पाठशाला-अभिषेक कुमार सिंह - Teachers of Bihar

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Friday 30 October 2020

पाठशाला-अभिषेक कुमार सिंह

पाठशाला
          
          यह शब्द जब कानों तक पहुँचती है तो एक अलग दृश्य सामने दिखाई देने लगता है जो एक सुखद अहसास की अनुभूति कराता है। विद्या रुपी इस मंदिर में शिक्षक रूपी कर्म योद्धा अपने अनुभव व विचारों के माध्यम से छात्र रूपी पौधों को अपने ज्ञान से सीचते हैं। आज के परिवेश में पाठशाला का दायरा बढ़ता जा रहा है जिसका उपयोग ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए भी किया जाने लगा है। कुछ वर्षों से पाठशाला को विद्यालय के रूप में भी संबोधित किया जाने लगा है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले शिक्षार्थी अलग-अलग अनुभव और जिज्ञासाओं को अपने साथ सहेज लाते हैं जो उन्हें हर एक से अलग पहचान देता है। छात्र  असीम ऊर्जा व जिज्ञासाओं से अच्छादित होते हैं। बस उन्हें हमें सही दिशा देने की आवश्यकता होती है। लेकिन दक्षताओं को ग्रहण करने के दरम्यान कुछ छात्र औसत तथा कुछ आगे निकल जाते हैं। दरअसल यह उन छात्रों की कमियों को ही नहीं बल्कि हम सभी शिक्षकों के कमियों को भी उजागर करता है क्योंकि सभी बच्चे विशिष्ट होते हैं ?
          सही मायनो में विद्यालय एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ शिक्षक एवं छात्र लोकतांत्रिक एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में विषयगत दक्षताओं के साथ जीवन के उन सभी आयामों की समझ व  जानकारी विकसित करता है जो केवल और केवल विद्यालयी परिवेश मे ही प्राप्त किया जा सकता है।  सच मायनों में कहा जाए तो विद्यालय एक ऐसा कारखाना है जहाँ नित्य प्रतिदिन नए-नए शोध व परीक्षण कर नए आविष्कारों से लबरेज होकर मानव अपनी श्रेष्ठता का डंका सभी दिशाओं में बजा रहा है।
          विद्यालय समाज से लेकर समुदाय तक मानव के सर्वांगीण विकास हेतु प्रतिबद्ध है। यह बात अलग है कि आज के परिवेश में हम सभी अपने कर्तव्यों से दूर होते जा रहे हैं और अपने अधिकारों के दायरों को बढ़ाते जा रहे हैं जिसका असर समाज से लेकर समुदाय तक  दिखने लगा है जिसके उपरांत शिक्षकों के सम्मान को अब समाज नजरअंदाज करते जा रहा है। बहरहाल, विद्यालय के प्रति मन में सहज भाव उत्पन्न लाजिमी है... विद्यालय है......... तो विश्वास है।
 विद्यालय है ..........तो हुनर है।
 विद्यालय है .......तो जिज्ञासा है।
 विद्यालय है........ तो ज्ञान है।
 विद्यालय है..........तो दक्षता है।
 विद्यालय है...... तो निपुणता है।
 विद्यालय है........तो कौशल है।
 विद्यालय है....... तो संस्कार है।
 विद्यालय है ....तो पूरा संसार है।
   

अभिषेक कुमार सिंह
मध्य विद्यालय जहानाबाद कुदरा
कैमूर (भभुआ) बिहार

2 comments:

  1. सशक्त उद्गार....
    आत्मचिंतन तथा आत्ममंथन को विवश करता लघु लेख....
    अनन्त शुभकामनाएं

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  2. बहुत अच्छा आलेख है आपका।

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