with smooth access.
नालंदा विश्वविद्यालय-कुंदन कुमार
Labels:
Blogs Teachers of Bihar,
Teachers of Bihar,
Teachers of Bihar Blogs,
ToBBlog,
ToBblogs,
नालंदा विश्वविद्यालय-कुंदन कुमार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Very nice thought
ReplyDelete