मैं हूँ योगदूत-अनुज कुमार वर्मा - Teachers of Bihar

Recent

Sunday 20 June 2021

मैं हूँ योगदूत-अनुज कुमार वर्मा

मैं हूँ योगदूत

          योग सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक अध्यात्मिक विषय है, जो मन और शरीर, आत्मा और परमात्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर जोर देता है। यह स्वस्थ जीवन यापन की कला एवं विज्ञान दोनो हीं है। यह मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य का द्योतक है। यह आत्मा का विज्ञान है। 
योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है जिसका अर्थ है जुड़ना, एकजुट होना या शामिल होना। योग करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाता है। यह मन एवं शरीर, मानव एवं प्रकृति के बीच परिपूर्ण सामंजस्य का प्रतीक है।
योग के लक्ष्य :- सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक कष्टों से निजात पाना हीं योग के लक्ष्य हैं, जिसे मोक्ष या कैवल्य की अवस्था कहते हैं। 
योग का इतिहास :- 
योग की उत्पति हजारों वर्ष पहले हुई थी। वेदों में भी योग की चर्चा है। योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी या प्रथम गुरु माना जाता है। उन्होंने हिमालय के कांति सरोवर झील के तटों पर प्रसिद्ध सप्त ऋषियों को योग विद्या प्रदान किये। उसके बाद योग तीव्र गति से फैल गया। योग का प्रमाण आज से 5000 वर्ष पूर्व भी मिला है। श्री कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विकसित किया। 
          आज योग मनुष्य के जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण आयाम बन गया है। योग से शारीरिक एवं मानसिक सुख की प्राप्ति होती है। योगी व्यक्ति सदैव निरोग रहते हैं। योग से मन शरीर के वश में रहता है। अतः गलतियों से योगी लोग बचे रहते हैं। योग मन की गहराईयों तक पहुँचने का मार्ग है। 
महर्षि पतंजलि ने योग को व्यवस्थित रूप दिया। उन्होंने योग को जीवन से जोड़ने का प्रयास किया। 

योग की परिभाषा :- 
योगः कर्मसु कौशलम्। 
(भगवान कृष्ण के अनुसार कर्मों की कुशलता ही योग है। ) 
योगः भवति दुः खता। 
(योग कस्टों और दुःखों को दूर करने वाला है। ) 

योग की रूपरेखा :- 
योग की मुख्य शाखा निम्नलिखित है :-
(१) कर्मयोग :- यह साधना का मूलमंत्र है। 
(२) भक्तियोग :- देवता या किसी गुरु के प्रति एकाग्रता, अहंकार का त्याग।
(३) ज्ञानयोग :- अपनी बौद्धिक क्षमता पर भरोसा, इन्द्रियों पर नियंत्रण। 
(४) राजयोग :- मन की गहराई तक पहुंचना एवं एकाग्रचित् होना। 
(५) हठयोग:- ह का अर्थ सूर्य, ठ का अर्थ चंद्रमा अर्थात सूर्य तथा चंद्रमा का योग या मिलना। 
प्रतिदिन करने वाले आसान और लाभदायक योग:-
आसन :- बैठने का स्थान या बैठने की प्रक्रिया। जैसे :- पद्मासान, सुखासन, वज्रासन आदि। 
प्राणायाम :-  प्राण का आयाम अर्थात प्राण का विस्तार करना। 
प्राणायाम के प्रकार :- अनुलोम-विलोम, कपालभांति, भस्त्रिका, भ्रामरी, शीतली, शीतकारी, उज्जाई प्रमुख हैं। 
ये मनौशारीरिक बीमारियों को दूर करता है और निरोगी काया प्रदान करता है। 
          इसके साथ ही कुछ कठिन और सूक्ष्म योग भी करने चाहिए जिससे शरीर लचीला और निरोगी होता है। कोरोना
जैसे वैश्विक महामारी के समय लोग योग अपनाकर अपना और अपने परिवार को निरोगी जीवन जीना सिखलाया है। आज भारत हीं नहीं संपूर्ण विश्व योग अपनाकर योग कर रहे हैं। अतः अपने जीवन को स्वस्थ आनंदमय बनाने के लिए प्रतिदिन कम से कम एक घंटा योग जरूर करें। जिससे आप और आपका परिवार स्वस्थ रहे। क्योंकि आप भला तो जग भला। 


अनुज कुमार वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा कटिहार   
बिहार

No comments:

Post a Comment