Saturday, 31 October 2020
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लाॅकडाउन में शिक्षण अधिगम-गिरिधर कुमार
लॉकडाउन में शिक्षण अधिगम
शिक्षक, शिक्षक प्रशिक्षक, पुनःश्च संकुल समन्वयक के रूप में यह साफ समझ आता है कि आप सामान्य स्थिति के साथ अलग सी परिस्थितियों में जो अभी है, शिक्षण निष्पादन कर सकते हैं। मात्र स्कूली परिसर नहीं, यह पूरा खुला आसमान, धरा का विशाल फलक एक विद्यालय है। पढ़ें न पढ़ें, पढ़ायें न पढ़ायें, यह शिक्षण अधिगम चलता ही रहता है। सो बस संकल्पित होना है। उससे अधिक आशावादी भी।
देखिये कि ऑनलाइन शिक्षण अंशतः प्रभावी हो रहा है। एक पहलू कि बच्चे की शारीरिक हलचल सिमट कर शून्यप्रायः है। यहाँ भी निपटना है बहुत कुछ। पढ़ाई हो साथ में, बचपन भी जीवंत रहे। विकास सर्वांगीण है तभी शिक्षार्थी का व्यक्तित्व सवँरता है नहीं तो, एक औपचारिक खानापूरी भर होना है। इसे कैसे शिक्षण कहेंगे। इसका अधिगम भी एकाकी बनेगा। इस स्तर पर घर में माता पिता, अभिभावक को उप शिक्षक की भूमिका में आना होगा। घर के अभिभावक विद्वान हों आवश्यक नहीं, लेकिन बच्चे का विकास उनकी पहली प्राथमिकता में हो तो, बात बनती है। अच्छी बात है कि सरकारी स्कूल के प्रायः शिक्षक अब प्रशिक्षित हो चुके हैं। तो यह लॉकडाउन अवसर है कि आप अपनी योग्यता साबित करें। इंटरनेट माध्यम उपादेय है। यहाँ आप शिक्षण प्रयास कर सकते हैं। यह कैसे? वो कैसे? कितना क्या है पूछना? वह हर हुनर है आपमें जो कि राह बनती जाएगी।
यहाँ दूरदर्शन पर सरकारी ऑनलाइन शिक्षण का सन्दर्भ आपके मन में भी आया ही होगा, यह समुन्नत है। छात्र आधारित, बाल केंद्रित मानकों पर अच्छा है। यहाँ देखें कि दो चार सेगमेंट पर छात्र जिज्ञासापरक लाइव प्रश्नोतरी को महत्व मिले तो और भी प्रभावी हो। देखें कि यहाँ समुचित स्तर पर टीचर्स ऑफ बिहार ग्रुप के योगदान को सराहा जा रहा है। टी.एल.एम. निर्माण, विषय संयोजन के हिसाब से शिक्षक अपना महत्व सिद्ध कर रहे हैं। ये भी कि यह नये परिवेश में एक अतिरिक्त समृद्धि भी आपके शिक्षकीय फलक में जोड़ता है। यहाँ टीम शिक्षण का सुंदर नमूना भी आप समझ देख पाते हैं।समांतर स्तर पर यह गहरी बात है कि इन नयी स्थिति में लॉकडाउन अवसरदायी साबित हो रहा है। प्रथम संस्था के ऑनलाइन शिक्षण में भी ये सारे नये पहलू मिलते हैं।
कुल जमा ये कि शिक्षण के नये प्रारूप में शारीरिक सक्रियता परक शिक्षण परिभाग जरूरी रूप में रखे जायें, फिर इसकी पूरकता में योग, प्राणायाम जैसी चीजों को भी अभ्यास में लाया जा सकता है।
गिरिधर कुमार, संकुल समन्वयक, संकुल संसाधन केंद्र म. वि. बैरिया, अमदाबाद, कटिहार
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