माॅं का दूध-मधु प्रिया - Teachers of Bihar

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Saturday 7 August 2021

माॅं का दूध-मधु प्रिया

माॅं का दूध

माॅं का दूध कहने को तो केवल बच्चों के लिए आहार है किन्तु उस दूध के साथ मां का अटूट प्रेम, अपनत्व, स्नेह और सुकून होता है। मां गर्भधारण से लेकर बच्चे के बालिग होने तक उसके लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच की तरह उनके साथ होती है। मां ने अपने बच्चों को पहली खुराक दूध ही इतना पोषक तत्वों से भरपूर दिया है जो उनको अंदरुनी शक्ति के साथ-साथ मां के स्नेहिल ममतामयी अनुभूति को भी जागृत करवाता है।
         लोगों के अनुसार मां का दूध आहार है किन्तु यह उस बच्चे के‌ लिए मां के करीब होने, मां के दिल में उनके लिए असीम प्यार और बच्चे के प्रति अगाध प्रेम के स्वरूप को वर्णित करता है।
          आपने सुना भी होगा लोग अक्सर कहते हैं- जो बच्चे किसी कारण बस मां के दूध से वंचित रह जाते हैं वह शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक रूप से थोड़े पिछड़े होते हैं और मां के सानिध्य से  खुद को वंचित महसूस करते हैं। मां के दूध में वह तत्व होते हैं जो बच्चे को अगर पहली खुराक से लेकर 6 माह की उम्र तक दी जाती है तो बच्चा समुचित शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के चरणों को सफलतापूर्वक हासिल कर लेता है। स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच एक विशेष बंधन बनता है। मां का दूध नवजात के लिए अमृत समान होता है। इसमें पोषक तत्वों के साथ-साथ प्रोटीन भी होता है जो बच्चों के जीवन के शुरुआती कुछ महीनों में बेहद आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों की मानें तो उनका मानना है कि स्तनपान का सर्वोत्तम घटक अलार्मिन्स प्रोटीन का एक वर्ग है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए जिम्मेवार होता है। मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन  नामक तत्व पाया जाता है जो बच्चे की आंत में लौह तत्व को बांध लेता है जिसके अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। मां के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। मां के दूध में रोगाणु नाशक तत्व होते हैं । मां का दूध सुपाच्य होता है और बच्चों के पेट में गड़बड़ी की आशंका नहीं होती। 
          स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। स्तनपान करवाने से माताओं में गर्भावस्था के बाद होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है।स्तनपान से तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। स्तनपान करवाने से माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा न्यूनतम होता है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है।
          एक मां के तौर पर मैं कह सकती हूं कि स्तनपान करवाने का सुखद अनुभव संसार के हर सुख से अलग और ऊपर है। स्तनपान कराना वह अनुभूति है जिसके आगे दुनिया की हर दौलत, सुख-सुविधा बहुत गौण हो जाती है। मां बनना और स्तनपान के सुख से सराबोर होना एक औरत की जिंदगी का वह अभिन्न हिस्सा है जिसे पाना हर औरत का सपना होता है। 
          तो आइए इस स्तनपान सप्ताह को हम उन माताओं के नाम समर्पित करते हैं जिन्होंने स्तनपान के सुख को पाया और उन माताओं के लिए शुभकामनाएं देते हैं जो इस सुख को पाने के लिए खुद को तैयार कर रही है।
🙏 धन्यवाद


मधु प्रिया

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