Monday, 7 June 2021
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गणित और गणित की प्रकृति-धीरज कुमार
गणित और गणित की प्रकृति
हम सभी ने अपने वर्गकक्ष से लेकर अपने पूरे जीवन में गणित शब्द को सुना है। हममें से बहुत लोग गणित के नाम से तो परिचित है मगर ये नही जानते की आखिर गणित है क्या? आज मैं यहां गणित और गणित की प्रकृति के बारे में अपनी बात को आपके सामने रख रहा हूं। सबसे पहले हम ये जानते है -
गणित क्या है?
गणित हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न भाग है जो हम सबकी दैनिक गतिविधि में प्रतिदिन उपयोग किया जाता है।गणित हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है जो जन्म से मृत्यु तक प्रतिक्षण हमारे साथ जुड़ा रहता है। जन्म के साथ ही हमारे साथ गणित का उपयोग किया जाने लगता है। हमारे जन्म का समय, हमारा वजन आदि का गणित जन्म के साथ ही तो शुरू हो जाता है। जीवन भर गणित हमारे साथ एक पल के लिए भी दूर नही होता। मृत्यु तक ये गणित हमे नही छोड़ता है।
आइंस्टाइन के अनुसार "गणित मानव चिंतन का प्रतिफल है जो अनुभव स्वतंत्र है तथा सत्य के अनुरूप है"।
गैलीलियो के अनुसार "गणित वह भाषा है जिसमें परमेश्वर ने संपूर्ण जगत या ब्रह्मांड को लिख दिया है"।
उपरोक्त परिभाषाओ के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि गणित संख्याओं, मात्राओं, परिणामों, सूत्र, गणनाओं, संक्रियाएं आदि के सम्मिलित रूप में एक समूह है जिसका अध्ययन हम करते हैं। गणित गणना करने से संबंधित है अर्थात गणित गणनाओ का विज्ञान है। आइए अब हम गणित की प्रकृति को जानने की कोशिश करते हैं-
गणित की प्रकृति
यदि गणित की प्रकृति की बात करें तो प्रत्येक विषय की तरह इसकी भी प्रकृति इस प्रकार है-
(1) गणित अमूर्त विषय है- आइए एक उदाहरण से समझते के लिए हम पांच की संकल्पना पर विचार करते हैं -
संख्या, संख्यांक और संख्यानाम
00000, 5 और पांच
उपरोक्त सभी 5 है मगर तीनों अलग-अलग है।
जैसे कि 00000 या 🖐️
ये संख्या है जो गिनने पर पांच को प्रदर्शित करता है।
अब ये जानने का प्रयास करते हैं की संख्यांक क्या है?
00000 या 🖐️ को प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त अंक को संख्यांक कहते है। यानी 5 को हम संख्यांक कहते है। इसके बाद आता है संख्यनाम क्या है? किसी भी संख्या को जिस नाम से लिखते है वो संख्यनाम है।
अर्थात 00000, 🖐️ और 5 को शब्दो में लिखने वाला नाम संख्यनाम है। इस प्रकार गणित की प्रकृति अमूर्त है। लगभग सारा ही गणित अमूर्त है जिसे हम मूर्त चीजों से सीखते हैं।
(2) गणित सटीक है- गणित को Exactness सुंदर बनाती है । गणित में 5+7=12 ही होगा। हम किसी से पूछेंगे वो 5+7=12 ही बताएंगे। जो गणित का संपूर्ण/सटीक होना दर्शाता है।
(3)गणित तार्किक है- गणित की उत्पत्ति में ही तर्क है। हम गणित से तर्क सिखाते हैं कि 5+7 = 12 ही क्यों ? जब हम ये जानने का प्रयास करते है तभी से तर्क शुरू हो जाता है।
अतः गणित तार्किक है।
(4)गणित एक भाषा है- यदि आप सोचे की भाषा में से गणित को हटा दें तो हम बहुत मुश्किल से बोलकर अपनी बात को समझा सकेंगे। जैसे- मैने कल 00000 आम खरीदी। 5 न बोलने पर हमें 00000 गोला या 🖐️ उंगलियां या वस्तुओं को दिखाकर अपनी बात कहनी होती है। बड़ी संख्या होने पर बिना गणित के संख्या का प्रयोग किए हम बहुत मुश्किल से अपनी बात वयक्त कर पाएंगे या नहीं भी कर पाएंगे।
यानी गणित एक भाषा है।
(5)गणित सभी विज्ञान की जननी है- गणित के बिना हम विज्ञान की कल्पना नहीं कर सकते हैं। जब-जब विज्ञान की बात होगी बिना गणित के विज्ञान की कल्पना भी नहीं हो सकती। गणित है तभी विज्ञान है। अतः गणित सभी विज्ञान की जननी है।
उपरोक्त गणित की पांच प्रमुख प्रकृति है। इसके आलावा भी हम गणित के अन्य प्रकृति पर विचार कर सकते है। उम्मीद है आपको गणित और गणित की प्रकृति के बारे में पढ़कर अच्छा लगा होगा।
धीरज कुमार
UMS सिलौटा
प्रखंड भभुआ (कैमूर)
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