चरणस्पर्श और चरण वंदना - श्री विमल कुमार - Teachers of Bihar

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Friday, 28 October 2022

चरणस्पर्श और चरण वंदना - श्री विमल कुमार

 प्रत्येक मनुष्य के जीवन में संस्कार एवं संस्कृति को विकसित करने की बहुत आवश्यकता है,जिसके बिना किसी भी बच्चे-बच्ची का विकास हो पाना संभव नहीं है।प्रत्येक माता- पिता की दिली इच्छा होती है कि उसका बच्चा पढ़-लिखकर प्रकाशपुंज की तरह चमकता रहे।इसी कड़ी में माता जी कहती है कि बाबू देखो वह आपके भैया जी लगते हैं,उनको चरणस्पर्श करके प्रणाम कीजिए।वह बालक अपनी माता जी की बातों को मानकर अपने बड़े भाई का चरणस्पर्श करके प्रणाम करता है।

ऐसा हमारे आदर्श का मानना है कि चरणस्पर्श करने के समय इस बात का ख्याल रखा जाय कि हमारे दाहिने हाथ की अंगुली हमारे पूज्य के पैरों के दोनों अंगूठे के उपर के नाखून पर पड़े।अपने बड़े-बुजुर्गों का चरणस्पर्श करना हमारी भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का द्योतक है।जब हम अपने से पूज्यनीय का चरणस्पर्श करके प्रणाम करते हैं तो वह दिल से अपने दोनों हाथों से हमारे माथे को थपथपाते हैं और हमें बहुत दिल से आशीर्वाद देते हैं,जो कि हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति होती है।इसके लिये ले जाने में मार्गदर्शक का  काम करती है। हमें स्वंय भी या आने वाली पीढ़ी को भी बताना चाहिये कि हम अपने पूज्य को यह बता कर चलें कि हम किस कार्य से बाहर जा रहे हैं।इसके अलावे आगे की ओर झुककर पैरों के अंगूठे को छूकर प्रणाम करने से उनके अंगूठे में प्राप्त उर्जा शक्ति तथा जीवन में अर्जित किये गये गुण का लाभ मिलता है।जहाँ तक चरणस्पर्श और चरणवंदना की बात है तो हर रोज चरणस्पर्श करने से यश,कृति की प्राप्ति होती है।चरणस्पर्श करना विनम्रता एवं श्रद्धा का सूचक है, जिससे शांति मिलती है।हमारे भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में चरणस्पर्श एवं चरण वंदना से हमें अपने आप में बहुत गर्व महसूस होती है।हमारी भारतीय संस्कृति में ऐसा माना जाता है कि जब हम घर से किसी काम को करने के लिये बाहर निकलते हैं तो उनका आशीर्वाद मेरी सफलता का कामना करती रहती है,जिसके चलते हम निरंतर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते जाते हैं।अगर आप घर से किसी काम के लिये बाहर निकलते हैं तो उस समय यदि अपने माता-पिता तथा अन्य श्रेष्ठ जनों का चरणस्पर्श करके निकलते हैं तो उसमें इतनी शक्ति है कि"वह बुरे वक्त को भी पलटने की शक्ति रखती है।

इसलिये आज के परिवेश में जब संपूर्ण विश्व के साथ हमारा भारत वर्ष भी आधुनिकता तथा पश्चिमीकरण की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है, हमें अपनी भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये चरणस्पर्श एवं चरण वंदना से आने वाली पीढ़ी को अवगत कराना चाहिए।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा, बाँका(बिहार)।

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