व्याकरण की बातें -2 - मो.जाहिद हुसैन - Teachers of Bihar

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Monday 6 June 2022

व्याकरण की बातें -2 - मो.जाहिद हुसैन

    उपसर्ग और प्रत्यय को अंग्रेजी में Morphemes यानी Prefix और Suffix कहते हैं तथा उर्दू,फारसी या अरबी में साबक़ा (Prefix) और लाहक़ा (Suffix) कहलाता है। साबक़ा से मतलब उपसर्ग और लाहक़ा से मतलब प्रत्यय होता है। कहा जाता है कि उत्सर्ग वह शब्दांश है,जो किसी शब्द के प्रारंभ में लगता है और प्रत्यय वह शब्दांश है जो किसी शब्द के अंत में लगता है और फिर जिस शब्द में वह लगता है, उसका अर्थ भी बदल जाता है। यदि शब्दांश किसी क्रिया के अंत में लगता है तो वह कृदंत कहलाता है। उदाहरण स्वरूप:- लिखना+वट= लिखावट। पढ़ना+आई=पढ़ाई। खेलना+आड़ी =खिलाड़ी। 

   अब सवाल है: शब्दांश का मतलब क्या? इसे समझने में थोड़ी दिक्कत होती है। मैं उन्हीं प्रश्नों को उठाना चाहूंगा,जिसमें भ्रांति होती है। अ,आ,ना,बे,बद,अव, ख़ुश,Un,Im, सु और 'कु' आदि उपसर्ग हैं। बे+मतलब =बेमतलब(उर्दू), ला+इलाज =लाइलाज(अरबी), अन+भिज्ञ =अनभिज्ञ(हिंदी) बद+बू=बदबू(फारसी),

अव+गुण=अवगुण (हिंदी),

 ख़ुश+बू=ख़ुशबू।(फारसी),

Dis+honest=Dishonest(English),

In+visible =In visible (English),

बे+नतीजा =बेनतीजा(उर्दू)

बे+जान =बेजान(उर्दू)

अन+जान=अनजान(हिंदी)

आ+जन्म=आजन्म(हिन्दी)

ख़ुश+नसीब=ख़ुशनसीब।(उर्दू)

ख़ूब+सूरत=ख़ूबसूरत(उर्दू)

खुश+मिज़ाज=खुशमिज़ाज।(उर्दू), लेकिन गौर करने वाली बात है कि ये शब्दांश अपनी भाषा के अनुसार ही लगते हैं। कभी-कभी रूढ़ शब्द में लगे शब्दांश भ्रम पैदा करता है।जिन शब्दों के खंडों का कोई अर्थ न हो, वे रूढ़ कहलाते हैं। जैसे- कमल शब्द का अर्थ जलज है परन्तु इसके खण्डों क,म,ल का कोई अर्थ नहीं है। बे,ला,अन,ख़ुश--ये सभी उपसर्ग हैं तो क्या ये किसी भी शब्द में लगकर उपसर्ग कहलाएगा? बिल्कुल नहीं। मैंने प्रशिक्षण में अक्सर देखा है कि प्रतिभागियों में विरोधाभास रहता है। आकाश में 'आ' को उपसर्ग समझ बैठते हैं। Import में 'Im' को Prefix समझ बैठते हैं। अनबन में 'अन' को  उपसर्ग समझते हैं,लेकिन ज़रा इन शब्दों:-आकाश, Import और अनबन को देखें। ये रूढ़ शब्द हैं,जो खंडित नहीं होंगे या कहें कि खंडित होकर अर्थ नहीं देगा। मतलब कि उस में उपसर्ग नहीं लगा हुआ है। यदि उपसर्ग होता तो खंडित हो जाता है। मतलब कि उपसर्ग वही शब्दांश है जो ऐसे शब्दों में लगता है ,जिसका उससे ऋणात्मक या धनात्मक या किसी प्रकार का संबंध अवश्य होता है। उदाहरणार्थ:- पुत्र ही सुपुत्र होता है और कुपुत्र भी। पुत्र में 'सु' और 'कु' लगने से सुपुत्र और कुपुत्र बनता है। बेमन में 'बे' उपसर्ग होगा, लेकिन मन में 'कु' नहीं लगाया जा सकता। कुमन नहीं होता है।' कु' यहां उपसर्ग नहीं है। सुमन में 'सु' भी उपसर्ग नहीं है। सुमन रूढ़ शब्द है। यहां एक बात इंगित है कि जिस भाषा का उपसर्ग होगा,उसी भाषा के शब्दों में लगेगा। जैसे:-'ला' अरबी साबक़ा (उपसर्ग) है, जो अरबी शब्दों में ही लगेगा। जैसे:-

ला+जवाब=लाजवाब अर्थात जिसका जवाब न हो।

 ला+मकान=लामकान अर्थात जिसके पास मकान न हो।

ला+मज़हब=मज़हब अर्थात जिसका कोई मजहब न हो।

ला+महदूद=लामहदूद अर्थात जिसकी कोई हद न हो। सभी अरबी हैं।' ला' का अर्थ 'नहीं' होता है,जिस तरह हिंदी में 'अ' 'अन' और उर्दू में 'ना' इंग्लिश में Un या In होता है। हिंदी के जगह पर उर्दू,फारसी,अरबी या फिर अंग्रेजी के उपसर्ग या साबक़ा (Prefix) लगाएंगे तो अनर्थ हो जाएगा। लाजवाब सही है। नाजवाब गलत है। 'बद 'उर्दू साबक़ा है। अतः यह उर्दू शब्द में ही लगेगा यथा:-बद+क़िस्मत=बदक़िस्मत। 

बद+दिमाग़=बददिमाग़। 

अतः बद+भाग्य=बदभाग्य नहीं हो सकता। दुर्भाग्य हो सकता है।

ला+जवाब =लाजवाब होता है,उसी तरह अनुत्तर होगा,लाउत्तर नहीं होगा, क्योंकि 'ला' अरबी है और उत्तर हिंदी शब्द है। Un+fit=Unfit होता है,लेकिन Umbrella में 'Un' Prefix नहीं है,क्योंकि Un और brella में कोई संबंध नहीं है;Umbrella स्वयं अर्थ रखता है-छाता,जो रूढ़ है। जो जिस शब्द में लगना होता है,भाषा के अनुसार ही उसमें लगता है; नहीं तो अर्थ का अनर्थ हो जाएगा। नामुमकिन होता है, बेमुमकिन नहीं। उसी तरह बेमतलब होता है, नामतलब नहीं होता है। चमन में 'च' उपसर्ग नहीं होता, क्योंकि चमन स्वयं रूढ़ शब्द है,जिसका अर्थ बाग़ या बगान होता है। च और मन में कोई संबंध भी नहीं है। मतलब कि चमन मन से नहीं बना है। जबकि बेमन मन से बना है। उसी तरह अमन में 'अ' उपसर्ग नहीं है। अमन रूढ़ शब्द है। अमन मन में 'अ' मिलकर नहीं बना है। यहां 'अ' उपसर्ग नहीं है। इन सब बातों को समझना होगा।

      एक दिलचस्प कहानी है। एक बिहारी लड़के की शादी राजस्थान में हो गई। दूल्हे की सालियां उसे कुंवर जी बुलाते थे। लड़के ने सोचा कि लगता है,सालियां मेरा मजाक उड़ातीं हैं। क्योंकि वह विद्यालय में 'सु' का मतलब अच्छा और 'कु' का मतलब खराब पढ़ा था। उसने अपने सालियों से कहा, "तुम लोग मुझे 'कुंवर जी आ गए' की जगह 'सूअर जी आ गए ' कहो।" सालियां कहने लगीं। सूअर जी आ गए। सूअर जी आ गए। भाषा के जानकार लोग हंस पड़े और वह बेवकूफ़ मज़ाक़ का पात्र बन गया। तो भाई ऐसी गलतफहमी न हो। कुछ उपसर्ग एवं प्रत्यय ये हैं:-

गुम+नाम=गुमनाम।

गुम+शुदा=गुमशुदा।

ग़म+ज़दा=ग़मज़दा। 

गुल+फ़ाम=गुलफाम। 

गुल का मतलब फूल और फ़ाम का मतलब चेहरा होता है अर्थात फूल जैसा चेहरा। 

सियाह+फ़ाम=सियाहफ़ाम।

सियाह का मतलब काला होता है और फ़ाम का मतलब चेहरा होता है अर्थात काला चेहरा वाला। इस तरह किसी तरह का भी संबंध शब्द और शब्दांश में होता है।

अन+कही=अनकही।

Im+possible=Impossible 

ना+जायज़=नाजायज़। 

बे+जान=बेजान। 

बे+ज़ार=बेज़ार।

बे+रोज़गार=बेरोज़गार। 

बे+ ईमान=बेईमान।

ला+चार=लाचार।

ना+दार=नादार।

फ़ौज+दार=फ़ौजदार।

पास+बान=पासबान।

निगह+बान=निगहबान। 

दर+बान=दरबान।

ता+क़यामत=ताक़यामत। ता मतलब तक होता है और क़यामत का मतलब  प्रलय होता है अर्थात प्रलय तक।

ता+उमर=ताउमर अर्थात उम्र तक।

ता+ज़िन्दगी=ताज़िन्दगी।

अदम+तशद्दूद=अदमतशद्दूद।

अदम+मौजूदगी=अदममौजूदगी।

दग़ा+बाज़=दग़ाबाज़।

सियासत+बाज़=सियासतबाज़।

जां+बाज़=जांबाज। जां का मतलब जान या जीवन होता है और बाज़ का मतलब खेलने वाला होता है अर्थात जान से या जान पर खेल जाने वाला।

दिल+कश=दिलकश।

सर+कश=सरकश।

कारी+गर=कारीगर 

रफ़ु+गर=रफ़ुगर।

सितम+गर=सितमगर। 

इनमें हिंदी,उर्दू,फारसी,अरबी और अंग्रेजी शब्द अपने भाषा के अनुसार रचित हैं। जहां एक-दूसरे में घालमेल होगा तो गाय के सींग बैल में और बैल के सींग गाय में हो जाएगा। अब देखिए न। अनजान में जान का अर्थ जानकार से है,जबकि उर्दू में जान का मतलब जीवन से है। अतः बेजान का मतलब निर्जीव से है।लेकिन अनजान का मतलब अनभिज्ञ होता है। उर्दू और हिंदी, दोनों जुड़वा बहने हैं। एक ही पेड़ की दो डालियां हैं। दोनों एक ही कोख से एक ही समय में तथा एक ही देश में पैदा हुई हैं। इनमें अनेक भाषाओं का समावेश है। भ्रांति का एक कारण यह भी है। अतः जिस शब्द का मूल, जिस भाषा में होता है,व्याकरण उसी भाषा के अनुसार होता है। यह व्याकरण उपसर्ग और प्रत्यय, दोनों में लागू होंगे। अतः मुलार्थ एवं शब्दार्थ को समझिए,ताकि ग़लतियां न हों।



मो.जाहिद हुसैन

 प्रधानाध्यापक

उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलहविगहा चंडी, नालंदा

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