Wednesday, 18 November 2020
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बाल अधिकार-प्रीति कुमारी
बाल अधिकार
किसी भी राष्ट्र या समाज के विकास में बच्चों की अहम भूमिका होती है। बच्चे राष्ट्र निर्माण के लिये नींव माने जाते हैं। कहते हैं- "नीव जितनी मजबूत होगी, भवन उतना ही सुरक्षित होगा"। देश का भविष्य बच्चों के कन्धों पर ही टिका होता है। बच्चों के विकास पर ही किसी भी राष्ट्र या समाज का उत्थान निर्भर करता है।
वैसे तो भारत में बाल दिवस 14 नवम्बर को पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है क्योंकि चाचा नेहरु को बच्चों से बहुत प्यार था। परन्तु पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1954 ई. को इसकी स्थापना की गई थी। यह दिवस बच्चों के कल्याण को बढावा देने एवम बच्चों का सर्वांगीण विकास हेतु जागरुकता लाने के लिए मनाया जाता है।इस दिवस की परिकल्पना एक भारतीय नागरीक वी. के. कृष्ण मेनन ने की थी। बाल दिवस के रुप में 20 नवंबर की महत्ता इसलिए भी है क्योंकि आज ही के दिन 1959 में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने बाल अधिकारों की घोषणा की थी। पुन: वर्ष 1989 में 20 नवम्बर को ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल संरक्षण हेतु एक समझौता पारित किया जो कि सितम्बर 1990 में प्रभाव में आया।इस समझौते पर विश्व के 196 देशों ने एक साथ हस्ताक्षर किया तथा बच्चों के प्रति जाति, धर्म, रंग, लिंग, भाषा, योग्यता आदि के आधार पर किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं करने का संकल्प लिया।
इस बाल-संरक्षण समझौते पर भारत ने 1992 में हस्ताक्षर कर बच्चों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित की। इस सन्धि के जरिये सभी राष्ट्रों ने माना कि वयस्कों की तरह बच्चों के पास भी मानवाधिकार होने चाहिए जिससे उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सके।
बाल अधिकार के रूप में बच्चों को जो अधिकार मिले हैं उन्हें हम निम्न रूपों में जान सकते हैं--
जीने का अधिकार, पहचान, भोजन, पोषणऔर स्वास्थ्य, विकास, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शिक्षा और मनोरंजन, नाम और राष्ट्रीयता परिवार और पारिवारिक पर्यावरण, उपेक्षा से सुरक्षा, बदसलुकी, दुर्व्यवहार आदि का विरोध इत्यादि। इस समझौते के अन्तर्गत सभी सदस्य राष्ट्र बच्चों की सभी प्रकार की शारीरिक और मानसिक यातनाओं तथा आर्थिक शोषण और मादक पदार्थों के अवैध प्रयोग से रक्षा करने हेतु उचित कदम उठाएँगे।
साथ ही शरणार्थी और दिव्यांग बच्चों के सम्बंध में विशिष्ट प्रावधानों की भी व्यवस्था करेंगे।
भारत प्रारंभ से ही बच्चों के अधिकारों, समानता और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है। 1992 में बाल संरक्षण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारतीय संविधान में बहुत सारे फेर बदल किये गए।अनुच्छेद 21, अनुच्छेद 24 तथा अनुच्छेद 39 में सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का बालकों को स्वतंत्र एवम गरिमामय माहौल एवम स्वस्थ विकास प्रदान करना एवम शोषण से बचाना आदि शामिल है।
अत: बच्चों के समग्र विकास एवम रक्षा हेतु पूरे विश्व में 20 नवम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर
समस्तीपुर
नोट--उपरोक्त आँकड़े और विचार लेखिका के स्वयं के हैं।
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