हम और हमारा टीचर्स ऑफ बिहार-राकेश कुमार - Teachers of Bihar

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Thursday 21 January 2021

हम और हमारा टीचर्स ऑफ बिहार-राकेश कुमार

हम और हमारा टीचर्स ऑफ बिहार 

          यदि लोग भगवान द्वारा दी गयी दौलत (शिक्षक के संदर्भ में ज्ञान) का प्रयोग सिर्फ खुद के लिए या खजाने में रखने के लिए करते हैं तो वह निष्प्राण के तरह हैं लेकिन यदि इसे  दूसरों के साथ बांटने का निर्णय लेते हैं तो वह पवित्र भोजन (शिक्षक के संदर्भ में ज्ञान) बन जाता है। गुरु नानक जी की कही गई इस पंक्ति को आत्मसात करते हुए टीचर्स ऑफ बिहार की संकल्पना ने आज दो वर्ष पूर्ण मूर्त रूप लिया। एक ऐसा मंच जो शिक्षक द्वारा शिक्षक हेतु एवं शिक्षार्थी के लिए बनाया गया। 
          इस मंच की संकल्पना बिहार एवं बिहार के शिक्षा जगत में एक संजीवनी बनकर उभरी औऱ बहुत हीं कम समय में कुछ शिक्षकों का कारवां हजारों शिक्षकों का कारवां बन गया औऱ बढ़ता हीं जा रहा है बढ़ता हीं जा रहा है... जो इस बात का प्रमाण है कि हम शिक्षक बिहार की बदलती शिक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका हेतु तत्पर थे बस एक मंच की जरूरत थी जिसे पूरा किया टीचर्स ऑफ बिहार ने। एक ऐसा मंच जो शिक्षा एवं शिक्षक को पूरे बिहार से जोड़ दिया और साथ हीं साथ यह भी संदेश दिया कि हम सभी शिक्षक एक विद्यालय तक हीं सीमित नहीं है बल्कि हम सभी की दी गई शिक्षा बिहार के सभी बच्चों के लिए है और ये सब सम्भव हुआ हम सब (टीचर्स ऑफ बिहार) के संकल्पित प्रयास से। 
          कहते हैं न कि अगर मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है। जी हाँ हम टीचर्स मान लो नहीं ठान लो को आत्मसात कर आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान में अनेकोनेक शैक्षिक गतिविधियों का संचालन टीचर्स ऑफ बिहार के माध्यम से टीचर्स द्वारा किया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2020 पूरे दुनिया में चर्चित वर्ष रहा कारण था कोरोना जो दुनिया के तमाम गतिविधियों को ठप कर दिया। उसी में से एक गतिविधि थी जो हम शिक्षक एवं हमारे शिक्षार्थी से जुड़े शैक्षिक गतिविधि को भी ठप कर दिया जो हम (टीचर्स ऑफ बिहार) को कहीं से भी मंजूर नहीं था और टीचर्स ऑफ बिहार ने बिहार के शिक्षा जगत में पहली बार सोम (School on Mobile) कार्यक्रम की शुरुआत की जिसमें हिंदी, गणित, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, संस्कृत एवं विज्ञान की कक्षाएं मोबाइल के माध्यम से शुरुआत की। जिसके उपरांत अभिभावक एवं बच्चे भी बोल उठे वाह टीचर्स ऑफ बिहार! इस कार्यक्रम ने बिहार एवं अन्य राज्यों में भी एक अलग पहचान बनाई और इस कार्यक्रम में सोम से जुड़े शिक्षकगण भी अपना शत् प्रतिशत योगदान दिया और बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों को बनाये रखा। टीचर्स ऑफ बिहार आज (वर्तमान) में सन्डे फंडे, गद्यगुंजन, पद्यपंकज, बालमंच जैसे कार्यक्रम के माध्यम से शैक्षिक गतिविधियों का संचालन कर छिपी हुई प्रतिभा को सामने ला रहा है। इसके साथ-साथ महापुरुषों के जयंती पर क्विज जैसी प्रतियोगिता आयोजित कर अपने महापुरुषों को ज्यादा से ज्यादा जानें की सार्थकता प्रदान कर रहा है। हर महत्वपूर्ण दिवस पर रोचक गतिविधियों का आयोजन कर शिक्षक के साथ-साथ छात्रों को भी अपने हुनर दिखाने का मौका देकर आज गतिविधि आधारित शैक्षिक बिंदू को सैद्धान्तिक के साथ करके सीखो को बढ़ावा दे रहा है।आज हर शिक्षक उस तमाम गतिविधियों से परिचित हो रहे हैं एवं प्रेरित भी हो रहे हैं जिससे अभी तक बेहतर प्लेटफॉर्म न होने के कारण वंचित थे। इस तथ्य का मैं उल्लेख इसलिए कर रहा हूँ कि जो प्रत्क्षय रूप से हमसे (शिक्षक) से संबंधित है जैसे - विद्यालय गाथा एवं शिक्षक गाथा ये दो कार्यक्रम हमें बेहतर कार्य करने हेतु प्रेरित करता है। आज हर शिक्षक अपने आप को टीचर्स ऑफ बिहार महसूस करता है जो इस समूह की सबसे बड़ी उपलब्धि है। आज हर शिक्षक हर समय बच्चों के लिए उपलब्ध हैं जो इस समूह के लिए गर्व की बात है। मैं टीचर्स ऑफ बिहार के फाउंडर महोदय को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ कि जिन्होंने इस ग्रुप का निर्माण कर हम सभी शिक्षकों को एक ऐसा मंच प्रदान किया कि हम शिक्षक से टीचर्स ऑफ बिहार बन गये।
          तो चलिये हम सभी टीचर्स ऑफ बिहार अपने दूसरे स्थापना वर्ष में संकल्प लेते हैं कि अपने समूह (टीचर्स ऑफ बिहार) में बिहार के तमाम शिक्षकों को जोड़ते हुए नवाचार शैक्षणिक गतिविधियों को संचालित करते हुए आगे बढ़े और इतना आगे बढ़े की जब-जब बिहार की शैक्षिक व्यवस्था की चर्चा हो तो टीचर्स ऑफ बिहार की चर्चा अवश्य हो।
          इस आलेख के माध्यम से सभी लोगों को टीचर्स ऑफ बिहार की स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

राकेश कुमार
मध्य विद्यालय बलुआ
मनेर (पटना)

4 comments:

  1. बहुत बढ़ियाँ आलेख। बधाई👍👍

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  2. बहुत-बहुत सुंदर!

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  3. बिहार के शिक्षकों को एक मंच प्रदान करने के लिए आप लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद।

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