एक मनोविश्लेषणात्मक लेख। रफ्तार का साधारण अर्थ है,"तेज गति से बिना रूकावट के अनवरत चलना"।बालक जब जन्म लेता है उसके बाद से उसमें बिना रूकावट के सतत एवं अनवरत गति से विकास होता ही रहता है,जिसमें विराम उसके मृत्यु को वरण करने के बाद ही होता है।क्योकिं जिन्दगी तो बेवफा है एक दिन ठुकरायेगी, मौत महबूबी है जो कि साथ लेकर जायेगी।
जैसा कि हम जानते हैं कि मनुष्य का विकास जन्म से मृत्यु के पहले तक होता ही रहता है,उसी तरह लोगों के जीवन की रफ्तार जन्म से मृत्यु के पहले तक होती ही रहती है।वर्तमान समय ऐसा है कि कोई भी व्यक्ति जो कि जीवित है उसको जीवन में फुर्सत नहीं है,सुबह से शाम तक काम ही काम,क्यों नहीं लेते पिया ईश्वर का नाम"।दिन-रात जीवन में काम ही काम,हाय रे संपत्ति,लूट खसोट का आलम जो कि रूकने का नाम ही नहीं लेती है।आखिर आपने कभी दिल से सोचा है कि आपकी "बेबफा जिन्दगी" किस समय आपका साथ छोड़ कर सदा-सदा के लिये आपसे बहुत दूर ,बहुत दूर चली जायेगी,साथ छोड़ देगी इसका अंदाजा किसी को भी नहीं है,"बस याद ही साथ रह जायेगी"।
मेरा यह आलेख," जिन्दगी की रफ्तार"जो कि मूल रूप से जीवन के विकास के लिये है कि रात-दिन लगातार बिना रूकावट के गर्मी,सर्दी, बरसात में भी अनवरत् रूप से चलती ही रहती है।जब देखिये, जहाँ देखिये लोग तेज गति से चल रहे हैं।सड़क पर कोई भी ऐसी गाड़ी नहीं चलती है जो कि धीरे चले।लगता है कि कल नहीं आने वाला है और कल के काम को आज ही कर लेने के चक्कर में तथा अनियंत्रित रफ्तार के चक्कर में अपनी जीवन लीला को काल के गाल में समा देता है।दुर्भाग्य वश इस आलेख के लेखक की जिन्दगी भी जीवन के तेज रफ्तार के चक्कर में फंस कर उलझ जाता है,करें तो क्या करें"राही चल अकेला चल,तेरा मेला छूटा पीछे राही चल अकेला"।सुबह से शाम,वही दौड़ भाग की जिन्दगी में दिल तो करता है कि,"रूक जा रे चाँद,ठहर जा रे चंदा,आज आराम की वेला है"सोचता तो हूँ लेकिन फिर सुबह वही काम और काम।
आज का मेरा यह आलेख एक वैसी परिस्थिति पर आधारित है,जहाँ कि एक मानव जीवन की तेज रफ्तार पर चलकर,अपने बहुत सारे कार्यों को अधूरा छोड़ कर ठीक वैसे ही दुनिया से चले जाते हैं जैसे,"जाने चले जाते हैं कहाँ,दुनियां से जाने वाले"।
अंत में मेरा तो मानना है कि गाड़ी बुला रही है,सीटी बजा रही है,चलना ही जिन्दगी है की रफ्तार अनवरत चलती ही जा रही है,जो चलती ही रहेगी।
जिन्दगी का यही एक पैगाम है।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा, बांका(बिहार
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