व्याकरण की बातें-1 -मो. जाहिद हुसैन - Teachers of Bihar

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Tuesday 24 May 2022

व्याकरण की बातें-1 -मो. जाहिद हुसैन

 व्याकरण एक टेढ़ी खीर है, लेकिन बोलते-बोलते खीर पक ही जाती है। लिखते-लिखते भाषा समृद्ध होती चली जाती है, क्योंकि भाषा पहले होती है और व्याकरण बाद में। यह इंसान का स्वभाव है। व्याकरण विषयवस्तु से सिखाना आसान है। छोटे बच्चों के सामने तो बिल्कुल व्याकरण की बात न करें, क्योंकि वह भाषा के नियमजाल में उलझ जाएंगे और उनकी भाषा का विकास नहीं हो सकेगा। आज मैं एक ऐसे विषय पर बात करना चाहता हूं, जो न सरल है और न कठिन। यह विहंगावलोकन के उपरांत सरल और सिंहावलोकन के उपरांत कठिन लगता है। सुनने में कुछ अटपटा लगता होगा। इसमें अक्सर विरोधाभास होता है कि वर्ण और अक्षर में अंतर क्या है। अक्षर यानि अ+क्षर अर्थात जिसका नाश नहीं होता है। वर्ण मूल ध्वनि है,जिसे खंडित नहीं किया जा सकता है।

उदाहरण स्वरूप: वर्ण = क् ख् ग् घ् । अक्षर = अ,आ,इ, क ख ग घ। हालांकि, अ,आ,इ,ई---अः वर्ण भी हैं।

     किसी भी वर्ण के स्वरांत को यदि आलाप करते रहें तो उसका क्षर नहीं होगा। उसकी ध्वनि ----अनंत है। क्या वास्तव में ऐसा आलाप संभव है।शायद नहीं। क्+अ---------अनंत। 

क् ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ----अनंत। अत: वर्ण को हलंत् लगाकर लिखा जाता है। मतलब कि आलाप का अंत करना होगा। लेकिन एक अजीब बात है कि जो हम बोलते हैं, वह लिखते नहीं हैं। बोलते हैं हम, कलम् लेकिन लिखते हैं कलम। कारण कि कलम का स्वरांत का आलाप ताक़यामत तो कर नहीं कर सकते। हमारी वाणी ब्रह्मांड में गूंज रही है अर्थात इस तरह जो कुछ भी हम बोलते हैं, वे अक्षर हैं। हिंदी का जब रोमनाईजेशन ( Romanization) किया जाता है, तो  कलम को Kalama लिखा जाता है, न कि kalam, दक्षिण भारत में नारायण को Narayana बोलते हैं। ब्रिटिश राम को Rama और कृष्ण को Krishna बोलते हैं। कारण क्या है? अंतिम वर्ण के साथ स्वर है अर्थात यह अक्षर है। अक्षर में Vowel का होना आवश्यक है। बारहखड़ी स्वर हैं और वे अक्षर हैं। क से ज्ञ तक में स्वरांत होते हैं। अत: ये अक्षर तो हैं ही, साथ ही साथ वर्ण भी हैं। क्ष,त्र,ज्ञ इस मायने में अलग श्रेणी में हैं कि ये संयुक्त हैं। क्+ष=क्ष यानि कि क्+ष्+अ=क्ष। त्+र्+अ=त्र। ज्+ञ्+अ=ज्ञ। तीनों में दो-दो व्यंजन वर्ण हैं और एक-एक स्वर वर्ण हैं।

     वर्ण एक आकृति है। जब हम मूल ध्वनि को आकृति प्रदान करते हैं तो वह वर्ण कहलाता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है, जबकि अक्षर  श्वास के एक आधात में उच्चारित ध्वनि इकाई (स्वर या स्वर सहित व्यंजन) है। व्यंजन का वास्तविक रूप हलंत् लगा होता है, जैसे- ल् । लेकिन  ल स्वर सहित है। उदाहरण:- शब्द 'राम' में चार वर्ण हैं और दो अक्षर हैं। कैसे? र्+आ+म्+अ=4 वर्ण। केवल र् और म् का उच्चारण संभव नहीं है। र्+आ=रा और म्+अ=म। अत: राम में दो अक्षर हैं।

    अब एक यक्ष प्रश्न है कि बच्चों को पहले क्या सिखाना चाहिए: स्वर या व्यंजन। तो पहले स्वर--? लेकिन स्वर तो जन्मजात बच्चों में आत्मसात होता है। बच्चा पहला अक्षर अ,आ इ, ई, उ, ऊ-- ही बोलता है, बिल्कुल बारहखड़ी की तरह। अच्छा, तो उसे स्वर सिखाने की जरूरत नहीं है। लेकिन, हां, बच्चों को गाना खूब सुनाना चाहिए और समूह गायन में शामिल करना चाहिए, ताकि उनकी ज़बान सधे, क्योंकि स्वर लहरी का बीजारोपण तो उनके अंदर है और जो उनके पास हैं, उसे शिक्षण के दौरान तो जरूरी है।

     नवीन विधियों के अनुसार ठोस वस्तु से शब्द पर ध्यान केंद्रित करवाया जाता है तथा शब्द को तोड़कर फिर अक्षर सिखलाया जाता है और इस प्रकार बच्चों में वर्णमाला आत्मसात हो जाती है। बड़ा ही दिलचस्प बात है कि पहले हम लोग क से कौवा सिखाते थे और क से कबूतर पढ़ाते थे, लेकिन आज बच्चों को कौवा और कबूतर के द्वारा ' क' सिखाया जा रहा है। नवीन विधि में कमल के चित्र के नीचे कमल लिखा जाता है और क म ल को तोड़-तोड़ कर सिखाया जाता है यानी स्थूल से सूक्ष्म की ओर ले जाते हैं, जो सही भी है। जाहिर-सी बात है कि वाक्यों को बोलना या स्मरण रखना सरल है, लेकिन यदि अलग-अलग शब्द स्मरण हेतु दिया जाए तो उन्हें स्मरण करना कठिन होगा। यथा, कल, कलम, हॉल, पटना, राख, भूत, पिशाच दिल्ली, कंप्यूटर और बालू। लेकिन बड़े-बड़े वाक्य भी तुरंत स्मरण हो जाते हैं, यहां तक कि कविताओं के छंद भी। अत: शब्द से अक्षर सिखाने से आत्मसातीकरण जल्द होता है और केवल अक्षर या वर्णमाला सिखाना मुश्किल है। बेशक क से ज्ञ तक के वर्णमाला रटवाने से भी बच्चे सीखते हैं,लेकिन यदि बच्चों से बीच के कोई अक्षर पूछ दिए जाएं तो वे भूल जाते हैं और फिर इसे आत्मसातीकरण कराने में अधिक समय लगता है तथा यह अभ्यास थकाऊ भी है। मतलव कि बच्चों की अवधारणा तब पक्की होती है,जब वे अक्षरों या वर्णों को ठोस वस्तु से जोड़  कर देखते हैं। पहले वे कलम को देखते हैं,फिर उसके तस्वीर को देखते हैं, फिर 'कलम' लिखे हुए शब्द को देखते हैं और फिर वे क ल म पर बल तथा ध्यान लगाकर उसे आत्मसात करते हैं।

                 


मो. जाहिद हुसैन 

  प्रधानाध्यापक 

उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलहबिगहा, चंडी, नालंदा

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