बाल समाचारपत्र - मो.ज़ाहिद हुसैन - Teachers of Bihar

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Saturday, 1 October 2022

बाल समाचारपत्र - मो.ज़ाहिद हुसैन

   विद्यालय में बाल समाचार पत्र निकालना बहुत बड़ा नवाचार है। यह बच्चों के लिए रचनात्मकता का बहुत बड़ा मंच है। खास बात यह है कि यह शून्य निवेश नवाचार (Zero Investment Innovation) है। छात्रों में सृजनात्मक क्षमता को विकसित करने,उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता का विस्तार करने, कला, संस्कृति व साहित्य के प्रति अभिरुचि जगाने, देश-दुनिया और राज्य-समाज की स्थितियों से साक्षात्कार कराने के लिये 'बाल समाचार-पत्र' की उपादेयता निश्चित तौर पर अतुलनीय है। इससे छात्रों का पठन कौशल एवं लेखन कौशल भी विकसित होता है। उनमें नेतृत्व क्षमता जागृत होती है और साथ ही जो छात्र पढ़ने, लिखने या बोलने में कमजोर हैं, उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न होता है। बाल समाचार-पत्र जहां विद्यालय की प्रत्येक गतिविधि को दर्ज कर सकता है, वहीं इसका साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक संस्करण छात्रों की क्रियाशीलता का दर्पण होगा।     मासिक या वार्षिक संस्करण में छात्रों की स्वरचित रचनाओं को स्थान देकर उनकी भाषा में आशातीत सुधार संभव है। यह एक ऐसा नवाचार है जिसमें छात्र-छात्राओं को अपनी शैली विकसित करने का अवसर मिलेगा और उनकी अभिव्यक्ति मुखर होगी।



     विद्यालयों में प्रभावशाली रिपोर्टिंग का अभाव होने पर कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। व्यवहारिक कठिनाइयों के कारण विद्यालय के प्रपत्रों में प्रतिदिन की गतिविधियां दर्ज नहीं हो पातीं। 'बाल समाचार-पत्र इस दिशा में भी एक सहायक नवाचार है। छात्र के दृष्टिकोण से बाल अखबार छात्रों की समस्याएं आगे लाकर उनका निवारण करने में सहायताप्रद साबित होता है। समाचार पत्र की तरह ही बाल समाचार पत्र भी उपलब्धियों, समस्याओं एवं विद्यालय की घटनाओं को सभी छात्रों व शिक्षकों तक पहुंचाता है। छात्र दिन भर की गतिविधियों की सूचना एकत्र करते हैं, जिसके लिये उन्हें विद्यालय में न केवल उपस्थित,बल्कि चैतन्य रहना पड़ता है। विद्यालय की बहुत- सी समस्याएं प्रकाश में आती हैं और अध्यापक भी छात्रों की समस्याओं जैसे–खेलकूद,स्काउट संबंधी,एम डी एम, किताबें, ड्रेस,अध्यापक उपस्थिति व अध्यापन सम्बन्धी समस्याओं को समझकर निराकरण करते हैं। समाचार-पत्र में पढ़कर छात्र राष्ट्र, राज्य एवं स्थानीय स्तर की दो या तीन प्रमुख खबरें भी अपने पत्र में शामिल करें तो उनके सामयिक ज्ञान में वृद्धि अवश्यंभावी है। मासिक या वार्षिक संस्करण में छात्रों के लेख, निबंध, कहानी, कविता, चित्र, कार्टून इत्यादि को शामिल करना उनके व्यक्तित्व विकास में सहायक सिद्ध होगा। इन कार्यों के लिये उन्हें नियमित रूप से प्रेरित किया जाना चाहिए। शिक्षकों के द्वारा अनुश्रवण एवं अनुदेशन की आवश्यकता भी पड़ेगी। ऐसी प्रक्रियाओं से स्कूल का पूरा पूरा कलचर ही बदल जाता है जिसमें सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं।

बाल समाचार के लिए प्रारूप को जानना जरूरी है। प्रारूप कैसा हो? यह मिलजुल कर बनाया जा सकता है,इसमें शिक्षकों के निर्देशन की आवश्यकता भी पड़ सकती है। प्रारूप समझने के बाद छात्र मध्यान्ह भोजन, छात्र उपस्थिति, अध्यापक उपस्थिति, खेलकूद, शिक्षण कार्य आदि को समाचार के रूप में शामिल कर बाल अखबार निर्मित करते हैं। छात्रों को एक-एक सप्ताह के लिये संपादक बनाया जाता है, जबकि कक्षा के शेष छात्र संवाददाता का कार्य करते हैं। संपादक प्राप्त समाचारों का समन्वयन एवं संपादन करता है, जबकि संवाददाता- समाचार प्रेषण करते हैं। संपादक बाल समाचार पत्र तैयार करने के बाद छुट्टी से 15-20 मिनट पहले पढ़कर सुनाता है एवं समाचारों से ज्ञात होने वाली समस्याओं का समाधान करता है। जैसे- पठन-पाठन संबंधी समस्याएं, मध्यान्ह भोजन, खेल  गतिविधियों संबंधी, छात्रों के बीच हुए मनमुटाव जैसी समस्याओं का समय पर समाधान । प्रातः काल में समाचार पत्र को निकालने के लिए पूर्व दिवस के समाचार को प्रारूप में डालकर दीवार पर लगाया जा सकता है, जिसे सभी बच्चे पढ़ सकें और लाभान्वित हो सकें।

                  समाचार का प्रारूप 


1. छात्र का नाम------------------

कक्षा--------दिन-------दिनांक----


2. छात्र उपस्थिति से सम्बन्धित । कुल छात्र --------उपस्थिति------


3. मध्यान्ह भोजन संबंधी।


क्या बना था-----गुणवत्ता------


4. स्काउट एवं खेलकूद ।


5. अध्यापन व अध्यापक उपस्थिति । 


6. कोई विशेष घटना,जैसे: विशिष्ट अतिथि का आना, दुर्घटना,निरीक्षण आदि


                   समाचार का उदाहरण


छात्र का नाम- मुनचुन, कक्षा-VIII, दिन-शुक्रवार,    दिनांक---------


1.आज मेरी कक्षा में 35 छात्र में से 27 छात्र उपस्थित थे। 

2.आज बुधवार को हम सबको खीर मिली तथा स्वच्छता की जांच (नाखून, बाल, ड्रेस) हुई। 

3. विद्यालय में लगाये गये दो पौधों को बन्दरों ने उखाड़ दिया।

4. सभी अध्यापक प्रार्थना के समय उपस्थित थे।

5. कबड्डी की टीम का चयन हुआ, जिसमें स्थान पाने के लिये छात्रों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रही।

6. आज कक्षा में रमेश और अशोक के बीच कहासुनी हो गयी थी। 

7.आज विद्यालय में नयी ड्रेस के लिये हम सबका नाप लिया गया। 

      इस तरह से छात्र और अध्यापक दर्पण की तरह अपना कार्य करते हैं, क्योंकि इस नवाचार से छात्र और अध्यापक दोनों का मूल्यांकन निरन्तर होता है। ऐसे नवाचारी कार्यों के काफी फायदे हैं। विद्यालय का रिपोर्टिंग स्वरूप सुधारात्मक बनता है। बाल अखबार छात्रों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक माध्यम भी देता है। इससे छात्रों की उपस्थिति में सुधार होता है। उनके भाषा कौशल में सुधार के साथ-साथ नेतृत्व क्षमता का भी विकास होता है। निर्णय क्षमता तथा लेखन कौशल के विकास के साथ-साथ सक्रिय सहभागिता भी रहती है। छात्र जिज्ञासु, क्रियाशील तथा उत्साह से भरे होते हैं, यह नवाचार उनकी नकारात्मक ऊर्जा को बदलने का एक प्रयास सिद्ध होगा। विद्यालय में बाल समाचार-पत्र निकालना शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार है,जिससे शिक्षण में कई चीजें एक साथ सधती हैं।यह सीखने-सिखाने का बहुत बड़ा माध्यम है।इससे नेतृत्व क्षमता का विकास होता है एवं छात्रों के संकोच में भी कमी आती है और इससे आत्म विश्वास भी बढ़ता है।

 नवाचारी शिक्षा पर आधारित आलेख 'बाल समाचार पत्र' बहुत उपयोगी है। इसे ब्लॉग में प्रकाशित कर यश के भागी बने।

 


 मो.ज़ाहिद हुसैन    

 प्रधानाध्यापक 

उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलहविगहा,

चंडी,नालंदा

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