प्रधानाध्यापक का दायित्व - मो.जाहिद हुसैन - Teachers of Bihar

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Monday, 17 October 2022

प्रधानाध्यापक का दायित्व - मो.जाहिद हुसैन

 किसी भी प्रधानाध्यापक में नेतृत्व कौशल और टीम भावना एवं लेखा- जोखा का कौशल होना आवश्यक है। संपूर्ण विद्यालय की कार्य योजना एक प्रधानाध्यापक की क्षमता पर टिकी होती है,इसका मतलब यह भी नहीं है कि विद्यालय के पठन-पाठन से लेकर वित्तीय कार्य का दायित्व प्रधानाध्यापक का ही है;लेकिन हाँ, प्रधानाध्यापक के अंदर ऐसी खूबी तो होनी ही चाहिए कि संपूर्ण विद्यालय परिवार यथा: शिक्षक, शिक्षार्थी, रसोईया एवं अन्य शिक्षकेतर कर्मचारी आदि को जोड़ कर रखें,तभी लोगों में टीम भावना बनेगी, फिर तो कोई भी कार्य चुटकियों में होगा। 

प्रधान होने के नाते प्रधानाध्यापक का पहला दायित्व है कि लोगों के कार्यों का सही-सही बटवारा करें। कार्यों के वितरण में लोगों की सलाह आवश्यक है,जो भी हो; लोकतांत्रिक तरीके से हो;इसके लिए प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की साप्ताहिक या मासिक बैठक अनिवार्य है। विद्यालय को सामुदायिक जीवन तथा विद्यालय कार्य योजना की सफलता के लिए अभिभावक-शिक्षक मीटिंग की आवश्यकता पड़ती रहती है, जिसमें बैंक पासबुक खुलवाने, आधार कार्ड बनवाने, स्वास्थ्य कार्ड बनवाने और  मेधा सॉफ्ट तथा प्रगति पत्रक आदि पर बातें होती है। विद्यालय शिक्षा समिति की बैठक माह में कम-से-कम एक बार होनी आवश्यक है,ताकि विद्यालय के विकास कार्य तथा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो सके; क्योंकि विद्यालय की शैक्षिक, शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कार्य के लिए विद्यालय शिक्षा समिति की भूमिका अहम होती है। 

अब रहा विद्यालय में अकादमिक गतिविधियों के संपादन के लिए प्रधानाध्यापक के द्वारा प्रत्येक शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं को सहायता करने की आवश्यकता है। नजर के साथ नजरिए की आवश्यकता है। कई जगह देखा गया है कि जब कोई शिक्षक शिक्षा में नवाचार करते हैं तो प्रधानाध्यापक से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है। एक प्रधानाध्यापक को केवल प्रशासक समझना ठीक नहीं हैं,बल्कि उन्हें एक प्रबंधक,अध्येता एवं अध्यापक होने की आवश्यकता है और अध्ययन-अध्यापन में खूब हिस्सा लेना चाहिए। ऑफिशियल वर्क के बहाने जो प्रधानाध्यापक केवल कागजाती कार्य या रिपोर्ट पर ध्यान देते हैं,उनके शिक्षकों में अध्ययन-अध्यापन के प्रति शिथिलता देखी जाती है। कार्यों का वितरण इस तरीके से हो कि प्रधानाध्यापक को कागजाती कार्यों में अन्य शिक्षकों का सहयोग मिल सके,क्योंकि विद्यालय संचालन का भार या ठेका केवल प्रधानाध्यापक का ही तो नहीं है। विद्यालय सब का है और सबको अपना दायित्व निभाना होगा। विषयों को सही से पढ़ाए जाने हेतु समय-सारणी अति आवश्यक है। समय-सारणी निर्धारण के समय शिक्षकों की राय लेना आवश्यक है, ताकि वे अपनी विशेषज्ञता के अनुसार विषयों का चुनाव कर सकें। 

विद्यालय प्रांगण की खूबसूरती, दीवार लेखन एवं चित्रण और कार्यालय आदि को सुंदर बनाने की सोच एक प्रधानाध्यापक में बिल्कुल होनी चाहिए,जिसकी बंदोबस्ती कंपोजिट ग्रांट से की जा सकती है। विद्यालय सामग्री के रख-रखाव और विभिन्न रिपोर्टों का उचित संधारण समयानुकूल होना चाहिए तथा विकास कार्यों के संपादन के उपरांत शिक्षा कार्यालय में उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर जमा करना आवश्यक है। बच्चों का चाइल्ड प्रोफाइल बनाने हेतु प्रधानाध्यापक शिक्षकों को प्रेरित करें एवं बच्चों को प्रोत्साहित करें। एक प्रधानाध्यापक से यह अपेक्षा की जाती है कि उनका आचार, विचार एवं व्यवहार सबसे अच्छा हो। एक अनुभवी प्रधानाध्यापक से अपेक्षा की जाती है कि विद्यालय समय पर आयें, ताकि अन्य शिक्षक भी समय पर आएं। प्रधानाध्यापक में सब का सहयोग करने तथा सबसे सहयोग लेने की क्षमता होनी चाहिए। 

चेतना-सत्र में प्रधानाध्यापक जरूर रहें, ताकि सभी शिक्षक भी चेतना सत्र में शामिल रहें। प्रधानाध्यापक के समय पर उपस्थित रहने से काफी अंतर पड़ता है। चेतना- सत्र की कार्यवाही की पूर्व तैयारी होनी चाहिए। प्रधानाध्यापक वर्ग संचालन भी देखें तथा जरूरत पड़ने पर अध्यापन कार्य भी करें। कम ही सही, लेकिन सीखने-सिखाने का कार्य प्रधानाध्यापक विद्यालय में जरूर करें। मध्याह्न भोजन खिलाने का दायित्व शिक्षकों को दिया जाए। इसका अवलोकन कभी-कभी प्रधानाध्यापक कर लें। अलग-अलग वर्ग के लिए अलग-अलग खेल की घंटी हो। हां,लेकिन सप्ताह में समग्र रूप से सभी वर्गों का एक साथ खेल का संचालन हो, जिसमें प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक बढ़ चढ़कर हिस्सा लें तथा अनुश्रवण एवं मार्गदर्शन करें। प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन को रोजाना खाएं या ना खाएं, लेकिन चखकर जरूर परखें कि खाना गुणवत्तापूर्ण है या नहीं। प्रधानाध्यापक सप्ताह में मध्याह्न भोजन के प्रति बैठक कर चर्चा करें, ताकि मध्याह्न भोजन का सिस्टम अच्छा रहे। यदि कोई समस्या हो तो उसका निदान सभी शिक्षक मिलजुल कर निकालें। प्रधानाध्यापक का यह भी दायित्व है कि कोई राज्य स्तरीय या जिला स्तरीय प्रोग्राम हो तो उसकी तैयारी शिक्षकों की सहायता से छात्र-छात्राओं को करवाएं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रधानाध्यापक विद्यालय की स्टीयरिंग व्हील है, जिसके बिना विद्यालय को सुचारू रूप से नहीं चलाया जा सकता।

             

         


 मो.जाहिद हुसैन

 प्रधानाध्यापक 

उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलह बिगहा चंडी, नालंदा

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