स्तनपान है सम्पूर्ण माँ की पहचान-भवानंद सिंह - Teachers of Bihar

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Saturday 7 August 2021

स्तनपान है सम्पूर्ण माँ की पहचान-भवानंद सिंह

स्तनपान है सम्पूर्ण माँ की पहचान

          स्तनपान एक स्वाभाविक और प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसमें माताएँ अपने नवजात शिशु जिसका जन्म अभी-अभी हुआ है को अपना दूध पिलाती है। यह कार्य कम-से-कम छह माह तक होनी चाहिए। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है। शिशु के जन्म के समय का गाढ़ा और पीला दूध बच्चे को सभी रोगों से बचाता है। इसलिए सभी माँओं को चाहिए कि शिशु जन्म के साथ ही अपने बच्चे को स्तनपान अवश्य कराएँ और शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएँ।
           स्तनपान सप्ताह सर्वप्रथम 1992 ई. में मनाया गया था और तब से आज तक यह लगातार मनाया जा रहा है । आशा है कि आगे भी मनाया जाएगा । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शिशु जन्म के समय माँ का गाढ़ा और पीला चिपचिपा दूध में कोलेस्ट्रम की मात्रा अधिक होती है जो शिशु जन्म से लगभग पाँच दिनों तक बनता है । इसमें विटामिन, एन्टीबाडी एवं अन्य पोषक तत्व भरपुर मात्रा में पाया जाता है तथा बच्चों को बीमारियों से बचाने में मदद करता है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए जागरूकता फैलाने हेतु स्तनपान सप्ताह मनाने का घोषणा किया । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक शोध में यह भी कहा कि माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक एक तत्व होता है जो बच्चे की आँत में लौह तत्व को बांध लेता है और लौह तत्व के अभाव में शिशु की आँत में रोगाणु पनप नहीं पाते । जिससे शिशु स्वास्थ्य बने रहते हैं । 
          माँ के दूध में हर तरह के रोगों से लड़ने का क्षमता रहता है जो स्तनपान कराने से बच्चों में हस्तांतरित होता रहता है । इसमें सभी तरह का विटामिन, मिनीरल्स, फाईबर, जिंक इत्यादि मौजूद रहता है जो शिशु के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है । जन्म के समय शिशु में रोग से लड़ने की क्षमता का अभाव रहता है । माँ का दूध शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है । इससे शिशु निरोग रहता है तथा उनका सही पोषण एवं समुचित विकास संभव हो पाता है। जो बच्चे जितना अधिक माँ का दूध पीता है वह उतना अधिक मजबूत होता है। दूसरे शब्द में कहें तो बच्चे का शारीरिक बनावट देखकर हम अंदाजा लगा सकते हैं कि उसने बचपन में कितना दूध पीया है।
          बहुत सी माताएँ अपनी सुन्दरता खराब होने के डर से शिशु को स्तनपान नहीं कराना चाहती है जो बिल्कुल भ्रामक एवं मिथ्यापूर्ण अवधारणा है। ऐसे माताओं को माँ कहलाने का कोई हक नहीं होना चाहिए जो खुद अपने बच्चे के जान का दुश्मन हो। ऐसी माताओं से मैं कहना चाहता हूँ कि आप नि:संदेह अपने बच्चे को स्तनपान कराएँ क्योंकि इससे बच्चे का सेहत सही रहेगा और आपकी सुन्दरता पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। इस कार्य से आप गौरवान्वित महसूस करेंगे और आत्मविश्वासी भी बन पाएँगे।
           स्तनपान से बच्चे का बुद्धि तीक्ष्ण, साहसी, बल और पौरुष से भरपुर शारीरिक गठन मजबूत होता है। इसपर एक कहावत भी खूब प्रचलित है। वह यह कि "अगर माँ का दूध पीया है तो आओ मुकाबला करो।" स्तनपान पूर्ण मातृत्व की पहचान है। इससे शिशु के प्रति वात्सल्य, प्रेम, दया का भाव बढ़ता है और परिवार में अपनत्व का भाव जगाता है । 
           इस प्रकार निष्कर्ष के तौर पर मैं सभी माताओं से कहना चाहता हूँ कि बेजुबान अपने शिशु को स्तनपान अवश्य कराएँ। इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास पूर्ण रूप से संभव है। यह अनेक प्रकार की बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इससे शिशु स्वस्थ्य एवं निरोग होकर अपने जीवन का शुरुआत करता है। यह अत्यन्त आवश्यक है पूर्ण माता कहलाने के लिए।


भवानंद सिंह
अररिया बिहार

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