बिहार की झलक-मो. जाहिद हुसैन - Teachers of Bihar

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Saturday 27 March 2021

बिहार की झलक-मो. जाहिद हुसैन

बिहार की झलक
     
          भारत का इतिहास बिहार से प्रारंभ होता है और बिहार का इतिहास नालंदा से। याद करें हम, अपने गौरवशाली अतीत को, कि सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की पहली शहरी सभ्यता थी तो बिहार के वैशाली स्थित लिच्छवि गणराज्य  विश्व का पहला प्रजातांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic) था। याद करें हम, महात्मा गांधी के सत्याग्रह को, जिन्होंने सबसे पहले बिहार के ही चंपारण से अंग्रेजो के खिलाफ बिगुल फूंका था। याद करें हम, भारत के पहले संविधान सभा के सभापति तथा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को, जो बिहार के ही धरती के लाल थे। हम याद करें, जेपी आंदोलन को तथा लोक नायक के 'समग्र क्रांति' के नारे को, जो पटना के गांधी मैदान से प्रारंभ होकर पूरे देश में फैल गया था। याद करें हम मगध के गौरवशाली इतिहास को, जो 16 महाजनपदों में सर्वश्रेष्ठ था, जिसकी राजधानी राजगृह (राजगीर) जो नालंदा में स्थित है; वही नालंदा जहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए देश-विदेश से लोग 'नालंदा विश्वविद्यालय' आया करते थे। जिसके बारे में तिब्बती यात्री तारानाथ लांबा ने कहा था "नालंदा का इतिहास बौद्ध दुनिया का इतिहास है।" 
          हमारा बिहार जो कभी विश्व का गुरु हुआ करता था, जिसने दुनिया को ज्ञान दिया; उसे भी ज्ञान जहां प्राप्त हुआ, वह धरती कोई और नहीं बिहार की बोधगया ही थी जहां महात्मा बुद्ध को निरंजना नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्त हुई। 
          बिहार की धरती हमेशा धरती पुत्रों के लिए उर्वरक भूमि रही है और जब भी देश में महान परिवर्तन हुआ है, उसकी धारा बिहार से बही है। चाहे विश्व का पहला लोकतंत्र हो या महिलाओं को 50% आरक्षण देने की बात हो। हम विश्व में प्रथम हैं। आज बिहार के विकास मॉडल का अनुकरण केंद्र तथा सारा देश कर रहा है। पूर्व राष्ट्रपति देश के महान वैज्ञानिक एवं महर्षि ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने कहा था, "बिहार के विकास के बिना भारत का विकास संभव नहीं है।" आज उनके सपनों का भारत (Dream Project) के आलोक में हम आगे कदम बढ़ा चुके हैं। पहला  'अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय (International Nalanda University) की स्थापना हो चुकी है और उसी भारत के गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करने के लिए हम प्रयासरत हैं। पुनः बिहार अब विश्व गुरु की भूमिका में नजर आएगा। हम जानते हैं कि इतिहास अपने आप दोहराता है।
          बिहार की धरती महान विभूतियों, उपदेशकों, समाज सुधारकों आदि की जन्म स्थली, तपस्थली एवं कार्यस्थली रही है। वर्धमान महावीर की जन्मस्थली बिहार के वैशाली और निर्वाण स्थली नालंदा के पावापुरी है। गौतम बुद्ध की तपस्थली से लेकर ज्ञान स्थली बिहार की धरती ही रही है। प्राचीन काल में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा उदन्तपुरी विश्वविद्यालय शिक्षा केंद्र थे जहां देश-विदेश के छात्र शिक्षा प्राप्त करने के लिए आया करते थे। चाहे चीनी यात्री ह्वेनसांग हो या इत्सिंग।
          सुंदर विदुषी महिला नगरवधू आम्रपाली भगवान बुद्ध की भक्तिनी जो 64 कलाओं में पारंगत थी। अनेकों सम्राट जिनके दीवाने एवं कायल थे। उनकी नयनों की  मारक क्षमता अचूक थी। उनकी अदाएं लोगों को घायल कर देतीं। यही कारण है कि उनकी दो प्रतिमाएं संयुक्त राष्ट्र संघ (U N O) के भव्य द्वार पर स्वागतार्थ बनी हुई हैं। सौंदर्य बोध का यह प्रतीक भारत देश का मान बढ़ा रहा है। दिल्ली का बादशाह कल्याणकारी, शेरशाह सूरी भी था एक बिहारी। वास्तव में शेरशाह सूरी बिहार ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत के नायक थे। उनका प्रशासन, भूमि सुधार, न्याय एवं कल्याणकारी कार्य सदा के लिए अनुकरणीय हैं। उनका 5 वर्षों का शासन अकबर के 50 वर्षों के शासन के बराबर है। शेरशाह सूरी की बनाई गई विकास की लीक पर चलकर अकबर 'अकबर महान' बना। इतिहासकारों ने शेरशाह सूरी को अकबर का मार्गदर्शक बतलाया तथा कहा है, अकबर से पहले यदि कोई अकबर था तो वह शेरशाह सूरी था। गौरवमयी पाटलिपुत्र को पटना के रूप में पुनर्जीवित करने का श्रेय भी शेरशाह सूरी को ही है। वही पटना जहां दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शहजादे तालीम हासिल करने आते थे। पटना को अजीमाबाद भी कहा जाता था। प्राचीन मगध की राजधानी पाटलिपुत्र जो अनेक विद्वानों, गणितज्ञों, कवियों, लेखकों, वैद्यों, कलाकारों, नीतिकारों एवं वैज्ञानिकों आदि का गढ़ माना जाता था। जीवक, धनवंतरी, सुश्रुत, चाणक्य एवं आर्यभट्ट आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। आर्यभट्ट ने ही सबसे पहले यह बतलाया था कि पृथ्वी गोल है, जिसका उल्लेख उन्होंने अपने प्रमुख ग्रंथ  'आर्यभट्टीयम' में किया है। 
          बिहार कला एवं सांस्कृतिक धरोहरों का केंद्र रहा है। मिथिला का पेंटिंग संसार में मशहूर है। नालंदा के नेपुरा, खतवा एवं सुजनी के कामों के लिए प्रसिद्ध है इसलिए नेपुरा आजकल ग्रामीण पर्यटन का केंद्र बन चुका है। बिहार में प्राकृतिक सौंदर्य एवं रमणीक स्थान काफी हैं। बिहार में गर्म झरना के लिए मुंगेर का सीता कुंड मशहूर है तो ठंडा जल प्रपात के लिए ककोलत। गर्म जलधारा के लिए राजगीर का ब्रह्म कुंड एवं मखदूम कुंड भी प्रमुख हैं। राजगीर अभी बिहार के प्रमुख पर्यावरण पर्यटन  (Eco Tourism) केंद्रों में से एक बन गया है क्योंकि यहां नेचर सफारी जो प्रकृति के बीच आनंद ही आनंद का पर्यावरण है। नेचर सफारी में ग्लास स्काई ब्रिज, 8 सीटर आधुनिक रोपवे, सस्पेंशन ब्रिज, रोप साइकलिंग, जीप लाइनिंग, रॉक क्लाइंबिंग, राइफल शूटिंग रेंज, आर्चरी शूटिंग रेंज, वुडन ब्रिज एवं विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन हैं।अतः राजगीर को आधुनिक बिहार का इको टूरिज्म की राजधानी कहना गलत नहीं होगा। रमणीक रत्नागिरी पर्वत पर स्थित शांति स्तूप शांति का संदेश देता है। मनोरम घोड़ा कटोरा में विशाल महात्मा बुद्ध की ध्यानस्थ प्रतिमा तीन पहाड़ों से घिरे तालाब में नौका विहार करने का आनंद मानो स्वर्ग में सैर करने की अनुभूति देता है।
          मुंगेर का योग आश्रम भी विश्व प्रसिद्ध है जहां देश-विदेश के छात्र-छात्राएं योग शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते हैं। औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। बेगूसराय के कांवर झील में पक्षियों का विचरण एवं कलरव देखते ही बनता है जहां विश्व के कोने-कोने से मेहमान पक्षी सैलानी आते हैं।
          बिहार में अनेक आंचलिक भाषाएं- मैथिली,भोजपुरी, सुरजापुरी, मगही, अंगिका एवं बज्जिका आदि बोली जाती हैं। बिहार में हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर की मेधा मौजूद रही है। 19 वीं शताब्दी में विश्व के महान लेखकों में से एक जॉर्ज ऑरवेल थे। जिनकी महान कृतियां एनिमल फार्म (Animal Farm) और नाइन्टीन एटी फोर (Nineteen Eighty Four) हैं। उनका जन्म बिहार के मोतिहारी में हुआ था। 
          बिहार के पकवानों में मखाना का खीर, ठेकुआ, बिलग्रामी, लिट्टी-चोखा का स्वाद ही अलग है। मनेर का लडडू, बाढ़ का लाय, गया का तिलकुट और सिलाव का खाजा बिहार के प्रसिद्ध मिठाइयों में से है। बिहार के लोग आमतौर पर धोती-कुर्ता पहनते हैं। बिहार का लोक नृत्य जट्ट-जट्टीन है।
          बिहार सूफी-संतों का गढ़ रहा है। बिहार के प्रमुख सूफी-संतों में मखदूम-उल-मुल्क शेख शर्फुद्दीन यहिया मनेरी (र॰ अ॰), हजरत मलिक इब्राहिम बया (र॰अ॰), हजरत ताज फकीह (र॰ अ॰) आदि हैं। भारत में दो राष्ट्रीय सम्राट (National Monarch) अशोक महान (Ashoka The Great) और अकबर महान (Akbara The Great) को माना जाता है। अशोक महान, जिसने बिहार की धरती से उठकर संपूर्ण देश में छा गया और भारत को एक सूत्र में बांध कर महान कार्य किया था। अशोक महान जिसने दिग्विजय को छोड़कर धम्म विजय का पताका फहराया। उसने अपनी प्रजा को एक नए अंदाज में अपने कारनामों से रूबरू कराया। जगह-जगह पर शिलालेख गड़वाया। स्तूप और स्तंभों को बनवाया, जिनमें बिहार के नंदनगढ़ लौरिया तथा कोल्हुआ का अशोक स्तंभ प्रसिद्ध है। 
          भारत के दो महान शासकों में, एक अशोक महान बिहार की धरती पर जन्म लेकर संपूर्ण वृहत्तर भारत (Greater India) से यशगान करवाया तो दूसरा महान सम्राट अकबर बिहार के राष्ट्रनायक शेरशाह सूरी के पद् चिन्हों पर चलकर अकबर महान बना। यह बिहार का ही गौरव है।
          सिखों के अंतिम गुरु 'गुरु गोविंद सिंह' का जन्म बिहार के पटना साहिब में हुआ था। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' बिहार की धरती पर ही पैदा हुए। जगतगुरु शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में पराजय का मुंह बिहार की धरती पर ही देखना पड़ा। महान विद्वान मण्डन मिश्र की विदुषी अर्धांगी भारती ने जगतगुरु शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में हरा दिया था। विदुषी महिला भारती ने गृहस्थ जीवन से प्रश्न पूछ लिया, जिसपर जगतगुरु अनुत्तर हो गए क्योंकि वे विवाहित जीवन गुजारे ही नहीं थे। उत्तर देना मुश्किल था।
          विश्व विजेता सिकंदर महान मगध का शौर्य एवं वीरता की गाथा सुनकर भारत में अपने बढ़ते कदम को रोक दिया था और उनके सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री का विवाह सम्राट चंद्रगुप्त से कर दिया था। वह धरती बिहार की ही थी जहां महान दिग्गजों का भी कुछ न चला। विश्व प्रसिद्ध अंग्रेजी के लेखक चेतन भगत ने बिहार के बारे में कहा है, 
"बिहार जब बदल रहा है तो देश भी बदलेगा।"


मो. जाहिद हुसैन
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलह बिगहा
चंडी नालंदा

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