चलो दीप जलायें - श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Saturday, 22 October 2022

चलो दीप जलायें - श्री विमल कुमार "विनोद"

प्रकृति का शाश्वत नियम है दिन-रात का होना।दिन में सूर्य की रोशनी से विश्व प्रकाशित होती है तथा रात में अंधेरा छाया रहता है।रात के अंधेरापन को खत्म करने के लिये प्रकाश की आवश्यकता होती है।इस अंधकार को समाप्त करने के लिये दीप प्रज्वलित करने की आवश्यकता होती है।

भारतवर्ष जो कि भिन्न-भिन्न भाषा, धर्म,समुदाय,त्योहार का देश है- जिसमें से"दीपावली"भी एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। दीपावली का अर्थ"दीपों की अवली या पंक्ति" होता है अर्थात दीपावली शब्द"दीप एवं अवली की संधि से बना है।जो कि संसार से घोर अंधेरा को दूर भगाकर विश्व को प्रकाशित  करने का प्रयास करती है।इसी संदर्भ में वैदिक ग्रंथ के श्लोक में लिखा हुआ"तमसो मा जयोतिर्गमयः"अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला पर्व है-"दीपावली"।

 शिक्षक जो कि समाज का एक प्रमुख अंग है,जिसके कंधों पर देश के आनेवाले कल के भविष्य के निर्माण की जिम्मेदारी है जो कि "दीपक की तरह अपने आप को तपाकर,घंटों वर्ग कक्ष में पढ़ाते रहते हैं,तपती हुई जेठ की दुपहरी,ठिठुरती ठंड तथा वर्षा में भी विद्यालय आकर बच्चों को ज्ञान बाँटने का काम करते हैं।हम सभी समाज के प्रबुद्ध लोग साथ ही साथ शिक्षक समुदाय को बच्चों को"दीपक की अवली पंक्ति" की तरह अपने आने वाली पीढ़ी को सुसज्जित करके सीखाने का प्रयास करना चाहिये ताकि आगे बढ़कर जीवन में अपने शिक्षा का अलख जगाते हुये विश्व की आने वाली पीढ़ी का तारनहार बन सके। 

प्रकाश पुंज की तरह अपने छात्र- छात्राओं को शिक्षा बाँटने का काम किया करते हैं ताकि सभी विद्यार्थी जीवन में तरक्की कर सके। चूँकि हम शिक्षक का काम है, अपने शिष्यों को अच्छी शिक्षा देने का काम करें ताकि प्रकाश पुंज की तरह वह भी अपनी किरण से लोगों को उजाला करे इसके लिये  तन्मयता के साथ छात्र-छात्राओं के जीवन को मंगलमय करने के लिये उनको उच्चस्तरीय तथा तकनीकी युक्त शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाय तो बच्चों का जीवन प्रकाशमय हो जायेगा।इस कार्य को अपने जीवन का लक्ष्य मानकर हम शिक्षक लगातार बच्चों के भविष्य के निर्माण में लगातार बेहतर कर रहे हैं।         

     दीपावली के शुभ अवसर पर हमलोगों को समाज के लोगों के बीच जाकर अशिक्षा को दूर करते हुये शिक्षा का द्वीप प्रज्वलित  करने का संकल्प लेते हुये हम शिक्षकों को समाज से अशिक्षा, अज्ञानता,अंधविश्वास,सामाजिक कुरीतियों को दूर भगाते हुये शिक्षा का अलख जगाने के लिये द्वीप प्रज्वलित करने का संकल्प लेने की आवश्यकता है।

अंत में,मेरी सोच है कि हम शिक्षकों को जिनके कंधों पर राष्ट्र के आने वाली पीढ़ी के भविष्य को बनाने की जिम्मेदारी अपने-अपने कंधों पर ले रखी है,आने वाली पीढ़ी का जो "तमसो मा ज्योतिर्गमयः" की तरह बच्चों का कल्याण करने का प्रयास  कर रहे हैं,जिससे कि विश्व स्तर पर आने वाले नौनिहाल बच्चों का भविष्य" दीपोत्सव"की तरह जगमगाता रहे।संपूर्ण विश्व से अशिक्षा का घोर अंधेरा भाग सके।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद" 

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,बाँका(बिहार)।

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