दृढ़प्रतिज्ञ व स्थिरप्रज्ञ-विजय सिंह नीलकण्ठ - Teachers of Bihar

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Sunday 1 November 2020

दृढ़प्रतिज्ञ व स्थिरप्रज्ञ-विजय सिंह नीलकण्ठ

दृढ़प्रतिज्ञ/स्थिरप्रज्ञ

          अपने कर्म पथ पर आने वाले हर प्रकार के विघ्न-बाधाओं, आपदाओं, समस्याओं, रुकावटों से लड़ते हुए अपने कार्य को अंजाम तक पहुँचाकर सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पैर रखने वाले ही दृढप्रतिज्ञ होते हैं। इन्हें स्थिरप्रज्ञ जैसे विशेषण से भी नवाजा गया है। इतिहास में अनेकों महापुरुषों ने अपने स्थिरप्रज्ञता का परिचय देते हुए सफलता प्राप्त की। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं डॉ. जाकिर हुसैन के उदाहरण से यहाँ एक ऐसे दृढ़प्रतिज्ञ समुदाय का परिचय करवाने की कोशिश की गई है जिन्होंने हर तरह की बाधाओं को पार कर अपने अमूल्य कर्म को बखूबी निभाया है। 
          दैनिक समाचार पत्रों और सोसल मीडिया पर बहुत सारे शिक्षकों को दिखाया जाता है जो अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए सुबह 5:00 बजे विद्यालय के लिए निकल जाते हैं और कई किलोमीटर तक पैदल चलकर भी कभी नहीं थकते और मंजिल पर पहुँचकर ही सांस लेते हैं। कोई साइकिल चलाते हुए व्यस्ततम सड़क पर जान जोखिम में डालकर विद्यालय पहुँचते हैं। नाव का साधन नहीं रहने के कारण कुछ स्थिरप्रज्ञ को अपने कपड़ों को सिर पर बांधकर नदी पार कर कार्यस्थल पर ससमय पहुँचते देखा जाता है। कुछ तो ऐसे हैं जो स्वयं दिव्यांग हैं लेकिन उनमें जो जोश दिखता है वह दृढप्रतिज्ञता की ही निशानी है। कुछ महापुरुषों ने मरने से पहले दुनियाँ को कुछ ऐसा दे दिया जिससे युगों- युगों तक लोग उन्हें याद रखेंगे। मुंशी प्रेमचंद इसी तरह के उदाहरणों में से एक थे जिन्होंने शिक्षक के पद पर भी कार्य किए और हमेशा कमियों में जीवन बिताते हुए मात्र 56 वर्ष की आयु में हमें छोड़कर चले गए लेकिन इतने समय में कलम के सिपाही बन गए और उपन्यास सम्राट की उपाधि से नवाजे गए जो उन्हें दृढ़प्रतिज्ञ होने के कारण ही मिला।
          आज के शिक्षकों के द्वारा अपने दृढ़प्रतिज्ञता के भावों के साथ बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जा रहा है। आपदाओं से स्वयं की सुरक्षा के साथ-साथ अपने आस-पास की सुरक्षा के लिए तैयार करने के लिए अनेकों गतिविधियाँ कराई जा रही है जो सर्वांगीण विकास के लिए हो रहा है। चित्रकला प्रतियोगिता, लेख प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिता इत्यादि करवाकर हर बच्चों के अंदर विजेता बनने की इच्छा प्रबल कर रहे हैं। आज हमें अपने-आप पर गर्व होता है कि हम शिक्षकों को चेंजमेकर्स की उपाधि से नवाजा गया है इसका पालन करना हमारा परम कर्तव्य है।


विजय सिंह नीलकण्ठ 
सदस्य टीओबी टीम 

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना सर 👌👌👌

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