सम्मान की भावना का महत्व-विजय सिंह नीलकण्ठ - Teachers of Bihar

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Sunday 6 June 2021

सम्मान की भावना का महत्व-विजय सिंह नीलकण्ठ

सम्मान की भावना का महत्व

          सम्मान, प्रतिष्ठा, आबरू, इज्जत सभी एक ही शब्द के पर्याय हैं जो सम्मान है। यह ऐसा शब्द है जो अमूर्त है अर्थात हमारे अंदर की भावना है जिससे हम स्वयं और दूसरों के प्रति दर्शाते हैं। जब हम किसी अन्य का सम्मान करते हैं तो स्वयं भी सम्मानित होते हैं एवं मानसिक खुशियॉं प्राप्त होती है। चाहे बड़े हो या छोटे सबों के अंदर सम्मान की भावना होनी चाहिए। अपने और परायों के प्रति सम्मान रखने से हमारे समाज में कभी भी वैमनस्यता नहीं होती और सभी घुल-मिलकर रहते हैं। सभी इस बात से सतर्क रहते हैं कि यदि कोई गलती हो जाएगी तो दूसरे हसेंगे और सम्मान पर ऑंच आएगी। यह बहुत ही महत्वपूर्ण भावना है जो अदृश्य है लेकिन पालन करने पर दृश्य हो जाती है।
          संयुक्त परिवार में अभी भी लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी बच्चे इस भावना का अनुसरण करते हैं। केवल अपने परिवार के सदस्यों का ही नहीं अपितु पास-पड़ोस के लोगों का भी सभी सम्मान करते हैं जिससे हर किसी की बराई होती है कोई भी निंदित नहीं होते। देखा-देखी नए अतिथि भी इस भाव को सीखते हैं और अपने स्वयं के परिवार में एक-दूसरे का सम्मान करने लगते हैं जो बहुत ही अच्छी बात होती है। वर्तमान समय में यह बिल्कुल गायब हो चुका है जिसका मुख्य कारण एकल परिवार है।
          एकल परिवार में माता-पिता तथा एक या दो बच्चे होते हैं। जब मॉं-पिता किसी बात को लेकर आपस में वाद-विवाद करते हैं तो बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता है और फिर सम्मान के स्थान पर अपमान की भावना उत्पन्न होती है। पति-पत्नी के आपस का विवाद केवल मैं सही तो मैं सही का होता है। दोनों में से कोई यह मानने को तैयार नहीं होते कि मेरी बात गलत है चाहे कितने भी पढ़े-लिखे दंपत्ति क्यों ना हो। कुछ देर बाद विवाद खत्म होने पर दोनों बीती बातों को भुला देते हैं लेकिन घर के बच्चों के मन-मस्तिष्क पर विवाद की बातें घर कर जाती है जो कुछ दिनों बाद दिखने लगता है। बच्चे भी माता-पिता की तरह आपस में झगड़ने लगते हैं और अपने अंदर के सम्मान की भावना को निकाल देते हैं लेकिन आज भी जो माता-पिता स्वयं एक दूसरे की बातों का सम्मान करते हैं उनके बच्चे भी अपने भाई-बहनों और सगे संबंधियों का सम्मान अवश्य करते हैं जिसका अनुभव प्रायः हर किसी को होती है। इसलिए हमेशा हमारे अंदर सम्मान की भावना हो। मतभेद हो सकते हैं लेकिन वार्तालाप के क्रम में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मुख से कोई ऐसी बात न निकल जाए जिससे सामने वाले अपमानित महसूस करें जो धीरे-धीरे बच्चों के दिलों दिमाग पर भी अपनी पैठ न बना लें।
          जब बच्चे घर में निर्दयी माहौल में जीते हैं तो उसके मन मस्तिष्क में भी निर्दयता भर जाती है और बाहर निकल कर वह दूसरों को अपमानित करते हैं और निर्दयता पूर्ण व्यवहार करते हैं। उनके अंदर दूसरों के प्रति सम्मान खत्म हो जाती है जिसे देखकर उसके भविष्य के बच्चे भी ऐसी भावनाओं के शिकार होकर अपने पास-पड़ोस के लोगों को परेशान करने लगते हैं जिससे पूरा समाज निर्दयता का शिकार हो जाता है।
          कभी-कभी समाचार पत्रों में किसी की हत्या की बात पढ़ने को मिलती है तो कभी मॉं, बहन, बहु, बेटी के साथ गलत करने की बात पढ़ते हैं जो केवल और केवल सम्मान की भावना का न होना ही इसके लिए जिम्मेदार है। ऐसी घटना वैसे लोग करते हैं जो कभी भी किसी से सम्मान प्राप्त नहीं कर पाया हो। हर किसी का पालन-पोषण उसके माता-पिता के अलावा परिवेश के लोग करते हैं और बड़े होने पर कुछ लोग गलत कार्य में लिप्त हो जाते हैं जिसकी पूरी जिम्मेदारी ऐसों के पालको और परिवेश की होती है। वैसे वर्तमान समय में कुछ एप्लीकेशन ऐसे हैं जो बच्चों के अंदर गलत मानसिकता के भाव उत्पन्न करने में मददगार साबित हो रहे हैं लेकिन इसके लिए माता-पिता को सजग रहने की आवश्यकता है और बच्चों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मोबाइल एप को भी देखने की आवश्यकता है क्योंकि इस प्रकार के एप पर हम नियंत्रण नहीं लगा सकते लेकिन अपने बच्चों के मोबाइल पर अवश्य ही नजर रख सकते हैं। यदि सभी माता-पिता, अभिभावक, शिक्षक और पास-पड़ोस के लोग इस पर ध्यान देंगे तो किसी भी प्रकार के गलत कार्य धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे और पूरे विश्व में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना घर कर जाएगी और कहीं से भी किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना सुनने को नहीं मिलेगी। हमारी बहु, बेटियां, बहन, माताएं सभी सुरक्षित रहेंगे। किसी को भी किसी प्रकार का डर नहीं रहेगा। इसके अलावा हम बड़ों को अपने बच्चों को अच्छे और बुरे के भेदों को समय-समय पर बताते रहना होगा। घर का माहौल कभी भी ऐसा न हो जो बच्चों के मन-मस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित करें। सबको एक-दूसरे की बातों का सम्मान करना होगा तभी सम्मान का महत्व स्थापित हो पाएगा और सभी सुरक्षित रहेंगे।


विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम

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